महिला विश्व कप में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती

उच्च दबाव वाले मौक़ों को संभालने में हुई है दिक्कत, WPL से मिली सुधार की परीक्षा न्यूज़ीलैंड के खिलाफ होगी

भारत को दबाव से निपटने का रास्ता खोजना होगा © ICC/Getty Images

जब भारत 2017 के वनडे विश्व कप और 2020 के T20 विश्व कप तीन साल में दो बार ख़िताब से कुछ कदम दूर रह गया, तो इसकी सबसे बड़ी वजह दबाव झेलने की नाकामी मानी गई। ख़ासकर उस दबाव की, जो किसी बड़ी ट्रॉफ़ी के क़रीब पहुंचने पर आता है। महिला प्रीमियर लीग (WPL) खिलाड़ियों को ऐसे मौक़ों से निपटने की तैयारी देने के लिए आई थी। अब यह तीन सीज़न पुरानी है और चौथा बस कुछ महीनों की दूरी पर है, लेकिन भारत की पुरानी आदतें यानी जीत के क़रीब पहुंचकर लड़खड़ाना अब भी जारी हैं।

मुंबई 2023, पर्थ 2024 और यहां तक कि दिल्ली 2025, जहां भारत 412 के लक्ष्य का पीछा कर रहा था और सबसे दर्दनाक, इंदौर 2025

यह उन वनडे चेज़ों की सूची है जिन्हें अमोल मजूमदार-हरमनप्रीत कौर के कार्यकाल में भारत ने अपने नियंत्रण में लिया और फिर गंवा दिया। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ रविवार को चार रन की हार ने भारत के लिए महिला विश्व कप 2025 में आगे का रास्ता मुश्किल बना दिया है। अब सिर्फ़ एक सेमीफ़ाइनल स्थान बचा है और चार टीमें उसकी दौड़ में हैं।

सब कुछ योजना के मुताबिक़ नहीं होने से निराश हरमनप्रीत कौर © ICC/Getty Images

यह कोई हैरानी की बात नहीं कि इन चार में से तीन मौक़ों पर भारत का सामना ऑस्ट्रेलिया से था। हर बार कहानी एक जैसी रही भारत मज़बूत स्थिति में, फिर अचानक ढहता हुआ किला। पर्थ वनडे का उदाहरण लें तो भारत 35 ओवर में तीन विकेट पर 184 रन बना चुका था और लक्ष्य था 299। स्मृति मांधना ने शतक पूरा किया, जेमिमाह रोड्रिग्स लय में थीं और 90 गेंदों पर 115 चाहिए थे। लेकिन मांधना अगले ही ओवर में आउट हुईं और उसके बाद भारत ने 26 रन पर सात विकेट गंवा दिए।

दो साल पहले वानखेड़े में भारत को 41 गेंदों में 38 रन चाहिए थे। लक्ष्य 259 था। ऋचा घोष 96 पर आउट हुईं और भारत ने 25 रन पर चार विकेट खोते हुए तीन रन से मैच गंवा दिया।

दिल्ली में भारत ने विश्व रिकॉर्ड लक्ष्य का पीछा करते हुए शानदार लड़ाई लड़ी। मांधना ने दूसरा सबसे तेज़ वनडे शतक जमाया, दीप्ति शर्मा और स्नेह राणा ने आठवें विकेट के लिए उम्मीद जगाई। लेकिन आख़िरी में भारत 15 रन पर तीन विकेट गंवाकर 369 पर सिमट गया। 413 का पीछा न कर पाने पर किसी टीम को दोष नहीं दिया जा सकता, लेकिन अहम बात वही थी जेमिमाह नहीं थीं। यानी टीम एक बल्लेबाज़ कम लेकर खेल रही थी और अन्य कमियों को छिपाना पड़ा।

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'भारतीय प्रशंसकों को उम्मीदों में संयम रखना चाहिए'

ऐसे हालात में, जब संसाधन सीमित हों, तो अनुभव प्रशिक्षण से ज़्यादा काम आता है। बीसीसीआई का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (पहले राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस है और खिलाड़ियों को खेल के तकनीकी पहलुओं पर काम करने का मौक़ा देता है। भारत की घरेलू संरचना भी मज़बूत है। लेकिन घरेलू क्रिकेट या प्रशिक्षण सत्रों की तुलना विश्व कप जैसी परिस्थिति से नहीं की जा सकती जहां दबाव और मानसिक संतुलन, सबसे अनुभवी खिलाड़ी को भी तोड़ सकता है।

स्पष्ट है कि काम बाक़ी है, लेकिन कुछ सुधार पहले ही हो चुके हैं। WPL ने खिलाड़ियों को स्पॉटलाइट और दबाव के माहौल में ढलने में मदद की है। यह भारत के बड़े मैदानों पर खेली जाती है, खचाखच भरे दर्शकों और प्राइम टाइम प्रसारण के बीच। इसका परिणाम है कि इस विश्व कप में दो नई खिलाड़ी तेज़ गेंदबाज़ क्रांति गौड़ और लेफ्ट-आर्म स्पिनर एन श्री चरणी टीम का हिस्सा हैं।

गौड़ ने घरेलू क्रिकेट में लगातार प्रगति की है और पिछले साल सीनियर महिला T20 ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में बंगाल के ख़िलाफ़ 25 रन देकर चार विकेट लिए थे। वहीं, चरणी ने 2022 की सीनियर महिला T20 चैलेंजर ट्रॉफी में अपनी डिफ़ेंसिव गेंदबाज़ी से प्रभावित किया था। WPL टीमों के स्काउट्स की मौजूदगी से इन प्रदर्शनों को पहचान मिली। गौड़ को यूपी वॉरियर्ज़ और चरणी को दिल्ली कैपिटल्स ने WPL 2025 के लिए चुना और अब दोनों भारत के सभी पांच विश्व कप मैचों में खेल चुकी हैं। जबकि छह-सात महीने पहले वे राष्ट्रीय रडार पर भी नहीं थीं।

क्रांति गौड़ इस बात की मिसाल हैं कि WPL कैसे भारतीय टीम को नई प्रतिभाएं दे रही है © ICC via Getty Images

कुछ साल पहले तक गौड़ और चरणी जैसी खिलाड़ी शायद अभी भी निचले स्तर पर अपनी बारी का इंतज़ार कर रही होतीं। जैसे कि काश्वी गौतम जिन्होंने 2020 में अंडर-19 मैच में एक पारी में सभी 10 विकेट लेकर सुर्खियां बटोरी थीं। उन्हें इस साल भारत के लिए खेलने का मौक़ा मिला जब गुजरात जायंट्स के साथ उनके प्रदर्शन ने उनके प्रोफ़ाइल को ऊंचा किया। अब घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन को WPL के ज़रिए दृश्यता मिल रही है।

फिर भी दबाव के हालात में भारत पिछड़ता दिखा है इसका मतलब है कि और पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत है। T20 विश्व कप (यूएई, 2024) से पहले भारतीय खिलाड़ियों ने खेल मनोवैज्ञानिक मुघ्दा बवार के साथ सत्र किए थे, जिन्होंने 2022 विश्व कप में भी टीम के साथ काम किया था। उस समय हरमनप्रीत ने इन सत्रों के प्रभाव की खुले तौर पर तारीफ़ की थी।

इस साल ESPNcricinfo से बातचीत में, प्रतिका रावल जो ख़ुद मनोविज्ञान की छात्रा हैं ने भी कहा, "मनोविज्ञान पढ़ने से मुझे ख़ुद को समझने में मदद मिली। इससे पता चलता है कि इंसान अलग-अलग परिस्थितियों में अलग तरह से क्यों प्रतिक्रिया देता है। आपका सोचने का तरीका ही आपकी बॉडी लैंग्वेज में झलकता है। अगर आप नर्वस हैं तो सामने वाली टीम उसे भांप सकती है और इसका फ़ायदा उठा सकती है। अगर वे ऐसा कर सकते हैं, तो आप क्यों नहीं?"

जेमिमाह ने भी द क्रिकेट मंथली से कहा था, "जब आप इतने ऊंचे स्तर पर खेलते हैं, तो दबाव बेहद ज़्यादा होता है। ज़्यादातर लोग नहीं समझ पाते कि हम किससे गुज़रते हैं और कभी-कभी हम ख़ुद भी नहीं समझते कि हम कैसा महसूस कर रहे हैं। इसलिए यह बहुत अच्छा है कि हमारे पास पेशेवर मदद है, जिससे हम बात कर सकें। आप अपने दिमाग़ को ट्रेन कर सकते हैं अगर आप उसे सही दिशा में सोचने की आदत डाल लें, तो यह आपके खेल, आपके व्यवहार और शायद आपके नतीजों को भी बदल सकता है।"

कौशल के स्तर पर भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों को चुनौती दे रहा है। लेकिन मानसिक मजबूती और दबाव से निपटने की लड़ाई में अभी थोड़ा रास्ता तय करना बाकी है। इंदौर में भी यही हुआ, जब टीम ने अपने भरोसेमंद छह बल्लेबाज़ों और पांच गेंदबाज़ों वाले कॉम्बिनेशन से हटकर बदलाव किया। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ अगला हाई-प्रोफाइल मुकाबला आने से पहले वे फिर से संयोजन में फेरबदल कर सकते हैं।

भारत के लिए राहत की बात यह है कि वह विश्व कप के बचे सभी मैच, जिसमें नॉकआउट भी शामिल हैं (अगर टीम क्वालिफ़ाई करती है) डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में खेलेगा जहां टीम का रिकॉर्ड और अनुभव बेहतरीन रहा है। अगर उन्होंने वहां गलती नहीं की, तो शायद "नवी मुंबई 2025" इस सूची में नहीं जुड़ पाएगा।

एस सुदर्शनन ESPNcricinfo में सब-एडिटर हैं. @Sudarshanan7

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