भारत 357 पर 6 (पंत 96, विहारी 58, एम्बुलदेनिया 2-107) बनाम श्रीलंका
श्रीलंका ने विराट कोहली को उनके 100वें टेस्ट में शतक लगाने का सपना तोड़ दिया, लेकिन वह हनुमा विहारी को उनके 100वें प्रथम श्रेणी मुक़ाबले में अर्धशतक लगाने से नहीं रोक सके। पहले दिन के खेल ख़त्म होने तक श्रीलंका को इन दोनों बल्लेबाज़ों को आउट करने का पश्चतावा होगा, क्योंकि ऋषभ पंत क्रीज़ पर उतरे और उन्होंने मात्र 19 गेंद में अपना स्कोर 50 से 96 तक पहुंचा दिया लेकिन वह टेस्ट करियर में पांचवीं बार 90 से 100 के स्कोर में आउट हो गए। यही वजह रही कि भारतीय टीम ने दिन के खेल की समाप्ति तक 85 ओवर में छह विकेट पर 357 रन बना लिए।
श्रीलंका के साधारण गेंदबाज़ी आक्रमण की पोल पहले दिन की ही पिच पर खुल गई, जहां उन्होंने लगातार फुल लेंथ गेंदबाज़ी की। उनके पास गेंदबाज़ों की संसाधनों की कमी तो टॉस पर ही जगजाहिर हो गई थी, जब उन्होंने स्पिनरों के मुफ़ीद पिच पर तीन गेंदबाज़ खिलाने का निर्णय ले लिया, जबकि इसी पिच पर मेज़बानों ने तीन स्पिनर खिलाए।
उनमें से से एक लहिरू कुमारा 10.5 ओवर में ही टूट गए। दूसरे भी कम ही प्रभावित कर पाए और भारत ने 89.4 प्रतिशत कंट्रोल के साथ बल्लेबाज़ी की। जब यह होता है और पिच से आपको मदद नहीं मिलती है तो आप उम्मीद करते हैं कि गेंदबाज़ रन रोकें, लेकिन भारतीय टीम बिना किसी रिस्क लिए लगातार बाउंड्री लगाती रही। उन्होंने एक दिन में 44 बाउंड्री लगाई। एकमात्र स्पिनर लसिथ एम्बुलदेनिया ने शुरुआत तो अच्छी की लेकिन उन्होंने दिन का खेल खत्म होने तक कंट्रोल खो दिया।
इस बीच श्रीलंका ख़ुशकिस्मत रही कि इस दिन 61.1 ओवर में 41 ग़लतियां करते हुए उन्होंने पांच विकेट निकाल लिए थे। रोहित शर्मा अच्छी लय में दिख रहे थे और 28 गेंद में 29 रन बना चुके थे, लेकिन वह कुमारा के एक ही ओवर में तीसरी बार पुल करने के चक्कर में लांग लेग पर पकड़े गए। वह आसानी से शॉर्ट बॉल को बाउंड्री पार भेज देते हैं, लेकिन अप्रैल 2018 से वह सात बार 27.4 के औसत से पुल या हुक पर आउट हुए हैं।
मयंक अग्रवाल भी एक इन साइड ऐज़ पर आउट होने से बच गए। एम्बुलदेनिया ने इस पिच पर दायीं ओर फुल लेंथ पर गेंदबाज़ी की और यह गेंद या तो टर्न हो सकती थी या सीधी निकल सकती थी क्योंकि यह रफ़ एरिया था।
इसी ओवर में एम्बुलदेनिया ने कोहली का भी एक बाहरी किनारा निकाल लिया था। वैसे यह आख़िरी समय भी था जिसमें श्रीलंका ने बल्लेबाज़ों को ग़लती करते हुए देखा। नंबर तीन पर विहारी ने चेतेश्वर पुजारा की जगह ख़ुद को साबित किया। विहारी और कोहली ने 25.5 ओवर तक बल्लेबाज़ी करते हुए तीसरे विकेट के लिए 90 रन की साझेदारी की। दोनों ने ख़राब गेंद पर स्कोर बनाया और अच्छी गेंद का सम्मान किया। वे 3.6 रन प्रति ओवर से रन बनाते रहे, जिसका मतलब यह था कि अच्छी गेंद कम ही हो रही थी।
दूसरे सत्र के बीच में हालांकि, एम्बुलडेनिया ने कोहली को अपना शिकार बनाया। यह एक फ़्लैट गेंद थी, जहां कोहली पीछे गए, लेकिन यह गेंद फुल थी, कोहली का बल्ला तो चूक गया लेकिन गेंद सीधा ऑफ़ स्टंप पर टकरा गई। दो दिन के नोटिस पर उमड़ी एक उल्लेखनीय भीड़ कोहली के चले जाने से स्तब्ध रह गई, साथ ही कोहली अपने 28वें टेस्ट शतक की अधूरी उम्मीद के साथ पवेलियन लौट गए।
विहारी ने सहज़ता से 93 गेंदों में 50 रन बनाए, लेकिन एक समय पर श्रीलंका की गेंदबाज़ी को श्रेय देना जरूरी है जहां पर उन्होंने 35 गेंदों में सिर्फ़ आठ रन बनने दिया। ऐसे में उन्होंने बल्लेबाज़ों को रन बनाने के लिए मजबूर किया। पहले मौक़े पर एक कैच छूटी जो नो बॉल निकली। दूसरे पर विश्वा फ़र्नांडो ने कैच लपक लिया और स्कोर चार विकेट पर 175 रन हो गया।
अजिंक्य रहाणे की जगह टीम में शामिल हुए श्रेयस अय्यर की जगह पंत बल्लेबाज़ी के लिए आगे उतरे। अय्यर ने भी अच्छी शुरुआत की, लेकिन वह धनंजय डीसिल्वा जैसे पार्ट-टाइम ऑफ़ स्पिनर की गेंद पर आउट हो गए।
अब पंत की उपस्थिति की जांच करें: एक टीम जिसने पांच रन देकर सिर्फ़ दो विकेट लिए थे, उसके लेग साइड में तीन खिलाड़ी थे। यदि आप क्रीज़ में प्रवेश करते ही विरोधी बल्लेबाज़ को रक्षात्मक क्षेत्र में रन बनाने का मौक़ा देते हैं तो आसानी से रन मिल जाते हैं। पंत ने अपनी पारी के शुरुआती हिस्सों में यही किया, सुरंगा लकमल की गेंद पर एक बड़ा छक्का और एक लॉफ्टेड कवर ड्राइव की परवाह नहीं की। वे उन्हें सिंगल देकर खुश थे, वह सिंगल लेने में खुश थे।
दूसरी नई गेंद लिए जाने में पांच ओवर बाक़ी थे और पंत 50 रनों पर थे, लेकिन यह वही समय था जब उन्होंने स्पिनरों पर चौतरफ़ा हमला कर दिया। सामने एम्बुलडेनिया थे, जहां उन्होंने मिडविकेट पर छह, वाइड लांग ऑन पर छह, कवर के माध्यम से पंच, लेट कट, यानि 76वें ओवर में उन्होंने 22 रन बनाए। डीसिल्वा के ओवर में भी उन्होंने तीन गेंद में 10 रन बनाए।
10 मिनट के भीतर, श्रीलंका ने नई गेंद लेने की सोची, क्योंकि पंत शतक के क़रीब थे और उन्होंने इस मौक़े का फ़ायदा उठाने का सोचा। हालांकि, उससे पहले पुरानी गेंद पर उनके पास शतक बनाने का मौक़ा था, लेकिन उन्हें पर्याप्त स्ट्राइक नहीं मिली। जब नई गेंद आई तो वह लकमल की एक सीधी गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गए।
पंत अपने हल्के तौर पर झुके, लेकिन गेंद पहले ही स्टंप्स पर लग गई। अगर वह 90 के बाद छक्का मारने की कोशिश में आउट हो जाते हैं तो हमेशा सुकून मिलता है क्योंकि उनके खेल का वह पहलू है जिसका वह अधिक समर्थन करते हैं।
दूसरे छोर पर तुरंत रवींद्र जाडेजा ने उन्हें सांत्वना दी और उनकी सराहना की, पंत अपना सिर नीचे करते हुए पवेलियन की ओर लौट गए।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।