जाडेजा: मैं वनडे क्रिकेट खेलना चाहता हूं, विश्व कप जीतने के अधूरे सपने को पूरा करना चाहता हूं
		
			
रवींद्र जाडेजा ने जब आख़िरी बार कोई वनडे टूर्नामेंट खेला था, तो भारतीय टीम ने चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीती थी। बल्ले से उनको उतना मौक़ा तो नहीं मिला, लेकिन गेंद से पांच विकेट लेकर उन्होंने इस ख़िताबी जीत में एक अहम भूमिका निभाई थी। इससे पहले उन्होंने फ़रवरी में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दो वनडे मैचों में छह विकेट लिए थे।
हालांकि उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ इसी महीने होने वाले वनडे सीरीज़ के लिए जगह नहीं मिली है। जब जाडेजा से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैं यह सीरीज़ खेलना चाहता था, लेकिन टीम प्रबंधन का विचार कुछ और था। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस बारे में मुझसे बात नहीं की गई और अचानक से टीम चयन के वक़्त ही मुझे यह पता लगा। चयनकर्ता, कोच और कप्तान ने मुझसे बात की और मुझे इस फ़ैसले के कारणों के बारे में बताया। हालांकि मैं वनडे क्रिकेट खेलना चाहता हूं और जब भी मुझे फिर से मौक़ा मिलेगा, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा और वही करूंगा जो मैं इतने सालों से करता आया हूं।"
क्या वह 2027 का विश्व कप खेलना चाहते हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह विश्व कप ना सिर्फ़ खेलना चाहते हैं, बल्कि उसे जीतकर 2023 के अधूरे सपने को पूरा भी करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह अपनी टीम के लिए विश्व कप जीते। पिछली बार हम थोड़ा पीछे रह गए थे, उम्मीद है कि अगली बार हम वह अधूरा काम पूरा कर सकेंगे।"
वनडे विश्व कप 2023 के बाद से जाडेजा को सिर्फ़ दो वनडे सीरीज़ में खेलने का मौक़ा मिला है। T20 विश्व कप 2024 जीत के बाद उन्होंने T20I से संन्यास ले लिया था। हालांकि इस दौरान वह भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रर्दशन कर रहे हैं। उन्होंने इंग्लैंड में पांच मैचों में पांच अर्धशतक और एक शतक के साथ 516 रन बनाए, जबकि अपनी बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाज़ी से सात विकेट लिए।
वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ पहले मैच में उन्होंने चार विकेट लिए, जबकि शतक भी लगाया। इसके बाद दिल्ली टेस्ट में उन्हें जब गेंदबाज़ी मिली तो उन्होंने वेस्टइंडीज़ के चार विकेटों में से तीन विकेट ले लिए हैं। इस सीरीज़ में उन्हें भारतीय टेस्ट टीम की उपकप्तानी भी मिली है। हालांकि उनका कहना है कि वह अपने करियर के उस पड़ाव पर हैं कि कप्तानी या उपकप्तानी के बारे में उतना नहीं सोच रहे, बल्कि टीम को अपना शत प्रतिशत देने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "मेरी नज़र में अब कप्तानी और उपकप्तानी के बारे में सोचने का समय चला गया है। अभी मैं जितना हो सके, जितनी टीम की ज़रूरत हो, उसे पूरा करना चाहता हूं, फिर चाहे बल्लेबाज़ी हो या गेंदबाज़ी। अगर कोई युवा खिलाड़ी मेरे पास आता है तो मैं उससे अपने अनुभव साझा करता हूं। कुलदीप (यादव) मुझे गेंदबाज़ी के बारे में पूछता है, तो जो मुझे पता है, मैं वह अपने हिसाब से बताता हूं। (यशस्वी) जायसवाल कई बार मुझसे कुछ बल्लेबाज़ी के बारे में पूछता है, तो मैं उससे भी बात करता हूं।
"मैं उन्हें अपना अनुभव बताता हूं कि पिच और परिस्थिति के हिसाब से क्या सोच रखनी चाहिए। कप्तान या सीनियर होने के बावजूद मेरा ध्यान हमेशा टीम की ज़रूरत पर रहता है, चाहे बल्लेबाज़ी हो या गेंदबाज़ी। इसके अलावा अब मैं व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स के बारे में भी ज़्यादा नहीं सोचता। कभी-कभी इन सब चीज़ों पर ध्यान जाता है, लेकिन किसी प्रदर्शन के असली मायने तब हैं, जब आप टीम की जीत में योगदान दो।"
36 साल की उम्र में जब जाडेजा के बाक़ी दो साथी खिलाड़ी रोहित शर्मा और विराट कोहली क्रिकेट के दो फ़ॉर्मैट से संन्यास ले चुके हैं, यह ऑलराउंडर बस अपने खेल का लुत्फ़ उठाने के बारे में सोच रहा है। उन्होंने कहा, "जिसका समय अच्छा चलता है, वह मैं करता हूं। इंग्लैंड में बल्लेबाज़ी अच्छी चल रही थी तो मैं उसका लुत्फ़ उठा रहा था। अगर यहां गेंदबाज़ी में मुझे अधिक मौक़े मिलेंगे, तो मैं अपनी गेंदबाज़ी का लुत्फ़ उठाने की कोशिश करूंगा। अगर आप मेरी पसंद पूछेंगे तो मेरी च्वाइस बस टीम में बने रहने की है। मैं बस अपना काम करते रहना चाहता हूं, वह फिर चाहे बल्लेबाज़ी हो या गेंदबाज़ी।"
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95