रॉड्रिग्स: एक महीने की एंग्जायटी के बाद यह एक सपने जैसा लगा

ESPNcricinfo स्टाफ़

जेमिमाह रॉड्रिग्स भारत को जीत दिलाने के बाद भावुक नज़र आईं © ICC/Getty Images

नवी मुंबई की ऐतिहासिक रात में, जेमिमाह रॉड्रिग्स ने कहा कि मौजूदा चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारत को महिला विश्व कप के फ़ाइनल में पहुंचाने वाली उनकी शतकीय पारी "एक सपने जैसी" लगी। ख़ासकर उस मुश्किल महीने के बाद जिसमें उन्होंने "काफी चिंता और बेचैनी" झेली थी।

भावुक रॉड्रिग्स ने जीत के बाद कहा, "आज यह मेरे 50 या 100 रन की बात नहीं थी, आज बस भारत को जिताना था। मुझे पता था कि मुझे कुछ मौक़े मिले, लेकिन मुझे लगा कि भगवान ने सब कुछ लिखा हुआ था। मैं मानती हूं कि अगर आप सही इरादे से सही काम करते हैं, तो वो हमेशा आशीर्वाद देते हैं। मुझे लगता है जो कुछ भी हुआ, वह ब इसी पल के लिए सेटअप था। यह महीना बहुत कठिन था। यह सब एक सपना जैसा लगता है और अब तक विश्वास नहीं हो रहा।"

भारत ने महिलाओं के वनडे इतिहास में सबसे बड़ा लक्ष्य 339 रन सफलतापूर्वक हासिल किया है। रॉड्रिग्स ने नंबर 3 पर दूसरे ओवर में बल्लेबाज़ी शुरू की और अंत तक नाबाद रहीं। उन्होंने 134 गेंदों में नाबाद 127 रन बनाए और भारत ने नौ गेंदें शेष रहते 5 विकेट से जीत दर्ज की।

रॉड्रिग्स ने बताया कि उन्हें बहुत देर तक यह नहीं पता था कि वह नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने उतरेंगी। उन्होंने कहा, "मुझे लगा था कि मैं नंबर पांच पर जाऊंगी। मैं नहा रही थी और तभी टीम मीटिंग चल रही थी। मैंने कहा बता देना। मैच शुरू होने से पांच मिनट पहले मुझे बताया गया कि मैं नंबर तीन पर जाऊंगी।"

"लेकिन मैंने अपने बारे में नहीं सोचा। यह मेरे लिए ख़ुद को साबित करने का मौक़ा नहीं था, बल्कि भारत को जीत दिलाने का था क्योंकि हम कई बार अहम मौक़ों पर हार चुके हैं। मैंने सोचा कि मुझे आख़िर तक डटे रहना है और टीम को जीत दिलानी है।"

उन्होंने आगे कहा, "पिछली बार (2022 में) मुझे विश्व कप से बाहर कर दिया गया था। इस बार मैंने सोचा कि बस कोशिश करूंगी। लेकिन चीज़ें लगातार बिगड़ती चली गईं और मेरे हाथ में कुछ नहीं था। सौभाग्य से मेरे आसपास कुछ अद्भुत लोग थे जिन्होंने मुझ पर विश्वास रखा। मैं इस पूरे दौरे में लगभग हर दिन रोई हूं। मानसिक रूप से बहुत मुश्किल दौर था, काफ़ी चिंता रहती थी। टीम से बाहर होना भी एक और झटका था। मैं बस मैदान पर उपस्थित रहना चाहती थी। बाक़ी सब भगवान ने संभाल लिया।"

रॉड्रिग्स पूरी पारी में ख़ुद से बातें करती नज़र आईं। उन्होंने कहा, "शुरुआत में मैं खुद से बातें कर रही थी, लेकिन आख़िर में जब थक गई, ऊर्जा खत्म हो गई, तब मैं बाइबल की एक पंक्ति दोहरा रही थी। 'बस स्थिर रहो, भगवान तुम्हारे लिए लड़ेंगे' और वही हुआ, उन्होंने मेरे लिए लड़ाई लड़ी।"

भारत ने पावरप्ले में दोनों ओपनर गंवा दिए थे, लेकिन रॉड्रिग्स और कप्तान हरमनप्रीत कौर ने तीसरे विकेट के लिए 167 रन की साझेदारी की। उन्होंने कहा, "जब हैरी दी (हरमनप्रीत) आईं, हमने बस यही कहा कि एक लंबी साझेदारी चाहिए। रन अपने आप आएंगे। बाद में जब दीप्ति आईं तो उन्होंने मुझे लगातार बातों से मोटिवेट किया। ऋचा आईं तो उन्होंने माहौल हल्का रखा। मैं बहुत धन्य हूं कि जब मैं ख़ुद नहीं संभल पाती, तो मेरे साथी मुझे आगे बढ़ाते हैं। मैं इसका श्रेय अकेले नहीं ले सकती।"

जीत के लम्हे पर रॉड्रिग्स ने कहा, "यह मुश्किल था लेकिन मैंने कोशिश की कि आख़िरी गेंद तक शांत रहूं। जैसे ही स्क्रीन पर देखा 'भारत पांच विकेट से जीता', मैं ख़ुद को रोक नहीं पाई। नवी मुंबई मेरे लिए हमेशा ख़ास रहा है और इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता था। मैं हर उस दर्शक को धन्यवाद देना चाहती हूं जिसने हमें तब भी चियर किया जब हम मुश्किल में थे।"

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