सफ़ेद गेंद की क्रिकेट में वापसी के लिए ऋषभ पंत का 'ज़मीनी प्रयास'
BCCI के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से दूर क्षितिज पर बेंगलुरू हवाई अड्डे का रनवे दिखाई देता है। विमानों के उड़ान भरने की आवाज़ तो मैदान तक नहीं पहुंचती, लेकिन दृश्य जरूर दिखते हैं। गुजरात द्वारा पहले गेंदबाजी के लिए बुलाए जाने के बाद दिल्ली की पारी के अधिकतर हिस्से में उनके कप्तान ऋषभ पंत भी खुद उड़ान भरने को तैयार दिखे। हालांकि वह ज़मीन से जुडे रहे, क्योंकि वह तब बल्लेबाज़ी करने आए थे, जब 20वें ओवर में उनकी टीम का स्कोर 98 रन पर 3 विकेट था।
इस पिच में तेज़ गेंदबाज़ों के लिए थोडी उछाल और मदद थी, जिससे बल्लेबाज़ों के लिए हालात मुश्किल लग रहे थे। हालांकि इसी पिच पर विराट कोहली ने 29 गेंदों में अर्धशतक जड़ा। जब पंत बल्लेबाज़ी के लिए आए, तो कोहली दिल्ली के 108 रनों में से 77 रन अकेले बना चुके थे। वह बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज़ विशाल जायसवाल की शानदार गेंद पर स्टंप आउट हुए।
ऐसे मौके़ पर पंत के लिए क्रीज़ पर टिके रहना सबसे ज़रूरी था। वह अपनी पारी के अधिकतर हिस्से में खुलकर नहीं खेल पाए और ज़्यादातर गेंदों पर हल्के शॉट खेलकर सिंगल लिया। उन्होंने क्रीज़ पर समय बिताने पर ध्यान दिया और शुरू में हवाई और दिखावटी शॉट्स से दूरी बनाए रखी।
क्रीज़ पर उनकी स्थिरता साफ़ दिख रही थी। उनका संभला हुआ खेल, उनके स्वाभाविक खेल के ठीक उलट था, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। इसी दौरान एक और हल्के शॉट से वह 49 रन पर पहुंचे।
इसके बाद उन्होंने अचानक अपनी गियर बदल दी, जब गुजरात के लेग स्पिनर रवि बिश्नोई की एक गेंद उनकी हिटिंग रेंज से बाहर हुई। पंत ने उस गेंद की लाइन में जाकर अपने बल्ले को ज़ोर से घुमाया। इस दौरान उनका बल्ला, उनकी हाथ से नहीं छूटा, जैसा कि उनके कई ताकतवर शॉट्स में होता है, लेकिन गेंद लॉन्ग ऑन बाउंड्री के काफ़ी पार चली गई।
काफ़ी देर से दबा हुआ स्प्रिंग अब खुल चुका था। 50 रन के बाद उनके खेल में बदलाव दिखा। वह अचानक क्रीज़ में कूदते नज़र आए।
अर्धशतक के तुरंत बाद उन्होंने घुटनों पर बैठकर डीप बैकवर्ड स्क्वेयर लेग की दिशा में स्वीप खेले, इस दौरान वह लगभग दूसरी तरफ़ गिर ही गए थे। उन्होंने 62 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया। इसके बाद अगली 16 गेंदों में उन्होंने 20 रन और जोडे। इस दौरान उनका सबसे बढ़िया शॉट तब आया, जब वह क्रीज़ के भीतर काफ़ी पीछे खडे थे और ऑफ़ स्टंप के बाहर गुड लेंथ से एक उछलती गेंद स्टंप की ओर आई। उन्होंने हेलीकॉप्टर शॉट खेलने जैसा बल्ला घुमाया और नतीज़ा गेंद, कवर बाउंड्री की ओर तेज़ी से चली गई।
पंत ने पिछला वनडे एक साल से ज़्यादा पहले अगस्त 2024 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेला था। हालांकि वह अब भी भारत की सफ़ेद गेंद की योजनाओं के आसपास हैं। आम धारणा यह है कि उनकी ज्यादा जोख़िम भरी रणनीति टेस्ट क्रिकेट के लिए तो सही है, लेकिन सीमित ओवरों में वह अपनी लय नहीं ढूंढ पाए हैं।
आंकडे भी इसी धारणा की पुष्टि करते हैं। उन्होंने 31 वनडे मैचों में केवल एक शतक लगाया है और उनका औसत 33.50 का है। लिस्ट ए मैचों में भी उनके आंकडे कुछ अलग नहीं दिखते।
जब पंत 70 रन बनाकर आउट हुए, उसके बाद फिर से दिल्ली ने लगातार विकेट गंवाए और टीम निर्धारित 50 ओवरों में नौ विकेट पर सिर्फ़ 254 रन बना सकी, जबकि लग रहा था कि वे इससे कहीं ज़्यादा बना सकते थे।
हालांकि पंत के पास विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के जरिए अब फ़ॉर्म में लौटने और वनडे क्रिकेट में रन बनाने का नया तरीक़ा गढने का एक शानदार मौक़ा है। ठीक उसी तरह जैसे उनके साथी बल्लेबाज़ और विकेटकीपर इशान किशन ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफ़ी के दौरान किया था।
अभिजातो सेनशर्मा ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं