भारत 310 पर 5 (गिल 114*, जायसवाल 87, जाडेजा 41*, वोक्स 2-59) बनाम इंग्लैड
भारतीय टीम जब
बर्मिंघम में उतरी थी, तो साफ़ था कि यहां पर शुरुआती घंटा बिताना अहम होगा। साथ ही पिच पर सूखी घास को देखते हुए वॉशिंगटन सुंदर को भी शामिल किया गया था, जो टीम के बल्लेबाज़ी क्रम और स्पिन अटैक को मज़बूत बनाने के लिए लिया गया फ़ैसला था। हालांकि जब भारत टॉस हारा तो कप्तान
शुभमन गिल ने भी कहा कि वह भी टॉस जीतते तो पहले गेंदबाज़ी करते क्योंकि यहां पर पहला एक घंटा मुश्किल होगा। ऐसा हुआ भी और
केएल राहुल अपना विकेट खो बैठे, लेकिन दिन के अंत तक भारत ने पांच विकेट 310 रनों पर गंवा दिए। लेकिन एकबार फिर से कप्तान गिल के शतक और
यशस्वी जायसवाल के 87 रनों की पारी को मध्यक्रम का साथ नहीं मिल पाया।
टॉस जीतकर इंग्लैंड ने बैज़बॉल युग में हमेशा की तरह पहले गेंदबाज़ी करने का निर्णय लिया। जायसवाल ने हमेशा की तरह चौथे स्टंप की बाहर की गेंद पर लगातार कट और कवर ड्राइव करने के प्रयास में बाउंड्री निकाली। राहुल हमेशा की तरह ऑफ़ स्टंप को बाउंड्री लाइन की तरह बनाकर चले और यहां से बाहर की गेंद को बेहद ही आसानी से छोड़ते दिख रहे थे। हालांकि क्रिस वोक्स राहुल को लगातार स्टंप्स लाइन में गेंदबाज़ी करते दिख रहे थे। राहुल गेंद छोड़ने का अंदाज़ इस तरह से है कि वह पैड के पीछे बल्ले को छुपा लेते थे, लेकिन वोक्स की लाइन-लेंथ के कारण राहुल गेंद को खेलने के लिए मजबूर हो गए। साथ ही वह थोड़ा देर से भी और इसी क्रम में गेंद बल्ले से लगकर सीधा स्टंप्स पर जा लगी।
जायसवाल अपनी धुन में थे, लेकिन यहां पर इंग्लिश गेंदबाज़ों ने करुण नायर के लिए कोई और ही प्लान बनाया था। वह उनको लगातार फुलर गेंद डालते रहे, इस प्रयास में कि गेंद बल्ले का बाहरी किनारा लेकर स्लिप में जाएगी। हालांकि उनकी 31 रनों की पारी में बेहतरीन कुछ शॉट इन्हीं गेंदों पर आए। वैसे विरोधी टीम का सेटअप भी काम कर गया, क्योंकि नायर ऑफ़ स्टंप के क़रीब शॉर्ट ऑफ़ लेंथ गेंद पर भौंचक्के रह गए और गेंद उनके ग्लव्स का किनारा लेकर स्लिप की ओर चली गई। यह गेंद अगर वह खेल लेते तो इस ओवर बाद लंच का ही समय हो जाता।
दूसरी ओर जायसवाल अपने ही जोन में लग रहे थे, लेकिन यहां पर अनुभवी स्टोक्स जानते थे कि विकेट कैसे निकाला जाता है। उनकी ताक़त को ही उन्होंने उनकी कमजोरी बनाकर दिखा दिया कि वह क्यों दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक हैं। पिछले मैच की तरह इस बार भी वह कट के लिए ललचाते दिखे थे। इससे पहले भी उन्होंने चौथे स्टंप के बाहर की गेंद पर कट लगाए थे, लेकिन स्टोक्स ने इससे भी बाहर गेंद डालकर जायसवाल को लालच दिया और वह फंस गए, क्योंकि इतनी बाहर की गेंद पर कट लगाना और मोटा ऐज़ पाना बेहद ही मुश्किल था, नतीज़ा वह भी आउट हो गए।
कप्तान और उप कप्तान अब क्रीज़ पर थे। दोनों में इतनी गहराई से बात हो रही थी, कि जब गेंद बदली गई तो गिल ने पंत को आवाज़ दी, यह गेंद थोड़ी सख़्त है। हालांकि पंत भी उनके साथ अर्धशतकीय साझेदारी करके शोएब बशीर की ड्रिफ़्ट में फंस गए और लांग ऑन पर लपके गए।
नीतीश कुमार रेड्डी जब तक यह समझ पाते कि वह ऑस्ट्रेलिया नहीं, इंग्लैंड में हैं, ऑफ़ स्टंप के बाहर टप्पा खाई गेंद तेज़ी से अंदर आई और उनका ऑफ़ स्टंप को ले उड़ गई।
अंत में हालांकि कप्तान गिल को टीम में सबसे अनुभवी खिलाड़ी रवींद्र जाडेजा का साथ मिला और दोनों ने टीम को संभाला और अर्धशतकीय साझेदारी ला दी। इस बीच बतौर कप्तान गिल ने लगातार अपना दूसरा शतक भी पूरा किया। उनकी इस पारी की हाइलाइट उनका क्रीज़ का बेहतरीन तरीके़ से इस्तेमाल करना था। आगे कई बार निकलने के बाद भी उनको डिफ़ेंस करते देखा गया। लेंथ बिगड़ने पर बाउंड्री लगाते हुए भी देखा गया।
कुल मिलाकर मध्य क्रम की निराशा के बीच कप्तान गिल और जायसवाल ने पहले दिन टीम को निराशा में नहीं डूबने दिया, जिसकी वजह से भारत पहले दिन पांच विकेट पर 310 रन बनाने में क़ामयाब रहा।