भारत 166/8 (तिलक 72*, वाशिंगटन 26, कार्स 3-29) ने इंग्लैंड 165/9 (बटलर 45, कार्स 31, अक्षर 2-32, वरुण 2-38) को दो विकेट से हराया
इंग्लैंड की पारी समाप्त होने के बाद अक्षर पटेल ने होम ब्रॉडकास्टर से कहा था कि यह हासिल होने योग्य लक्ष्य है। हालांकि भारत इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाता, अगर इंग्लैंड और जीत के बीच
तिलक वर्मा नहीं खड़े हो जाते।
साउथ अफ़्रीका दौरे पर नंबर तीन को अपना सबसे पसंदीदा बल्लेबाज़ी क्रम बताए जाने के बाद चेन्नई में एक बार फिर तिलक को नंबर तीन पर भेजा गया।
लगातार मैच का पासा पलट रहा था लेकिन अर्शदीप सिंह जब भारतीय पारी के 17वें ओवर की अंतिम गेंद पर आठवें विकेट के तौर पर आउट हुए तब तिलक ही भारत की अंतिम उम्मीद बचे हुए थे। यहां से भारत को अभी भी 20 रनों की दरकार थी लेकिन रवि बिश्नोई और वरुण चक्रवर्ती अंतिम बल्लेबाज़ के रूप में बचे हुए थे।
18वें ओवर में गेंद ब्राइडन कार्स के हाथों में थी, तिलक ने स्ट्राइक रवि बिश्नोई को दे दी लेकिन बिश्नोई द्वारा एक बार फिर तिलक को स्ट्राइक देने के बावजूद एक बार फिर स्ट्राइक बिश्नोई के हाथ में थी। पिछले ही ओवर में अर्शदीप एक बड़ा और गैरज़रूरी सा प्रतीत होता शॉट खेलने के क्रम में आउट हुए थे। लेकिन अगली ही गेंद पर बिश्नोई ने चौका जड़ा और एक बार फिर भारत की उम्मीदें ज़िंदा हो गईं।
आठ गेंदें शेष थीं और भारत को जीत के लिए 10 रनों की दरकार थी, बिश्नोई के बल्ले से एक और चौका निकला। लेकिन अगली ही गेंद पर कुछ ऐसा हुआ जिससे ना सिर्फ़ चेप़ॉक बल्कि तमाम भारतीय प्रशंसकों की सांसें एक पल के लिए थम गईं। ऑनफ़ील्ड अंपायर ने स्वीप खेलने गए बिश्नोई को नॉट आउट करार दिया था लेकिन इंग्लैंड ने रिव्यू लिया। हालांकि टीवी अंपायर ने जैसे ही बॉल ट्रैकिंग का उपयोग किया तब गेंद को ब्लाइंड स्पॉट के काफ़ी बाहर टप्पा खाते देखा गया। ब्लाइंड स्पॉट भारत के लिए जीत की प्रकाश किरणें लेकर आ चुका था।
क्योंकि अब अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए छह गेंद में छह रन चाहिए थे और स्ट्राइक एक बार फिर तिलक के पास थी। अंतिम ओवर में गेंद जेमी ओवर्टन के हाथ में थी। डीप स्क्वायर लेग पर लियम लिविंगस्टन ने चौका तो बचा लिया लेकिन स्ट्राइक अभी भी तिलक के पास थी जिन्होंने डीप एक्स्ट्रा कवर पर चौका जड़कर भारत की जीत सुनिश्चित कर दी।
तिलक जब बल्लेबाज़ी के लिए आए तब भारतीय पारी का सिर्फ़ दूसरा ओवर ही प्रगति पर था और पूरी बल्लेबाज़ी बची हुई थी लेकिन तिलक के अलावा सिर्फ़ वॉशिंगटन सुंदर (26) को छोड़कर कोई भी अन्य भारतीय बल्लेबाज़ 20 के आंकड़े को नहीं छू पाया था। विकेट गिर रहे थे और तिलक दूसरे छोर पर ना सिर्फ़ मौजूद थे बल्कि लगातार प्रहार कर रहे थे।
ट्विस्ट एंड टर्न से भरे इस मैच में कोई एक टर्निंग प्वाइंट नहीं था, लेकिन 13वें ओवर की दूसरी गेंद पर वॉशिंगटन का कैच छूट गया। तब भारत का स्कोर सिर्फ़ 95 रन था और पांच विकेट गिर चुके थे। लेकिन मार्क वुड अपने इस ओवर में ओवर स्टेप कर गए और इसके बाद तिलक ने ना सिर्फ़ लॉन्ग लेग पर छक्का जड़कर भारत को 100 पार पहुंचाया बल्कि दो लगातार चौके जड़कर भारत का बेड़ा पार लगने के संकेत भी दे दिए थे।
चेन्नई में एक बार फिर टॉस भारतीय कप्तान ने जीता था और इंग्लैंड को बल्लेबाज़ी के लिए आमंत्रित किया गया था। एक बार फिर इंग्लैंड को शुरुआती झटके लगे लेकिन एक बार फिर जॉस बटलर आक्रामक पारी खेल रहे थे और अपने अर्धशतक की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन बटलर की इस पारी पर विराम भी तिलक के ही कैच ने लगाया। तिलक ने इस मैच में कुल दो कैच लपके। जिसमें अपने पहले T20I में वरुण चक्रवर्ती को काउंटर करते हुए बड़ा छक्का जड़ने वाले जेमी स्मिथ का कैच भी शामिल था।
भारतीय पारी की तरह ही इंग्लैंड की पारी में भी लगातार विकेट गिर रहे थे लेकिन इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों ने आक्रामक रुख़ अपनाना नहीं छोड़ा था। कार्स की 31 रनों की पारी की बदौलत इंग्लैंड ने एक लड़ने लायक स्कोर बना लिया था। 16 गेंदों पर 30 रन बनाकर खेल रहे कार्स जब दूसरे रन के प्रयास में आर्चर के साथ गफ़लत पर रन आउट हुए तब इंग्लैंड की पारी में अभी भी 23 गेंदें शेष थीं।