दीप्ति के पांच विकेट और शेफ़ाली की चमक से विश्व कप भारत के नाम

ESPNcricinfo स्टाफ़

डीवाई पाटिल स्टेडियम की रौशनी में, हजारों भारतीय झंडों के बीच, जब हरमनप्रीत कौर ने आख़िरी कैच कवर्स पर लपका, तो हर आंख नम थी और हर आवाज़ में एक ही सुर था - "भारत विश्व कप चैंपियन है।" यह सिर्फ़ जीत नहीं थी। यह एक युग की पूर्णता थी, उस सफ़र का मुक़ाम था, जहां भारतीय महिला क्रिकेट ने अपने दम पर दुनिया को झुकाया। भारत ने साउथ अफ़्रीका को फ़ाइनल में 21 रनों से हराते पहली बार विश्व कप जीता।

भारत ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 50 ओवर में 298 रन बनाए। यह महिला विश्व कप फ़ाइनल में किसी भी टीम का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था। शेफ़ाली वर्मा (87) ने शुरुआत में जो आत्मविश्वास दिखाया, वह अदभुत था। उन्होंने शुरुआती ओवरों में आयाबोंगा खाका और मरीज़ान काप दोनों को अपनी बेहतरीन शॉट्स से बैकफ़ुट पर धकेल दिया। उनके हर शॉट में वही निडरता थी। उनके साथ स्मृति मांधना (45) ने पारी को सलीके से आगे बढ़ाया और भारत को अच्छी शुरुआत दिलाई।

बारिश के कारण दो घंटे देरी से शुरू हुए मैच में भारत की लय बिल्कुल भी नहीं टूटी। शेफ़ाली हर गेंद पर आगे बढ़कर ड्राइव और फ्लिक खेलती रहीं। वहीं मंधाना की कवर ड्राइव और बैक कट दर्शकों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं थी। इसके बाद दीप्ति शर्मा (58) ने अपनी बेहतरीन पारी से भारत को संभाला। ऋचा घोष (34 रन, 24 गेंद, 3 चौके, 2 छक्के) ने आख़िरी ओवरों में तेज़ गति रन जोड़ने की कोशिश की। साउथ अफ़्रीका के गेंदबाज़ों ने अंतिम ओवरों में अच्छी गेंदबाज़ी करते हुए आख़िरी 10 ओवरों में सिर्फ़ 69 रन दिए।

299 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए लॉरा वुलफ़ार्ट और तेज़मिन ब्रिट्स ने सधी हुई शुरुआत की। उन्होंने 9 ओवर में 51 रन बना लिए थे। भारत के लिए यह शुरुआती दौर चिंताजनक लग रहा था क्योंकि गेंदबाज़ों को कोई मदद नहीं मिल रही थी। तभी अमनजोत कौर ने अपने तेज़ थ्रो से ब्रिट्स को रन आउट कर जादुई पल रच दिया।

हालांकि वुलफ़ार्ट ने इसके बाद अपनी लय जारी रखी और भारतीय गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ सहजता से रन बनाए। लेकिन हरमनप्रीत कौर ने 21वें ओवर में उन्होंने चौंकाने वाला फ़ैसला लिया। उन्होंने शेफ़ाली को गेंद थमाई। यह दांव न सिर्फ़ साहसी था बल्कि निर्णायक भी साबित हुआ। शेफ़ाली ने अपने स्पैल की पहली ही सफलता में सुने लुस को कॉट एंड बोल्ड किया। अगले ही ओवर में उन्होंने काप को विकेटकीपर के हाथों कैच कराया।

इसके बाद दीप्ति ने अनुभव से मैच अपने नियंत्रण में लिया। 30वें ओवर में उन्होंने जाफ़्टा को आउट किया। इसके बाद ए. डर्कसन और वुलफ़ार्ट ने साझेदारी की, लेकिन दीप्ति ने 40वें ओवर में डर्कसन को पवेलियन भेज दिया। मैच का निर्णायक पल 42वें ओवर में आया। वुलफ़ार्ट अपने शतक (101) पर खेल रही थीं और मैच साउथ अफ़्रीका की पकड़ में लग रहा था। तभी दीप्ति ने उन्हें अमनजोत के हाथों कैच आउट करा दिया। उसी ओवर में क्लोई ट्रॉयन को भी चलता किया।

नडीन डी क्लर्क आख़िरी उम्मीद थीं। उन्होंने कुछ शानदार स्ट्रोक खेले और मैच को रोमांचक बनाए रखा, पर दीप्ति ने अपने आख़िरी ओवर में कवर्स पर एक और कैच करवाकर उनके प्रतिरोध भी ख़त्म कर दिया। दीप्ति ने 9.4 ओवर में 5 विकेट लेकर इस फ़ाइनल में कमाल का प्रदर्शन किया। इस तरह से साउथ अफ़्रीका की पूरी टीम 277 पर सिमट गई। भारत ने फ़ाइनल 21 रनों से जीतकर इतिहास रचा।

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