मैच (36)
NZ vs WI (1)
IND-A vs SA-A (1)
PAK vs SA (1)
रणजी ट्रॉफ़ी (19)
Hong Kong Sixes (10)
WBBL (3)
AUS vs IND (1)
ख़बरें

माइंडसेट में बदलाव ने दी आक़िब नबी की गेंदबाज़ी को धार

नबी पहले विकेट लेने के बारे में सोचते थे लेकिन अब उनका ध्यान गेंद को सही टप्पे पर डालने पर है

Daya Sagar
दया सागर
08-Nov-2025 • 8 hrs ago
Auqib Nabi picked up his third five-wicket haul of the Ranji season, Delhi vs Jammu & Kashmir, Ranji Trophy, Elite Group D, 1st day, Delhi, November 8, 2025

Auqib Nabi ने दिल्ली के ख़िलाफ़ पंजा निकाला  •  Special Arrangement

2019-20 रणजी सीज़न में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू करने वाले आक़िब नबी को अपने पहले चार घरेलू सीज़न के 21 मैचों में सिर्फ़ 46 विकेट मिल पाए थे। यह एक साधारण रिकॉर्ड है, जो किसी भी गेंदबाज़ को असाधारण साबित नहीं करता। लेकिन पिछले रणजी सीज़न आठ मैचों में 44 विकेट झटककर वह सीज़न के सबसे सफल और एक असाधारण तेज़ गेंदबाज़ बनकर उभरे।
2025-26 रणजी सीज़न में भी उनके उभार का सिलसिला जारी रहा और वह जम्मू-कश्मीर के लिए अब तक चार मैच की छह पारियों में तीन पंजे सहित 11.8 की बेहतरीन औसत से 24 विकेट ले चुके हैं, इसमें दिल्ली के ख़िलाफ़ शनिवार को खोला गया पंजा भी शामिल है। इससे पहले उन्होंने सीज़न की शुरूआत में दलीप ट्रॉफ़ी में नॉर्थ ज़ोन की ओर से खेलते हुए ईस्ट ज़ोन के ख़िलाफ़ हैट्रिक सहित पंजा हासिल किया था।
पिछले दो सीज़न में उन्होंने अपनी गेंदबाज़ी में क्या बदलाव किए हैं? दिन के खेल के बाद नबी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, "मैंने अपनी गेंदबाज़ी में कोई तकनीकी बदलाव नहीं किया है, जो बदलाव है, सब मानसिक है। मैंने अपने माइंडसेट पर काम किया है। मैं पहले विकेट लेने के बारे में ज़्यादा सोचता था, लेकिन अब अच्छे एरियाज़ (टप्पे) में गेंद डालने के बारे में सोचता हूं।
मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं और परिणाम के बारे में अब नहीं सोचता हूं। मैं अब चीज़ों को सरल रखता हूं और बस यही दिमाग़ में रखता हूं कि कोई भी पिच हो, कहीं की भी परिस्थितियां हो, बस एक टप्पे पर गेंद डालनी है।"
दिल्ली के ख़िलाफ़ मैच में नबी की यही 'टप्पे वाली निरंतरता' देखने को मिली। दिन के पांचवें ओवर में वह बाएं हाथ के अर्पित राणा के लिए राउंड द विकेट से आए, ऑफ़ स्टंप की लाइन से गेंद को गुड लेंथ से बाहर की तरफ़ निकाला और गेंद बल्ले को चूमकर दूसरे स्लिप में अब्दुल समद के हाथों में समा गई।
इसके बाद नबी ने पुरानी गेंद से अपनी जादूग़री दिखाई। 61वें ओवर में वह फिर से बाएं हाथ के अनुज रावत के लिए राउंड द विकेट से आए, गेंद को फिर से गुड लेंथ से बाहर निकाला और इस बार फिर से गेंद, बल्लेबाज़ के बाहरी किनारे को छूकर स्लिप में कैच के लिए चली गई। इस बार समद पहले स्लिप में खड़े थे और उन्होंने फिर से कोई ग़लती नहीं की।
अगले ओवर में दाएं हाथ के ऋतिक शौकीन के लिए उन्होंने फिर से गुड लेंथ का टप्पा पकड़ा, गेंद फिर से बाहर निकली। गेंद को छोड़ने का मन बना चुके शौकीन को गेंद को खेलने के लिए मज़बूर किया और इस बार कीपर ने कोई ग़लती नहीं की। अगली गेंद पर उन्होंने डेब्यू कर रहे मनन भारद्वाज को इनस्विंगिग यॉर्कर पर पगबाधा आउट किया। इसके छह ओवरों बाद उन्होंने मनी ग्रेवाल को स्लिप में कैच कराकर अपना 12वां पंजा पूरा किया।
नबी कहते हैं, "इस विकेट पर गेंदबाज़ों के लिए कुछ नहीं था। नई गेंद से थोड़ी हरकतें होने के बाद पिच फ़्लैट हो गया था। इसलिए इस विकेट के हिसाब से हमें कुछ करना था और हम रिवर्स (स्विंग) ही कर सकते थे ताकि गेंद फिर से कुछ हरकतें करे। मैंने वही किया। नई गेंद हो या पुरानी गेंद, आपको अपना बेसिक्स स्पष्ट और मज़बूत रखना होता है। आपको अच्छी एरियाज़ में गेंद डालनी होती है और फिर आपको परिणाम मिलने लगते हैं।"
नबी शुरुआत में सिर्फ़ एक आउटस्विंग गेंदबाज़ थे, लेकिन उन्होंने अपने अनुभव के ज़रिए अपने तरकश में कई और तीर जोड़े हैं। वह कहते हैं, "मुझे आउटस्विंग कराना नैसर्गिक रूप से आता था, लेकिन इनस्विंग कराना मुझे खेल-खेलकर ही आया है। मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की थी, बहुत अभ्यास किया था, अलग से ड्रिल्स किए थे, जिसका मुझे काफ़ी फ़ायदा हुआ। आप जितना ज़्यादा खेलोगे, उतना ही ज़्यादा सिखोगे।"
नबी इसके अलावा जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज की गेंदबाज़ी वीडियोज़ देख-देखकर भी सीखते हैं। उनका मानना है कि भारतीय विकेटों पर इन गेंदबाज़ों से बेहतर कोई नहीं है क्योंकि भारत में तेज़ गेंदबाज़ों को उतनी मदद नहीं मिलती है। उन्होंने इनके वीडियोज़ देखकर फ़्लैट विकेटों पर छाप छोड़ने वाली गेंदबाज़ी करना सीखा है।
नबी के इन पिछले दो साल के उभार में जम्मू और कश्मीर के वर्तमान गेंदबाज़ी कोच और राजस्थान के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ पी कृष्ण कुमार का भी बड़ा हाथ रहा है।
नबी बताते हैं, "ऑफ़ सीज़न में हमारे कैंप होते हैं, जिसमें मेरी कोच कृष्ण कुमार सर से लगातार बात होती है कि पिछले सीज़न में क्या हुआ, किन चीज़ों पर काम किया जा सकता है और क्या कुछ नया कर सकते हैं? इससे भी मुझे काफ़ी मदद मिली है। मेरा रिस्ट पोज़िशन पहले से ही सही था लेकिन कृष्णा सर ने मुझे सीम पोज़िशन के बारे में बताया कि कैसे सीम को पकड़ना है, रिलीज़ प्वाइंट क्या होनी चाहिए। यह सब छोटी-छोटी चीज़ें हैं, लेकिन इससे बहुत फ़र्क पड़ता है। इससे पहले इरफ़ान पठान सर हमारे मेंटॉर थे। इन कोचेज़ के सुझावों से भी मुझे बहुत मदद मिली है और मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।"
नबी भले ही पिछले दो सीज़न से भारत के सर्वश्रेष्ठ घरेलू तेज़ गेंदबाज़ बनकर उभरे हैं, लेकिन उन्हें हाल ही के ऑस्ट्रेलिया ए और साउथ अफ़्रीका ए के ख़िलाफ़ सीरीज़ में भारत ए की टीम में जगह नहीं मिली। इसके अलावा वह ईरानी कप में रेस्ट ऑफ़ इंडिया का भी हिस्सा नहीं थे और उनके पास किसी भी IPL टीम का कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। हालांकि 29-वर्षीय नबी इन चीज़ों से विचलित नहीं होने वाले। एक दार्शनिक की तरह वह कहते हैं, "मैं इन सबके बारे में ज़्यादा आगे की नहीं सोचता। जो मेरे हाथ में है, वह कर रहा हूं। बाक़ी देखने वाले, देख रहे हैं।"

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95