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पांडे की हालिया वापसी - एक छोटा जुड़ाव है, दीर्घकालिक योजना नहीं

श्रीलंका दौरे के बाद वनडे का नियमित खिलाड़ी बनने के लिए पांडे को अय्यर, यादव और किशन को पछाड़ना होगा

श्रीलंका दौरे से टीम इंडिया में दोबारा वापसी कर रहे हैं मनीष पांडे  •  BCCI

श्रीलंका दौरे से टीम इंडिया में दोबारा वापसी कर रहे हैं मनीष पांडे  •  BCCI

टीम इंडिया की रंगीन जर्सी में अगर मनीष पांडे की कोई यादगार पारी है, तो वह 2016 सिडनी में उनकी नाबाद 104 रन की पारी है, जब भारतीय टीम ने 331 रनों का पीछा करके ऑस्‍ट्रेलिया के हाथों 0-5 से मिलने वाली हार को बचा लिया था। यह पांडे का मात्र चौथा वनडे था। यह मौका उन्हें 2009 आईपीएल में शतक लगाने वाले पहला भारतीय बनने के सात साल बाद मिली था।
यह एक तरह से ब्रेकथ्रू पारी थी, क्योंकि तब भारतीय बल्लेबाजी क्रम में रोहित शर्मा, शिखर धवन, विराट कोहली और कप्तान एमएस धोनी जैसे बड़े नाम थे और इससे अलग थोड़ा सा बल्लेबाजी क्रम। इस पारी पर धोनी ने कहा था कि आपको स्थिर होने के लिए 15 मुकाबले अतिरिक्त मिलते हैं और आप वो शुरूआत कर पाते हो जिसकी आपको जरूरत होती है।
15 वनडे मिलने के बाद आप बता सकेंगे कि 50 ओवर क्रिकेट उन्हें भाता है या नहीं। लगातार मुकाबले खेलने का सपना पांडे का अभी अधूरा ही रहा है, जिन्होंने पांच मौकों पर अब तक कुल 26 मैच ही खेले हैं, लेकिन हैरानी की बात नहीं है यह अभी तक भी खत्म नहीं हुआ है। रविवार से शुरू हो रहे श्रीलंका दौरे पर पांडे एक और कमबैक के लिए तैयार हैं। ऐसे वक्त पर जब एक साल पहले ही बीसीसीआई ने उन्हें केंद्रीय करार से बाहर कर दिया था, क्योंकि तब वह चोट के कारण विजय हजारे ट्रॉफी नहीं खेल पाए और आईपीएल में वापसी करने पर उनके नंबर कुछ खास नहीं थे।
पांडे ने सिडनी मैच के बाद आठ और मुकाबले खेले। जिंबाब्वे में तीन मैचों के दौरान वह पूरे दौरे पर वह दो ही गेंद खेल सके। इसके बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच मैचों की घरेलू सीरीज में उन्हें खेलने का मौका मिला। यह भारत के लिए उनकी पहली फुल सीरीज थी। 2017 चैंपियंस ट्रॉफी के ठीक पहले तैयारियों के तौर पर इस सीरीज को देखा जा रहा था।
पांडे ने नंबर चार के बल्लेबाज के तौर पर सीरीज में शुरुआत की, वह अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में नहीं बदल पाए। अगले तीन मैचों में उन्हें पांचवें और छठे नंबर पर इस्तेमाल किया गया और तीसरे वनडे में विराट के साथ लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होंने नाबाद 28 रन बनाए, जो सीरीज में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा। पांचवें वनडे में वह खाता भी नहीं खोल सके। यह अक्टूबर 2016 था, और अगले एक साल तक वह एक भी मैच नहीं खेल सके। इस बीच कोहली ने भारतीय टीम की कप्तानी ले ली और वह 35 वर्षीय युवराज सिंह को टीम में लेकर आए और चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने से पहले एक शानदार वापसी की। पांडे को चोट लग गई और मध्य क्रम में पड़े दो खाली स्थान युवराज और केदार जाधव ने ​ले लिए।
अक्टूबर 2017 में श्रीलंका दौरे पर पांडे ने भारतीय टीम में वापसी की। वह अंतिम दो वनडे खेले और जहां उन्होंने चौथे वनडे में धोनी के साथ 101 रन की साझेदारी करते हुए 42 गेंद में नाबाद 50 रन बनाए। पांचवें वनडे में उन्होंने कोहली के साथ 99 रनों की साझेदारी की और 36 रन बनाए।
इस प्रदर्शन से उन्हें भारत के लिए दूसरी बार पूरी सीरीज में खेलने का मौका मिला। यह ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ घर में पांच मैचों की सीरीज थी। एक बार दोबारा, पांडे ने नंबर चार पर शुरुआत की और सफल नहीं हुए। नंबर छह पर धकेलने से पहले उन्होंने अहम 30 रन बनाए। एक बार लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत दिलाने में और दूसरा जहां भारत बेहद कम अंतर से मैच हार गया।
अगले ही म​हीने न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में उन्हें अंतिम 11 से बाहर कर दिया गया। उनकी जगह दिनेश कार्तिक ने ​ले ली। इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ घर में उन्हें तीन मैच खेलने को मिले। एक में उनकी बल्लेबाजी आई और वह 2 रन ही बना सके। धर्मशाला में हुए इस मुकाबले में भारतीय टीम ने 29 रन पर सात विकेट गंवा दिए थे।
इस सीरीज के बाद पांडे ने भारत के लिए चार मैच खेले, तीन मुकाबले ऑस्‍ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ थे। 2019 में विश्व कप टीम में जगह बनाने की रेस से वह बाहर हो गए, जहां टीम प्रबंधन ने श्रेयस अय्यर और ऋषभ पंत को तरजीह दी। 2019 विश्व कप की तैयारियों वाले साल में भारतीय टीम ने नंबर चार पर सात बल्लेबाजों को परखा, लेकिन उनमें से एक नहीं थे। वह उस दौरान मात्र एक ही मैच खेल सके, वह एशिया कप का मैच था।
उनकी वापसी का मुख्य कारण यह है कि 2015 से लिस्ट ए में उन्होंने 83 मैचों में 60.28 के औसत और 95.93 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। जिससे चयनकर्ताओं को थोड़ा विकल्प मिला लेकिन वह उनके दिमाग में रहे। पैटर्न सेट हो गया था क्योंकि वह घरेलू क्रिकेट में अपने दमदार प्रदर्शन से टीम से हटाए नहीं जा सकते, लेकिन कई कारणों से अंतिम 11 में जगह नहीं बना सके और उसके बाद एक बार दोबारा घरेलू सर्किट में ढेरों रन बना देते।
सिडनी में उस शतक के बाद से 18 वनडे पारियों में उनका औसत 25.91 का है। यह उस अनिश्चितता का परिणाम है या अनिश्चितता उनके प्रदर्शन का परिणाम है?
इंटरनेट पर मीडिया के साथ पांडे की ज्यादा बातचीत भी नहीं है। जो मौजूद हैं, उसमें वह खुद को मानसिक तौर पर मजबूत रखने की कोशिश कर रहे है और ज्यादा आगे की नहीं सोच रहे हैं और इस बात को कबूल करना कि खुद के रोल में भारतीय इलेवन में जगह बनाने के लिए यह सबसे मुश्किल दौर है। 2018 में भारत के साउथ अफ्रीका दौरे के दौरे के दौरान उन्होंने मजाक में कहा था कि अनिश्चितता के लिए उन्हें डॉक्टर को दिखाना होगा।
आ​खिर क्या हुआ या वास्तव में क्या रणनीति थी यह समझ पाना मुश्किल है क्योंकि भारत की चयन पॉलिसी खुद बेतरतीब है, खासतौर पर जब बड़े टूर्नामेंट पास हों। 2017 में युवराज की वापसी भी एक प्वाइंट है। जहां मैसेज दिया गया कि अनुभवी खिलाड़ी एक बेहतरीन विकल्प है और उनको चुनने में कोई शंका नहीं है, लेकिन 2019 विश्व कप से पहले यही अंबाती रायुडू के खिलाफ चला गया। इन दो टूर्नामेंट के बीच में अजिंक्य रहाणे और सुरेश रैना जैसे बल्लेबाजों ने खुद को इस मिश्रण में पाया जबकि आईपीएल के प्रदर्शन को भी वनडे चयन के रूप में देखा जाने लगा।
भारत के सर्वश्रेष्ठ 25 खिलाड़ी इंग्लैंड में होने पर पांडे की वापसी एक और छोटा जुड़ाव है। यह एक भाग्यशाली ब्रेक है। जिस तरह से उनका करियर चला गया है, उसे देखते हुए आप उनसे नाराज नहीं होंगे। ऐसा नहीं लगता है कि वह एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा हैं। सीमित ओवर सीरीज इस दोरे पर खेलने के अलावा उन्हें अय्यर, सूर्यकुमार यादव और इशान किशन को पीछे छोड़ना होगा।
शायद, टी20 विश्व कप वाले साल में उन्हें यह मैच समय देने का प्रयास है। ऐसा प्रारूप जिसमें मौजूदा फॉर्म दीर्घकालिक योजना को रौंद देता है, लेकिन पिछले पांच वर्षों के दौरान किसी भी अन्य बिंदु की तरह, अनिश्चितता बनी हुई है।

वरुण शेट्टी ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।