शनिवार को डबल हेडर के पहले मुक़ाबले में लखनऊ सुपर जायंट्स और गुजरात टाइटंस की टीम एक दूसरे से भिड़ी। यह मुक़ाबला दो भाईयों (क्रुणाल पंड्या-हार्दिक पंड्या) और दो जिगरी दोस्तों (हार्दिक पंड्या-केएल राहुल) के बीच भी था, जिसमें अंत में हार्दिक ही सबसे भाग्यशाली साबित हुए। क्रुणाल ने ऑलराउंड खेल दिखाया, राहुल ने अर्धशतक लगाया, लेकिन अंत में हार्दिक ही विजेता थे। गुजरात ने अंतिम गेंद तक चले मुक़ाबले में सात रन से जीत हासिल की और आठ अंकों के साथ अंक तालिका के शीर्ष चार में जगह बनाई। आइए देखते हैं कि इस मैच में दोनों टीमों को किस क्षेत्र में कौन सा ग्रेड मिलता है।
लखनऊ (B-) : लखनऊ के बल्लेबाज़ों ने शुरुआत में तेज़ी से रन बनाए थे और ऐसा लग रहा था कि 15 ओवर में ही कम स्कोरिंग वाला मैच ख़त्म हो सकता है। लेकिन यह मैच अंतिम ओवर तक गया और अंत में वे हारने वाली टीम में शामिल थे। लखनऊ की धीमी पिच पर दोनों टीम के बल्लेबाज़ संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे थे। हालांकि लखनऊ के शुरुआती बल्लेबाज़ों ने दिखाया कि क्यों यह उनका होमग्राउंड है। उन्हें पता था कि पिच से रुककर आ रही गेंदों पर कब और कौन सा शॉट खेलना है। राहुल, काइल मेयर्स और क्रुणाल ने राशिद ख़ान जैसे स्पिनरों को भी निष्प्रभावी बनाया, जिन्होंने इस पिच पर चार ओवर में 33 रन दिए और उन्हें सिर्फ़ एक विकेट नसीब हुआ। हालांकि जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा लखनऊ के बल्लेबाज़ भी संघर्ष करते हुए दिखाई दिए और मैच अंतिम गेंद तक पहुंचा। अर्धशतक लगाने वाले राहुल ने अपनी पहली 30 गेंदों पर आठ चौकों की मदद से 46 रन बनाए थे, जबकि अंतिम 31 गेंदों पर वह सिर्फ़ 22 रन ही बना सके, जिसमें एक भी बाउंड्री नहीं थी। अंत में जब टीम को सबसे अधिक ज़रूरत थी, तब वह और उनके साथी बल्लेबाज़ विकेट फेंकते हुए चलते बने। लखनऊ ने अंत के छह ओवरों में सिर्फ़ 23 रन बनाए, जो कि आईपीएल इतिहास के डेथ ओवरों में सबसे कम स्कोर है।
गुजरात (B) : हार्दिक ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया था, लेकिन ऋद्धिमान साहा और हार्दिक को छोड़कर उनके बल्लेबाज़ों ने इस फ़ैसले को ग़लत साबित किया। रुककर आती धीमी पिच पर उनके बल्लेबाज़ संघर्ष करते नज़र आए और रन बनाने में उन्हें ख़ासा दिक्कत का सामना करना पड़ा। शॉट खेलने में उन्हें कठिनाई हो रही थी और जब उन्होंने हाथ खोले तो उन्हें अपना विकेट गंवाना पड़ा। लखनऊ के सिर्फ़ स्पिनरों ने ही नहीं बल्कि तेज़ गेंदबाज़ों ने भी अपनी धीमी गति की गेंदों से गुजरात के बल्लेबाज़ों को बांधे रखा।
लखनऊ (B+) : लखनऊ का यह होमग्राउंड है और उनके गेंदबाज़ों को पता है कि इस सतह पर किस तरीक़े से गेंदबाज़ी करना है। क्रुणाल को दूसरे ही ओवर में आक्रमण पर लगाया गया था और उन्होंने अपने कप्तान के भरोसे का सम्मान रखते हुए उसी ओवर में ही विकेट निकाला। उनकी गेंदों पर रन बनाना आसान नहीं था। बाद में जब अमित मिश्रा आए तो उन्होंने भी अपनी लेग ब्रेक और फ़्लाइटेड गुगली गेंदों से गुजरात के आक्रामक बल्लेबाज़ों को परेशान किया। रही-सही कसर आख़िरी के ओवरों में नवीन-उल-हक़ ने धीमी गेंदों से कर दी। लखनऊ की टीम अपने लेग स्पिनर रवि बिश्नोई के प्रदर्शन से ज़रूर निराश होगी, जो स्पिन के मददगार पिच पर भी ख़र्चीले साबित हुए और विकेट लेने में भी नाक़ामयाब रहे।
गुजरात (A) : गुजरात ने पिच की धीमी प्रकृति को देखते हुए एक अन्य स्पिनर जयंत यादव को इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर उतारा था, जबकि एकादश में पहले से ही दाएं हाथ के कलाई के स्पिनर नूर मोहम्मद एक तेज़ गेंदबाज़ की जगह शामिल थे। तीन अलग-अलग तरह के स्पिनर्स होने का उन्हें फ़ायदा मिला और लखनऊ के बल्लेबाज़ उन पर तेज़ी से रन नहीं बना पाए। यहां तक कि राहुल तेवतिया को भी एक ओवर दिया गया। स्पिनरों के बाद जब तेज़ गेंदबाज़ों को अपना करना था, तब उन्होंने भी ज़िम्मेदारी उठाते हुए कुछ अच्छे स्लोअर गेंद किए। मोहित शर्मा का अंतिम ओवर तो बार-बार देखा जाना चाहिए, जहां उन्होंने रन भी नहीं दिया और महत्वपूर्ण विकेट भी लिए।
लखनऊ (B-) : इस मैच में लखनऊ की रणनीति पर भी सवाल उठाए जाने चाहिए। महंगे साबित हो रहे रवि बिश्नोई से कोटे के पूरे ओवर कराकर अमित मिश्रा को दो ही ओवर बाद इंपैक्ट सब्सिट्यूट के रूप में बाहर करना समझ से परे रहा। हालांकि क्रुणाल पंड्या को दूसरे ओवर में ही लाना हो या फिर मार्कस स्टॉयनिस को आख़िरी ओवर देना हो, यहां पर केएल राहुल सही साबित हुए। उधर क्षेत्ररक्षण में लखनऊ की टीम ने कोई ग़लतियां नहीं की और एक भी कैच नहीं टपकाया।
गुजरात (B) : इस क्षेत्र में गुजरात की टीम को सबसे कम अंक मिलने चाहिए। कम रन का बचाव करने उतरी गुजरात की टीम के गेंदबाज़ों ने जब कोई मौक़ा दिया, तो क्षेत्ररक्षकों ने गंवा दिया। पहली बार यह काम अभिनव मनोहर ने किया, जब राशिद की गेंद पर लांग लेग पर उन्होंने क्रुणाल का एक आसान सा कैच गंवाया। क्रुणाल उस समय सिर्फ़ छह रन पर थे, इसके बाद उन्होंने 21 और महत्वपूर्ण रन बनाए। इसके बाद जयंत की गेंद पर लांग ऑन पर विजय शंकर ने राहुल का कैच छोड़ा, जब वह 56 रन पर थे। उस समय खेल की गति धीमी हुई थी और यह कैच महत्वपूर्ण हो सकता था। इसी तरह मोहित शर्मा भी अपनी स्लोअर गेंदों से लखनऊ के बल्लेबाज़ों को परेशान कर सकते थे, लेकिन उन्हें शुरुआत में लगातार ओवर नहीं दिए गए। हां, जब अंतिम ओवर में उन्हें मौक़ा मिला, तो उन्होंने दिखाया कि वे इसके सिकंदर हैं।