न्यूज़ीलैंड 111 पर 2 (मिचेल 49, बुमराह 2-19) ने भारत 110 पर 7 (बोल्ट 3-20, सोढ़ी 2-17) को 8 विकेट से हराया
भारतीय टीम की 2021 टी20 विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में जगह बनाने की संभावना रविवार को न्यूज़ीलैंड के हाथों आठ विकेट से मिली हार के बाद मुश्किलों में फंस चुकी है। ईश सोढ़ी और मिचेल सैंटनर ने अपनी ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभाई। उन दोनों के आठ ओवरों में केवल 32 रन ही बन पाए और इनमें रोहित शर्मा और विराट कोहली के विकेट भी शामिल थे।
पाकिस्तान के सेमीफ़ाइनल में पहुंचने से एक कदम दूर और न्यूज़ीलैंड की अफ़ग़ानिस्तान के साथ होने वाली भिड़ंत को देखते हुए भारतीय टीम का आगे निकल पाना मुश्किल है।
रणनीति ने ख़ुद ही को दिया धोखा
भारतीय टीम ने टी20 क्रिकेट को वनडे क्रिकेट की तरह समझा। उन्होंने सिंगल और डबल पर ध्यान दिया, बाउंड्री तो लगाई नहीं। जैसा उन्होंने 2016 विश्व कप में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ भी किया था। उन्हें तेज़ी से रन बनाने की ज़रूरत थी। यह प्रारूप एक या तीन प्रयोग की मांग करता है। एक परिवर्तन या पांच। इसलिए उन्होंने इस बार एक अलग तरह के खिलाड़ी में निवेश किया। जो पहली गेंद से छक्के लगा सकता था, इशान किशन। उन्होंने रोहित शर्मा की ओपनिंग जगह ली और वह तीसरे ओवर में अपना विकेट गंवा बैठे। यह सबसे ख़राब फ़ैसलों में से एक था।
इस भारतीय टीम के ख़िलाफ़ शुरुआती विकेट अहम हैं। सीमित ओवर क्रिकेट में उनकी ज़्यादातर सफलता शुरुआती तीन बल्लेबाज़ों पर निर्भर करती है। न्यूज़ीलैंड ने उसी शीर्ष क्रम को चलने नहीं दिया। टिम साउदी और ट्रेंट बोल्ट ने पावरप्ले के भीतर सलामी बल्लेबाज़ों को बाहर कर दिया और अपनी टीम के लिए एक मंच तैयार कर दिया।
स्पिन का जाल
भारतीय टीम ने छठें ओवर और 17वें ओवर के बीच एक भी बाउंड्री नहीं लगाई। यह मैच में अहम कंट्रोल था जो सैंटनर और सोढ़ी ने बनाया। जाल तो उनके द्वारा फ़ेंकी गई लेंथ में था। दोनों स्पिनर इस बात से सावधान रहे कि लेंथ इतनी भी फुल ना हो कि वह बल्लेबाज़ के लिए स्लॉट में गिरे और वह एक पैर आगे निकालकर साइट स्क्रीन के इर्द गिर्द इसको भेज सकें। उन्होंने कभी भी भारतीय बल्लेबाज़ों को हाथ खोलने का मौक़ा नहीं दिया।
स्पिनरों की इस जोड़ी ने भारतीय बल्लेबाज़ों को रन बनाने के लिए पूरी तरह से विवश किया और यह टीम टी20 इतिहास में अपने दूसरे न्यूनतम स्कोर तक ही पहुंच सकी।
इरादे की कमी
दुबई पहले बल्लेबाज़ी करने के लिए एक कठिन मैदान है। दूसरी पारी के दौरान ओस आने से पहली पारी के विपरित यहां पर गेंद बेहद आसानी से बल्ले पर आती है। दोनों टीमें इस माहौल से अच्छी तरह वाकिफ़ थीं लेकिन उनमें से केवल एक ही इसे ठीक से अपना सकी। उदाहरण के लिए कोहली का विकेट ले लीजिए। भारत 11वें ओवर में तीन विकेट पर 48 रन बना चुका था और उन्होंने 16 गेंदों में केवल नौ रन बनाए थे। उन्हें यह सब भूलकर अपने आक्रामक खेल को ध्यान में रखते हुए पूरे 20 ओवर बल्लेबाज़ी करने की ज़रूरत थी। जैसा कि अफ़ग़ानिस्तान ने लगातार विकेट खोने के बाद पाकिस्तान के ख़िलाफ़ किया था। अगर ऐसा होता तो भारतीय टीम का यह स्कोर और आगे पहुंच पाता।
पारी के दूसरे हिस्से में जब गेंद को मारना काफ़ी आसान हो गया तो कोहली दबाव के आगे झुक गए। उन्होंने ग़लत शॉट खेला और लांग ऑन पर लपके गए। सोढ़ी ने उस शॉट की तलाश में ही उस गेंद को फेंका था। इस गेंद ने पूरे मैच का रूख़ बदल कर रख दिया।
न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ों ने बड़ी दिलेरी के साथ अपना काम किया। यही वजह रही कि न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाज़ों को बिना किसी दबाव के भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण का सामना करना पड़ा। डैरिल मिचेल ने 35 गेंद पर 49 रन बनाकर चीज़ों को और भी आसान बना दिया। अब बस न्यूज़ीलैंड टीम जीत के क़रीब पहुंच चुकी थी।
अलागप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।