ब्रूक : काश मैंने वो शॉट न खेला होता और आउट न हुआ होता
हैरी ब्रूक सोमवार सुबह जब द ओवल पहुंचे, वह इंग्लैंड की जीत को लेकर "बेहद आश्वस्त" थे, लेकिन छह रन की हार के बाद अपने आउट होने पर अफ़सोस जताते दिखे।
ब्रूक ने रविवार को जो रूट के साथ चौथे विकेट के लिए मैच का रुख़ बदलने वाली साझेदारी में 95 गेंदों पर शानदार 111 रन बनाए, जिससे इंग्लैंड 374 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 301 पर पहुंच गया। लेकिन वह लगातार तीसरी बाउंड्री मारने के प्रयास में आकाश दीप के ऊपर से एक्स्ट्रा कवर पर मारने की कोशिश करते हुए मिड-ऑफ़ पर कैच दे बैठे और यहीं से इंग्लैंड का पतन शुरू हुआ, जिसने अगले 66 रन में सात विकेट गंवा दिए।
ब्रूक ने पोस्ट-मैच प्रेजेंटेशन में कहा, "मेरी सोच बस इतनी थी कि जितनी जल्दी हो सके, उतने रन बना लूं। जैसा कि मैंने कहा, अगर रुटी और मैं क्रीज़ पर रहते हुए 40 रन चाहिए होते, तो मैच हमारा था। मैं आउट हुआ, तो भी हमें सिर्फ़ 40 चाहिए थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि काश मैंने वो शॉट न खेला होता।"
ब्रूक ने BBC के टेस्ट मैच स्पेशल से कहा, "उस वक्त मैं काफ़ी आत्मविश्वास में था। अगर मैंने अगले दो ओवरों में 30 रन भी बना लिए होते, तो मैच वहीं ख़त्म हो जाता। यही मेरी सोच थी। मैं हमेशा विपक्षी टीम पर दबाव बनाकर खेलता हूं… काश मैं अंत तक टिक पाता, लेकिन कुछ चीज़ें आपके हाथ में नहीं होतीं।
"मुझे अंदाज़ा नहीं था कि हम 60 रन में सात विकेट गंवा देंगे। उस वक्त क्रीज़ पर दुनिया के सबसे बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज़ों में से एक रुटी मौजूद था, और मेरे मन में यही था कि जल्दी रन बनाऊं और मैच ख़त्म कर दूं। मुझे पूरा भरोसा था कि रुटी अंत तक रहेगा।"
हालांकि ब्रूक ने अपने शॉट पर पछतावा जताया, बेन स्टोक्स ने उनका बचाव किया और उनकी आक्रामकता की तारीफ़ की। उन्होंने कहा, "हैरी ने हमें अपने अंदाज़ से उस स्थिति में पहुंचाया, उसने भारतीय गेंदबाज़ों को इतनी ज़बरदस्त टक्कर दी कि वे अपनी लाइन-लेंथ पर टिक नहीं पाए।
"जब उसने शतक पूरा किया तो हर कोई उसकी बल्लेबाज़ी की तारीफ़ कर रहा था। उसके आउट होने का तरीक़ा वही था जो उसने पूरी पारी में कई बार किया था, और उन शॉट्स को पहले सराहा गया था।"
ब्रूक को पारी की शुरुआत में एक जीवनदान भी मिला था, जब वह 19 पर लंबी बाउंड्री पर मोहम्मद सिराज के हाथों कैच हो गए, लेकिन सिराज बाउंड्री रोप पर पैर रख बैठे। सिराज ने बाद में कहा, "मुझे लगा मैच हाथ से निकल गया। अगर हम ब्रूक को लंच से पहले आउट कर लेते, तो शायद पांचवां दिन ही नहीं आता।"
इसके बजाय, उन्होंने आक्रामक खेल जारी रखते हुए 39 गेंदों में अर्धशतक जड़ा और फिर रुट के साथ स्ट्राइक रोटेट करते हुए 52 गेंदों में दूसरा पचासा पूरा किया। उनकी इस साझेदारी ने इंग्लैंड को लक्ष्य के बेहद क़रीब पहुंचा दिया। हालांकि वह अंत तक नहीं टिक पाए, लेकिन टीम को ऐतिहासिक जीत की कगार तक जरूर ले आए।
जब तक रुट क्रीज़ पर थे, इंग्लैंड फ़ेवरिट था। लेकिन चौथे दिन के अंत में वह भी प्रसिद्ध कृष्णा की आउटस्विंग पर विकेटकीपर को कैच दे बैठे। इसके बाद बारिश आ गई। तब भी इंग्लैंड को 35 रन और बनाने थे, और उसके पास चार विकेट बाक़ी थे। ब्रूक को पूरा विश्वास था कि जेमी स्मिथ और जेमी ओवर्टन टीम को जीत दिला देंगे।
उन्होंने कहा, "आज सुबह जब मैदान पर आया तो मैं आत्मविश्वास से भरा हुआ था। दो अच्छे बल्लेबाज़ क्रीज़ पर थे, और मुझे लगा कि हम आराम से जीत जाएंगे। लेकिन भारतीय गेंदबाज़ों ने जैसी वापसी की, ख़ासकर सिराज ने, वो क़ाबिले-तारीफ़ है।"
"हमें लगा था कि गें पिच थोड़ा और सपाट हो जाएगी, लेकिन बादलों के कारण लाइट्स फिर से ऑन हुईं और गेंद मूव करने लगी। सिराज ने लगातार 85 मील प्रति घंटे की स्पीड से पांच टेस्ट खेले हैं। उन्हें इस सीरीज़ में जो मिला, वो उन्होंने कमाया है। मैं उनकी बहुत इज़्ज़त करता हूं।"
ब्रूक को भारत के कोच गौतम गंभीर ने इंग्लैंड का प्लेयर ऑफ द सीरीज़ चुना। उन्होंने नौ पारियों में 53.44 की औसत से 481 रन बनाए, जिसमें एजबेस्टन और ओवल में शतक और हेडिंग्ले में 99 रन शामिल थे।
मैट रोलर ESPNcricinfo के वरिष्ठ संवाददाता हैं।