इस बार हरमनप्रीत ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ क्या करेंगी ?
जब हरमनप्रीत कौर ने 2017 विश्व कप के डर्बी सेमीफ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ों की धज्जियां उड़ाते हुए 115 गेंदों पर नाबाद 171 रन ठोके थे, तो उन्होंने सिर्फ़ भारत को एक मैच नहीं जिताया था। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की अजेयता के कवच में एक दरार डाल दी थी। यह पारी नॉकआउट मुकाबलों में खेले गए अब तक के सबसे बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक मानी जाती है और इसने भारत में महिला क्रिकेट का रुख़ ही बदल दिया था।
ऐसा नहीं है कि उस पारी से सिर्फ़ भारतीय महिला टीम में बदलाव आया था, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई टीम पर भी उस पारी का गहरा प्रभाव पड़ा था।
ऑस्ट्रेलिया की विकेटकीपर अलिसा हीली ने भारत के ख़िलाफ़ इस विश्व कप में होने वाले लीग मैच से पहले कहा, "मुझे उस मैच के बारे में काफ़ी कुछ याद नहीं है, लेकिन आप लोग जब भी मौक़ा मिलता है तो उसे टीवी पर दिखा देते हैं और यादें ताज़ा हो जाती हैं। लेकिन हमने उस हार के बाद काफ़ी चर्चा की थी कि हमें अपने मानकों को कैसे ऊंचा करना है और अपने खेल का तरीका कैसे बदलना है। उस मैच ने हमें झकझोरा और सोचने पर मजबूर किया कि हम और बेहतर कैसे बन सकते हैं।"
तभी तो यह हैरानी की बात नहीं है कि उस दिन के बाद से जब भी भारत और ऑस्ट्रेलिया किसी बड़े टूर्नामेंट में आमने-सामने आए हैं, एक सवाल हमेशा हवा में तैरता रहा है - इस बार हरमनप्रीत क्या करेंगी?
आठ साल बाद भी वही सवाल उनके इर्द-गिर्द घूमता है। डर्बी से लेकर गुरुवार के नवी मुंबई सेमीफ़ाइनल तक, हरमनप्रीत और भारत का विश्व कप सफ़र बार-बार बेहद नज़दीकी हारों से गुज़रा है। जब भी यह कहानी ऑस्ट्रेलिया से जुड़ी रही है, हरमनप्रीत इसका केंद्र रही हैं।
T20 विश्व कप के केपटाउन सेमीफ़ाइनल में उनकी 52 रनों की पारी काफ़ी कुछ बयां करता है। भारत एक यादगार जीत के क़रीब था। लेकिन बल्ला अटक जाने के कारण हरमनप्रीत रन आउट हो गईं। मैच के बाद प्रेज़ेंटेशन में हरमनप्रीत ने अपने आंसू छिपाने के लिए सनग्लासेस पहने थे।
इसके बाद अक्तूबर 2024 में शारजाह का वह मैच आया, जहां भारत और ऑस्ट्रेलिया फिर आमने-सामने थे। सेमीफ़ाइनल की दौड़ दांव पर थी। हरमनप्रीत 52 पर थीं Qj भारत को आख़िरी ओवर में 14 चाहिए थे। उन्होंने पहली गेंद पर एक रन लिया और अगली पांच गेंदों पर चार विकेट गिरे। भारत फिर चूक गया।
उस नाबाद 171 रनों की पारी के बाद हरमनप्रीत ने ख़ुद एक बेहतरीन वनडे बल्लेबाज़ के रूप मेंं साबित किया है। उसके बाद उनका औसत 38.73 और स्ट्राइक रेट 85.71 रहा है। इस दौरान उन्होंने 80 पारियों में पांच शतक और 13 अर्धशतक बनाए हैं। फिर भी चर्चा अक्सर ऑस्ट्रेलिया के इर्द-गिर्द ही घूमती है, जिनके ख़िलाफ़ उन्होंने ICC टूर्नामेंटों में अपने सबसे यादगार प्रदर्शन किए हैं।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ किसी भी अन्य टीम की तुलना में ज़्यादा रन बनाए हैं। लेकिन डर्बी जैसी पारी दिखाती है कि कोई खिलाड़ी कितनी दुर्लभता से किसी मैच का नतीजा अपनी इच्छा के अनुसार मोड़ सकता है। उस मैच के बाद से भारत ने ICC टूर्नामेंटों में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सात में से सिर्फ़ दो मैच जीते हैं।
कप्तानी ने हरमनप्रीत की कहानी में एक और परत जोड़ दी है। 2022 में भारत की फ़ुल टाइम व्हाइट बॉल कप्तान बनने के बाद से उन्होंने टीम को एक ऐसे दौर से निकाला है, जहां प्रतिभा तो थी लेकिन सामंजस्य नहीं था। अब यह टीम पहले से कहीं ज़्यादा अनुभवी और संतुलित दिखती हैं, लेकिन उनके हाथों से ट्रॉफ़ी बार-बार फिसल जाती है।
अब वही ट्रॉफ़ी सिर्फ़ दो मैच दूर है।
यह विश्व कप भारत के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा है। टीम ने शानदार शुरुआत के बाद लगातार तीन मैच गंवाए। उसके बाद से बाहर की दुनिया ने इसे रणनीतिक और मानसिक कमजोरी के संकेत के रूप में देखा। टीम संतुलन पर सवाल उठे। हरमनप्रीत का फ़ॉर्म भी अस्थिर रहा, जिससे उनके फ़ैसलों पर और नज़रें टिक गईं। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 70 के निजी स्कोर पर खेलते हुए उनका शॉर्ट थर्ड पर आउट होना उस रन-चेज़ का निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
लेकिन अब भारत सेमीफ़ाइनल में है, और माहौल पहले से कहीं ज़्यादा भारी महसूस हो रहा है। उन बार-बार दोहराई गई हारों के चक्र को तोड़ने का यह एक और मौक़ा है। 36 वर्षीय हरमनप्रीत का यह शायद आख़िरी वनडे विश्व कप है और शायद ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ आख़िरी बड़ा मुक़ाबला भी।
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया। और वही पुराना सवाल एक बार फिर हवा में है - इस बार हरमनप्रीत क्या करेंगी?
