टॉप 5 भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच : श्रीकांत का शतक, रोहित ने रचा इतिहास और बेंगलुरु में हलचल

भारत और ऑस्ट्रेलिया पुरुष वनडे विश्व कप के इतिहास में दूसरी बार आमने-सामने होंगे।
इससे पहले हम आपको इन दोनों के बीच में विश्व कप के सभी यादगार मैचों के बारे में बता चुके हैं और साथ ही भारतीय क्रिकेट इतिहास में सभी विश्व कप फाइनलों का जायज़ा भी ले चुके हैं।
आज थोड़ा ट्रैक बदलते हुए आईए नज़र डालते हैं भारतीय सरज़मीं पर खेले गए सबसे बेहतरीन भारत-ऑस्ट्रेलिया मैचों पर। रिकॉर्ड के लिए आपको बता दें कि भारत में खेले गए 71 मुक़ाबलों में 66 मैचों में नतीजे निकले हैं और हेड-टु-हेड एक दम 33-33 पर टाई है।
5. पहली बार जीत का स्वाद (1986)
1984 से भारत में वनडे खेलते हुए आख़िरकार भारत को 1986 के वनडे सीरीज़ के पहले मैच में जीत मिली। यह मैच जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में केवल दूसरा अंतर्राष्ट्रीय मैच था।
कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया को बल्लेबाज़ी करने का न्योता दिया। जेफ़ मार्श और डेविड बून यूं टिके कि विश्व रिकॉर्ड साझेदारी (212) बनाकर ही आउट होने। किसी एक वनडे पारी में दो खिलाड़ियों द्वारा शतक लगाया जाना आजकल आम बात है (इस विश्व कप में ही ऐसा नौ बार हो चुका है) लेकिन उन दिनों में यह केवल पांचवां ऐसा अवसर था और दो ओपनर द्वारा पहला। हालांकि भारत ने चार तेज़ गेंदबाज़ों का इस्तेमाल करते हुए चतुराई से निर्धारित समय में केवल 47 ओवर ही डाले और 250 का स्कोर बनने दिया।
उन दिनों दूसरी टीम को भी उतने ही ओवर मिलते थे और कृष्णमाचारी श्रीकांत ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों की जमकर धुनाई की। डेब्यू कर रहे रमन लांबा ने भी 53 गेंदों पर 64 रन बनाए और दोनों के बीच दूसरी विकेट के लिए शतकीय साझेदारी 85 गेंदों पर आई। श्रीकांत ने अपने वनडे करियर का पहला शतक जीता और प्लेयर ऑफ़ द मैच घोषित हुए।

4. लोकल हीरोज़ का हैरतंगेज़ प्रदर्शन (1996)
1996 में टाइटन कप त्रिकोणीय श्रृंखला में साउथ अफ़्रीका ऐसी फ़ॉर्म में थी कि साफ़ था कि फ़ाइनल में पहुंचने का मुक़ाबला मार्क टेलर के ऑस्ट्रेलिया और नव-नियुक्त युवा कप्तान सचिन तेंदुलकर की भारतीय टीम के बीच होगी। बेंगलुरु के मैच में कर्नाटका के छह खिलाड़ी XI का हिस्सा थे - सुजित सोमासुंदर, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, सुनील जोशी, जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद।
टेलर ने अपने वनडे करियर का इकलौता शतक जड़ा और उन्हें स्टीव वॉ का अच्छा सहारा मिला, लेकिन प्रसाद की डेथ गेंदबाज़ी के बदौलत ऑस्ट्रेलिया 215 रन ही बना पाया।
जवाब में ग्लेन मैक्ग्रा, डेमियन फ़्लेमिंग और जेसन गिलेस्पी ज़बरदस्त लय में दिखे। तेंदुलकर के सलामी जोड़ीदार सोमासुंदर 32 गेंदों पर 7 ही बना पाए और फिर कभी भारत के लिए नहीं खेले। लगातार विकेट गिरने के बावजूद तेंदुलकर ने 88 रन बनाए लेकिन फिर जब वह वॉ की गेंद पर पगबाधा हुए, तब भारत को आठ ओवर में 52 रन चाहिए थे और केवल दो विकेट बचे थे। यहां से श्रीनाथ और कुंबले ने ग़ज़ब की बल्लेबाज़ी की और बेंगलुरु क्राउड भी उनके समर्थन में जुट गया। श्रीनाथ ने 30 नाबाद बनाए और कुंबले भी 16 के साथ नॉट आउट रहे और भारत ने 48.5 ओवर में ही लक्ष्य हासिल कर लिया।
3. एक 'विराट' पारी कैसे ना हो (2019)
2019 सीरीज़ का दूसरा मैच नागपुर पर एक स्पिन के लिए अनुकूल पिच पर खेला गया। भारत को दो शुरुआती झटके लगे लेकिन कप्तान विराट कोहली ने कुशलता के साथ पारी को 250 के स्कोर पर पहुंचाया, जिसमे उनके 116 रन के अलावा विजय शंकर (41 गेंदों पर 46 रन) का बड़ा हाथ रहा।

जवाब में टॉप 6 में से चार बल्लेबाज़ों ने 37 रन पार किया लेकिन भारत निरंतर विकेट निकालता रहा। कुलदीप यादव ने तीन विकेट निकाले लेकिन मार्कस स्टॉयनिस ने अर्धशतक जड़ते हुए ऑस्ट्रेलिया को जीवित रखा। आख़िरी ओवर से पहले ऑस्ट्रेलिया 240 तक पहुंच चुका था और स्टॉयनिस स्ट्राइक लेने वाले थे। कोहली ने गेंद विजय शंकर को थमाई, जिन्होंने अपने इकलौते ओवर में 13 रन दिए थे। पहली गेंद पर स्टॉयनिस को पगबाधा दिया गया, जो रीव्यू पर अंपायर्स कॉल साबित हुआ। दूसरी गेंद पर ऐडम ज़ैम्पा ने दो रन लिए लेकिन अगली ही गेंद पर परफ़ेक्ट यॉर्कर पर बोल्ड हुए। भारत ने रोमांचक मैच केवल आठ रन से जीता। यह भारत की पुरुष वनडे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास में 500वीं जीत भी थी। हालांकि सीरीज़ में वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने अगले तीनों मैच जीत लिए।
2. टाइटन कप का एक और थ्रिलर (1996)
1996 के टाइटन कप का आख़िरी लीग मुक़ाबला एक सेमीफ़ाइनल ही था। मोहाली में अच्छी सतह देखते हुए टेलर ने भारत को बल्लेबाज़ी करने को कहा। तेंदुलकर (62) और द्रविड़ (56) ने कारगर पारियां खेलीं लेकिन भारत के 289 के स्कोर के सूत्रधार रहे मोहम्मद अज़हरउद्दीन (104 गेंदों में 94 रन)।
जवाब में टेलर (78 रन) और नंबर 6 पर खेल रहे माइकल स्लेटर (52 रन) के अलावा वॉ बंधुओं और माइकल बेवन ने चेज़ को जीवित रखा और आख़िर में ब्रैड हॉग भी टीम को जीत की राह पर रखते दिखे।
आख़िरी ओवर में एक विकेट हाथ में था और जीतने के लिए छह रन चाहिए थे। तेंदुलकर ने ज़िम्मेदारी ली और हॉग पर एक तेज़ सीम-अप गेंद से ओवर की शुरुआत की। ड्राइव के चक्कर में अंदरूनी किनारे से गेंद पैड पर लगकर छिटकी और हॉग दौड़ पड़े। विकेटकीपर नयन मोंगिया ने घटनाक्रम को परखा और अंडरआर्म थ्रो अपने कप्तान को भेजा, जिन्होंने बेल्स गिराते हुए भारत को एक ज़बरदस्त जीत दिला दी।

1. हिटमैन का जलवा (2013)
2013 का द्विपक्षीय सीरीज़ ग़ज़ब का था और बेंगलुरु में आख़िरी मैच से पहले टीमें 3-3 पर थीं। हर मैच को चेज़ करती टीम जीत रही थी, सो जॉर्ज बेली ने भी महेंद्र सिंह धोनी के ख़िलाफ़ टॉस जीतकर ऐसा ही करने का फ़ैसला किया।
रोहित शर्मा इसी साल ओपनर बने थे और उन्होंने शिखर धवन के साथ शतकीय साझेदारी निभाई। धवन के आउट होने के अगले ही ओवर में कोहली शून्य पर रन आउट हो गए लेकिन यहां से रोहित ने मैदान को अपना मंच बनाया। कुल 12 चौके और 16 छक्के उनके बल्ले से निकले और धोनी (62) के साथ उन्होंने आख़िर के पांच ओवर में 100 रन जोड़े। रोहित 209 रनों की पारी के साथ तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग के बाद तीसरे पुरुष बने जिन्होंने वनडे अंतर्राष्ट्रीय में दोहरा शतक लगाया हो और भारत ने 383 रन बनाए। जवाब में जेम्स फ़ॉकनर ने भी तेज़ शतक जड़ा लेकिन भारत 57 रन से मैच जीतने में सफल रहा।
देबायन सेन ESPNcricinfo में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख हैं @debayansen