सहवाग और धोनी के फ़ैन तेजस्वी दहिया IPL में धमाल मचाने को तैयार

IPL 2026 की छोटी नीलामी में KKR ने दहिया को तीन करोड़ में ख़रीदा था

Tejasvi Dahiya DPL में 12 गेंदों पर अर्धशतक जड़ चुके हैं © DPL

तेजस्वी दहिया के लिए क्रिकेट 90% दिमाग़ का खेल है, बाक़ी के 10% में तकनीक, फ़िटनेस और ताक़त जैसी चीज़ें आती है। ये बातें उनके कोच संजय भारद्वाज ने उन्हें बचपन से सिखाई है और यही सोच लेकर वह हमेशा मैदान में उतरते हैं।

दिल्ली प्रीमियर लीग (DPL) 2025 के दौरान ऐसा कई दफ़ा हुआ, जब उन्होंने अपनी टीम साउथ दिल्ली सुपरस्टार्ज़ को इसी सोच के दम पर मैच जिताया। मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी करने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज़ दहिया जब क्रीज़ पर आते थे, तो टीम को 10 के ऊपर के रन रेट से रन चाहिए होते थे और उनके कुछ विकेट भी गिर चुके होते थे। 

लेकिन दिमाग़ से शांत और तेवर से आक्रामक दहिया के लिए ये सब चीज़ें ज़्यादा मायने नहीं रखतीं। उनका मानना है कि अगर आप चीज़ों को लेकर सकारात्मक और कैलकुलेटिव हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं हो सकता।

IPL 2026 के लिए हुई छोटी नीलामी में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) द्वारा तीन करोड़ रुपए में ख़रीदे गए दहिया ESPNcricinfo से बातचीत में कहते हैं, "वैसे तो मेरे बचपन के रोल मॉडल वीरेंद्र सहवाग सर रहे हैं, लेकिन जब मैंने विकेटकीपिंग शुरू की तो मैंने एमएस धोनी को फ़ॉलो करना शुरू किया। सहवाग सर की आक्रामकता मुझे पसंद है, वह पहली ही गेंद से हमला शुरू कर देते थे। लेकिन जब मैंने धोनी सर को फ़ॉलो करना शुरू किया तो मुझे लगा कि हर गेंद पर रिस्क लेने के बजाय कैलकुलेटिव रिस्क लेकर भी आक्रामक रहा जा सकता है। अब मैं मैच को डीप ले जाने की कोशिश करता हूं। मुझे पता है कि अगर आख़िरी दो ओवरों में 35 रन भी चाहिए हों, तो मैं उसे हासिल कर सकता हूं।"

दिल्ली के पीतमपुरा इलाके से आने वाले 23 साल के दहिया ने आठ-नौ साल की उम्र से ही क्रिकेट सीखना शुरू किया था। वह अपने घर के पास ही बाल भारती क्रिकेट एकेडमी जाते थे। 12 साल की उम्र में उनकी क़िस्मत तब पलटी, जब वह एक समर ट्रेनिंग कैंप के लिए कोच भारद्वाज के LB शास्त्री एकेडमी गए। भारद्वाज वही कोच हैं, जहां से गौतम गंभीर, अमित मिश्रा, नीतीश राणा और प्रियांश आर्या जैसे नाम निकले हैं।

दहिया बताते हैं, "संजय सर की एकेडमी में डायरेक्ट एडमिशन लेना बहुत मुश्किल होता था। वह ऐसे किसी भी खिलाड़ी को एडमिशन नहीं दे देते थे। मैं जब वहां समर कैंप में गया और दो महीने बिताया, तो उन्हें मेरे खेल के अलावा मेरा अनुशासन, कार्यशैली सब पसंद आया। इसलिए जब कैंप ख़त्म हो रहा था, तो उन्होंने मेरे माता-पिता को बताया कि मैं अब उनकी ज़िम्मेदारी हूं।"

यहीं पर दहिया की मुलाक़ात आर्या से भी हुई और दोनों गहरे दोस्त बन गए। एक ही एज-ग्रुप का होने के कारण दोनों ने अपनी सारी क्रिकेट एक साथ खेली है और दोनों अब DPL के जरिए IPL जैसे क्रिकेट के सबसे बड़े मंच तक पहुंचे हैं।

आर्या की तरह दहिया भी एक अध्यापक दंपति के बेटे हैं और उनकी बहन भी PhD स्कॉलर हैं। घर में पूरी तरह पढ़ाई का माहौल होने के बावजूद दहिया के माता-पिता ने उनके क्रिकेट के लिए शुरू से सपोर्ट किया।

हालांकि उनके दिमाग़ में यह दुविधा हमेशा से थी कि वह क्रिकेट को ही करियर के रूप में चुने या फिर अपने परिवार की तरह पढ़ाई को अधिक महत्व दें और अध्य्यन-अध्यापन की दुनिया में जाए। लेकिन जैसे-जैसे वह क्रिकेट खेलते गए, वह दिमाग़ से स्पष्ट होते गए कि उन्हें क्रिकेट में ही अपना करियर बनाना है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज से ग्रेजुएट दहिया कहते हैं, "अंडर-14 में स्कूल क्रिकेट का नेशनल हुआ था। यह 10-10 ओवर का मैच होता था और हमारी टीम को जीत के लिए 100 से ऊपर रन चाहिए थे। हमारी टीम तो हार गई, लेकिन मैं दूसरे छोर पर टिका रहा और अंत तक मैच को अपने पक्ष में करने की कोशिश करता रहा। संजय सर मेरे इस प्रयास से बहुत ख़ुश हुए और मुझे आकर शाबाशी दो, जो शायद ही वह किसी नए खिलाड़ी को देते थे। इससे मुझे लगा कि शायद मैं अच्छा कर रहा हूं और मुझे क्रिकेट को गंभीरता से लेना चाहिए।"

Tejasvi Dahiya ने DPL में लगातार दो सीज़न अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया © DPL

दहिया उन दुर्भाग्यशाली खिलाड़ियों में से थे, जो लगातार एज-ग्रुप क्रिकेट तो खेल रहे थे, लेकिन राज्य की टीम में उन्हें जगह नहीं मिल पा रही थी। अंडर-16 में वह दिल्ली की टीम में स्टैंड बाय में थे। अंडर-19 क्रिकेट के पहले साल में उन्हें मौक़ा नहीं मिला और जब दूसरे साल में मौक़ा मिला तो उन्होंने कूच बिहार ट्रॉफ़ी में लगातार दो शतक लगा दिए। यह दूसरा मौक़ा था, जब दहिया को लगा कि वह पढ़ाई से इतर क्रिकेट को गंभीरता से ले सकते हैं।

दहिया कहते हैं, "जब कूच बिहार ट्राफ़ी में मेरे दो लगातार शतक आए, तो फिर मुझे और कॉन्फ़िडेंस आया कि मैं क्रिकेट में आगे के लेवल पर भी जाकर सर्वाइव कर सकता हूं। यह शतक मेरे लिए और भी महत्वपूर्ण था क्योंकि दिल्ली की तरफ़ से उस साल एक भी बल्लेबाज़ का शतक नहीं आया था। लेकिन अगले साल कोविड आ गया और जब कोविड के बाद क्रिकेट फिर से शुरू हुआ तो मेरा नाम अंडर-23 टीम में नहीं था। इसके बाद दो साल तक कहीं भी मेरा नाम नहीं आया और जब तीसरे साल अंडर-23 में नाम आया तो मौक़े नहीं मिले।"

यहीं पर दहिया DPL जैसे टूर्नामेंट को शुक्रिया अदा करते हैं, जहां से उनकी प्रतिभा को मंच मिला और उनके छक्के मारने की योग्यता को पूरी दुनिया ने देखा। DPL 2024 की 10 पारियों में दो अर्धशतकों और 163.78 के स्ट्राइक रेट से 208 रन बनाने वाले दहिया ने 2025 के संस्करण में अपने खेल को एक क़दम आगे बढ़ाया और 10 पारियों में 48.43 की औसत और 190.45 के स्ट्राइक रेट से 339 रन बनाए। 

वह इस टूर्नामेंट में 300 से ऊपर रन बनाने वाले 12 बल्लेबाज़ों में से एकमात्र बल्लेबाज़ थे, जिनका स्ट्राइक रेट 190 से ऊपर का था। इसके अलावा वह नीतीश राणा (34) के बाद दूसरे सर्वाधिक छक्के (29) लगाने वाले भी बल्लेबाज़ थे। पुरानी दिल्ली के ख़िलाफ़ एक मैच में जब उनकी टीम को बारिश से प्रभावित मैच में सात ओवरों में 134 रन चाहिए थे, तो उनकी टीम ने उन्हें ओपनिंग पर भेजा। दहिया ने भी इसका पूरा फ़ायदा उठाते हुए सिर्फ़ 12 गेंदों में अर्धशतक जड़ा और 328.57 के स्ट्राइक रेट से 21 गेंदों में 69 रन बनाते हुए अपनी टीम को एक गेंद शेष रहते ही जीत दिला दी। दहिया की यह पारी उनके लचीलेपन को दर्शाती है और वह निचले मध्य क्रम के अलावा ओपनिंग भी कर सकते हैं।

दहिया कहते हैं, "DPL के आने से बहुत फ़ायदा हुआ है। चूंकि इसका टेलीकास्ट भी होता है, तो इसको दिल्ली के चयनकर्ताओं के अलावा IPL स्काउट्स भी देखते हैं। उनके पास हर खिलाड़ी की एक ख़ास तस्वीर होती है। ट्रायल मैचों को तो आप टेलीकास्ट नहीं कर सकते हो, लेकिन खिलाड़ी को भी यहां पता है कि उनको सब लोग देख रहे हैं। आपका एटीट्यूड देखा जा रहा है कि आप कैसे दबाव झेल रहे हो।" 

"मैं अब सेलेक्शन के बारे में ज़्यादा नहीं सोचता क्योंकि वह फिर आपके खेल पर एक एक बोझ की तरह  हो जाता है और आप फंस जाते हैं कि मुझे सेलेक्शन के लिए ही खेलना है। इसलिए मैं बस अब अपना वह प्रोसेस फ़ॉलो करता हूं, जो मैं बचपन से करता आ रहा हूं कि अगर रेस्ट डे है तो उसमें रिकवरी करो, फिर अगले दिन अच्छी प्रैक्टिस अच्छी करो ना कि यह सोचो कि IPL खेलना है या फिर रणजी ट्रॉफ़ी खेलना है।"

ख़ैर, एक ऐसे साल में, जब KKR के लिए उनके इतिहास के सबसे बड़े फ़िनिशर आंद्रे रसल ने संन्यास ले लिया है, तो दहिया अपने आक्रामक खेल और कैलकुलेटिव रिस्क अप्रोच से उस जगह को कहीं ना कहीं भरने की कोशिश करेंगे।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95

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