शेफ़ाली : सेमीफ़ाइनल के बाद मेरी अगली दो रात रोते हुए बीती
भारतीय महिला टीम के विश्व कप जीते हुए एक महीने से ऊपर का समय हो चुका है, लेकिन शेफ़ाली वर्मा की व्यस्तता ऐसी है कि वह अपने घर सिर्फ़ एक बार जा पाई हैं। विश्व कप जीतने के 10-12 दिन बाद वह अपने माता-पिता से पहली बार मिल पाईं और अभी भी वह उस घड़ी का इंतज़ार कर रही हैं कि वह अपने घर, अपने कमरे में लंबा समय बिता पाएं, जहां पर उनका विश्व कप मेडल और फ़ाइनल का प्लेयर ऑफ़ द मैच अवार्ड उनके घर की शोभा बढ़ा रहा है।
ESPNcricinfo से बात करते हुए शेफ़ाली कहती हैं, "विश्व कप जीत के बाद ज़िंदगी काफ़ी बदल गई है और हमें बहुत पहचान मिल रही है। बहुत सारे ब्रैंड्स से कोलैब्रेशन मिल रहे हैं और काफ़ी रियालटी शोज़ में हिस्सा लेने का मौक़ा मिल रहा है। सबसे बड़ी बात कि मुझे 'कौन बनेगा करोड़पति (KBC)' में जाने और अमिताभ बच्चन सर से मिलने का मौक़ा मिला, जिसके अनुभव को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। इस शो को मैं बचपन से देखती आई हूं। ये सब काफ़ी अलग अनुभव और फ़ीलिंग हैं और मैं इसको इन्जॉय कर रही हूं।
शेफ़ाली की व्यस्तताएं ना सिर्फ़ प्रोफ़ेशनल हैं, बल्कि उन्होंने इस जीत के बाद अपने आपको भी थोड़ा सा समय दिया है और ख़ुद को कुछ ऐसा गिफ़्ट किया है, जो कि लंबे समय से उनके बकेट लिस्ट में शामिल था।
वह कहती हैं, "अभी हाल फ़िलहाल में वह सब हो रहा है, जो मैं करना चाहती थी। जैसे मैं कभी भी छुट्टियां बिताने विदेश नहीं गई थीं। सच बात तो यह है कि जब से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया है, तब से मैंने छुट्टियां कभी ली ही नहीं हैं। इसलिए विश्व कप जीत के बाद मैं पहली बार बाली (इंडोनेशिया) गईं, जो मेरे बकेट लिस्ट में बहुत लंबे समय से शामिल था। यह मेरी ज़िंदगी की पहली छुट्टियां थीं और मैंने यह ख़ुद को गिफ़्ट किया है।"
विश्व कप के लिए जब भारतीय टीम का चयन हुआ था, तो शेफ़ाली का नाम रिज़र्व खिलाड़ियों में भी नहीं था। जब विश्व कप चल रहा था, तब वह अपने राज्य हरियाणा के लिए सीनियर घरेलू T20 टूर्नामेंट खेलने के लिए सूरत में थीं और विश्व कप मैचों को फ़ॉलो भी नहीं कर रही थीं।
शेफ़ाली कहती हैं, "विश्व कप टीम में ना होना मेरे करियर के सबसे दुखद पलों में से एक था। चूंकि घर में विश्व कप हो रहा था, इसलिए यह दु:ख थोड़ा ज़्यादा ही था। वे मेरे ज़िंदगी के कुछ कठिन पलों में से एक थे। लेकिन सारी चीज़ों को स्वीकार कर मैं अपने आप पर कड़ी मेहनत करती रही। मैंने विश्व कप का सिर्फ़ एक मैच देखा था और सच बताऊं तो उस समय मैं सिर्फ़ अपने आप और अपनी घरेलू टीम पर ध्यान दे रही थी। मैं वर्तमान में जी रही थी और अपना प्रदर्शन कैसे बेहतर करना है, इस पर मेरा पूरा ज़ोर था।"
शेफ़ाली सीनियर घरेलू T20 टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी थी और उन्हें कहीं से भी यह आभास नहीं था कि उन्हें विश्व कप से बुलावा आएगा। लेकिन जब विश्व कप का बुलावा आया तभी उन्होंने ठान लिया कि अब कुछ ऐसा करना है कि उसे दुनिया याद रखे।
उन्होंने बताया, "जब मुझे कॉल आया मैं उस समय अपनी बचपन की दोस्त ज्योति यादव के साथ बैठी थी। मैंने सबसे पहले उसको बताया, तो उसने बोला कि यही मौक़ा है कि मैं दुनिया को दिखाऊं कि मैं अपनी मेहनत से अपनी टीम के लिए क्या कर सकती हूं। मेरे दिमाग़ में भी बस यह था कि मैं इसमें अच्छा करूंगी। इसके बाद जल्दी से मैंने अपने आप को स्विच करने की कोशिश की।
"मैं सीधे घरेलू मैच से विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में खेलने जा रही थी। घरेलू मैचों में ना उतना दबाव होता है और ना दर्शक होते हैं। इसलिए मैंने अपनी पूरी तैयारी की। सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल से पहले मैने लंबे-लंबे नेट सेशन किए ताकि मैं वह दबाव हैंडल करने के माइंडसेट में आ सकूं। हालांकि जब सेमीफ़ाइनल में अच्छा नहीं हुआ तो अगली दो रात रोते हुए और ओवरथिंकिंग करते हुए बीती।"
सेमीफ़ाइनल में फ़ेल होने के बाद शेफ़ाली ने फ़ाइनल में ना सिर्फ़ 87 रन बनाकर एक चुनौतीपूर्ण स्कोर की नींव रखी, बल्कि दो महत्वपूर्ण विकेट लेकर फ़ाइनल की प्लेयर ऑफ़ द मैच बनीं।
वह कहती हैं, "जब मैं फ़ाइनल में गईं और अपना पहला क़दम बाउंड्री से आगे निकाला तभी मैंने अपने आप को बोला कि रो भी लिया, ओवरथिंकिंग भी कर लिया, लेकिन अब अपने खेल को प्रदर्शन में तब्दील करने का समय है। फ़ाइनल से पहले ख़ूब बारिश आ रही थी, तो मैच में देरी भी हो रही थी। बारिश के कारण विकेट थोड़ा स्टिकी भी हो गया था, इसलिए मैं सोच रही थी कि जितना हो सके ज़मीन के सहारे शॉट खेलने की कोशिश करना है और पिच पर अधिक से अधिक समय बिताना है, ताकि जब विकेट अच्छा हो तो उसका फ़ायदा उठाने के लिए मैं क्रीज़ पर रहूं। यही बात मेरी स्मृति (मांधना) दी से हुई थी कि अगर पिच पर समय बिता लें तो रन अपने आप आते जाएंगे।"
ख़ैर, दोनों ने जो सोचा था वैसा हुआ भी। दोनों ने 17.4 ओवरों तक एक साथ पिच पर समय बिताया और एक शतकीय साझेदारी कर फ़ाइनल जैसे मैच में भारत को बेहतरीन शुरुआत दी। हालांकि मैच यही ख़त्म नहीं हुआ था। भारत के 298 रनों के जवाब में साउथ अफ़्रीका की कप्तान लॉरा वुलफ़ार्ट ने शतक लगाकर मैच को संतुलित कर दिया और जब वह आउट हुईं तो नडीन डी क्लर्क ने मोर्चा संभालने की कोशिश की, जिन्होंने भारत के ख़िलाफ़ ग्रुप मुक़ाबले में 84 रन बनाकर अकेले दम पर अपनी टीम को जीत दिलाई थी।
शेफ़ाली कहती हैं, "मैंने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से एक चीज़ बहुत अच्छी सीखी है कि कभी भी आपको हार नहीं मानना है और कभी भी आपको आगे का भी नहीं सोचना है। हम बस ये सोच रहे थे कि इसकी (नडिन डी क्लर्क की) विकेट आ जाए, क्योंकि उसने ऐसे एक मैच हमें अपने दम पर हराया था। इसलिए जब तक हैरी दी (हरमनप्रीत कौर) ने वह कैच नहीं पकड़ लिया, तब तक हममें सो कोई भी निश्चित नहीं था कि हम जीतेंगे ही।"
हालांकि जब हरमनप्रीत ने वह कैच लिया तब फ़ाइनल की यह नायिका फ़ील्ड में नहीं थी। उनके पिंडलियों में क्रैंप आ रहा था और वह तीन-चार ओवर पहले ही मैदान से बाहर गई थीं।
शेफ़ाली बताती हैं, "लेकिन जब हैरी दी ने वह कैच लिया, तो मैंने दर्द को साइड में कर दिया और उनकी तरफ़ दौड़ पड़ीं। वह सबको यही बोल रही थीं कि 'हम जीत गए, हम जीत गए'। यह बहुत ही इमोशनल मोमेंट था। सब एक-दूसरे से यही बोल रहे थे कि फ़ाइनली हम जीत गए क्योंकि सबको पता है कि हम कभी भी ये फ़ाइनल लाइन क्रॉस नहीं कर पाते थे।"
जिस तरह से भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व कप जीतने के लिए अलग-अलग तरह की योजनाएं बनाई थीं, उसी तरह से जीत के बाद किस तरह से इसका जश्न मनाना है, उस पर भी खिलाड़ियों ने योजनाएं बनाई।
शेफ़ाली कहती हैं, "जीतने के बाद सब ज्ञान दे रहे थे कि हैरी दी ये करना, हैरी दी वो करना। तो हैरी दी बोलीं कि सब चुप रहो, मैं ख़ुद करूंगी जो करना है। तो मुझे लगता है कि वह उनका ख़ुद का प्लान था और भांगड़ा वाला तो शायद उनका ही था। एक्चुअली मुझे भी नहीं पता क्योंकि सब ज्ञान देने में लगे हुए थे और मैं भी उसमें शामिल थी।"
विश्व कप जीत के तुरंत बाद शेफ़ाली की निगाहें अपने अगले दो महत्वपूर्ण लक्ष्यों WPL और T20 विश्व कप पर लग गईं। उन्होंने कहा, "विश्व कप जीत के बाद तुरंत मैदान में मेरी, जेमी (जेमिमाह रॉड्रिग्स), अरू (अरूंधति रेड्डी) और राधा (यादव) से बातचीत हुई कि जैसे विश्व कप में हम हारते आ रहे थे, लेकिन आज जीत गए। उसी तरह WPL में हम चारों लगातार तीन फ़ाइनल हारे हैं, हम इस बार वह सिलसिला भी तोड़ेंगे और WPL ट्रॉफ़ी, दिल्ली कैपिटल्स (DC) के लिए लाएंगे।"
हालांकि हालिया हुई WPL नीलामी में राधा और अरूंधति अब RCB का हिस्सा हो गई हैं। इसके अलावा भी DC टीम में कई बड़े बदलाव हुए हैं, जिसमें उनकी निवर्तमान कप्तान मेग लानिंग भी अब टीम का हिस्सा नहीं हैं।
शेफ़ाली कहती हैं, "मेरे लिए सबसे दुख कि बात है कि मेग अब टीम में नहीं है, यह इस महीने का मेरा सबसे बड़ा और एकमात्र दुख है। हर WPL सीज़न के लिए मैं बहुत उत्साहित रहती थी क्योंकि मुझे उनसे बहुत कुछ सीखना रहता था। लेकिन यही जिंदगी है और इसे स्वीकार करके चलना पड़ता है। मैं इस बात को सोचकर उत्साहित भी हूं कि इस बार जो अलग-अलग देशों के विदेशी खिलाड़ी आएंगी, उनसे मुझे क्या-क्या सीखने को मिलेगा।
"इसके अलावा अभी एक और बदला लेना बाक़ी है। 2020 T20 विश्व कप के फ़ाइनल में हम काफ़ी क़रीब आकर चूक गए थे। इस विश्व कप जीत के बाद हमें बहुत आत्मविश्वास मिला है और उम्मीद है कि हम अगले साल ऐसा कर पाएंगे। हम सबका माइंडसेट उस तरफ़ जा चुका है और अब हमारा पूरा फ़ोकस अगले साल के T20 विश्व कप पर है। उम्मीद है कि हम वो बदला ज़रूर लेंगे।"
ख़ैर, शेफ़ाली के लिए पिछले तीन महीने जीवन के एक चक्र की तरह रहे। जहां उन्होंने अपनी ज़िदगी के सबसे बड़े दुखों में से एक देखा, जब वह घर पर होने वाले विश्व कप टीम से बाहर हुईं। लेकिन इसके बाद उन्हें अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सुख भी मिला, जब भारतीय महिला टीम को उनके इतिहास की सबसे बड़ी जीत मिली और शेफ़ाली उस जीत की नायिका बनीं। विश्व चैंपियन बन चुकीं शेफ़ाली को भी यह पता है कि जीवन के इस चक्र में ऐसे सुख-दुख, उतार-चढ़ाव आगे भी आते रहेंगे। तभी तो वह कहती हैं,
"ज़िदगी में कभी भी निराशा आएगी, तो उस प्लेयर ऑफ़ द मैच अवॉर्ड को मैं देखूंगी। यह मेरे लिए उम्मीद की सबसे बड़ी किरण है।"
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95