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इंग्लैंड दौरे पर आकाश दीप ने कैसे बिखेरी सफलता की चमक?

बहन के इलाज के लिए महीनों अस्पताल में बिताने के दौरान आकाश दीप की ट्रेनिंग तो दूर सोना-खाना भी बहुत मुश्किल हो गया था

इंग्लैंड दौरे पर जाने से पहले भारत के तेज़ गेंदबाज़ आकाश दीप के दिमाग़ में बस एक ही चीज़ चल रही थी कि वह इन दो महीनों को कैसे निकालेंगे?
कुछ महीने पहले तक आकाश दीप की रातें अस्पताल में बीत रही थीं, जहां वह कैंसर से जूझ रही अपनी बहन की देखभाल करने में व्यस्त थे। ट्रेनिंग की बात तो दूर उन्हें तो अपने खाने-सोने की फ़िक्र नहीं थी। क्रिकेट तो बहुत ही पीछे छूट गया था क्योंकि सामने ज़िंदगी की एक बड़ी चुनौती थी।
इसी वजह से बर्मिंघम टेस्ट में 10 विकेट लेने के बाद सबसे पहले आकाश दीप ने अपनी बहन को याद किया और इस प्रदर्शन को उन्हें समर्पित किया।
उस वक़्त को याद करते हुए आकाश दीप कहते हैं, "वह समय बहुत मुश्किल था। इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ वैसे भी आसान नहीं होती, ख़ासकर अगर आप तेज़ गेंदबाज़ हैं। इस सीरीज़ के लिए जब मुझे तैयारी करनी थी, उस वक़्त मैं बहुत सारी चीज़ों से जूझ रहा था।
"लगातार अस्पताल आने-जाने के कारण खाना-नींद सब बिगड़ गया था। मैं सच में सोच रहा था कि पांच टेस्ट कैसे खेलूंगा, क्योंकि IPL के दौरान भी, बहन के इलाज के कारण मेरी ट्रेनिंग ठीक से नहीं हो पा रही थी। शुक्र है कि इंडिया ए दौरे की वजह से सीरीज़ से पहले मुझे 10-15 दिन तैयारी का वक़्त मिल गया। उसी समय को मैंने अच्छे से इस्तेमाल किया।"
इंग्लैंड से लौटे हुए अब आकाश दीप को तीन हफ़्ते बीत चुके हैं। इस दौरान वह सबसे पहले अपने परिवार से मिलने घर गए, फिर मन की शांति के लिए कुछ मंदिरों का दर्शन किया और उसके बाद अपने गृहनगर सासाराम में अपनी क्रिकेट एकेडमी पर भी गए।
आकाश दीप बताते हैं, "जब मैं बड़ा हो रहा था, तो वहां कुछ नहीं था। ना मैदान, ना अभ्यास की सुविधा। मैंने 17-18 साल की उम्र तक लाल गेंद तक नहीं देखी थी। मैं हमेशा सोचता था कि जब मेरे पास पैसा और साधन होगा, तो मैं उन बच्चों की मदद करूंगा, जो मज़बूत आर्थिक पृष्ठभूमि से नहीं आते ताकि उन्हें ट्रेनिंग के लिए बहुत दूर न जाना पड़े।
"पैसे की कमी किसी को खेलने के सपने से दूर न करे। अच्छा लगता है कि मैं एकेडमी बनाने का अपना सपना पूरा कर पाया। मेरी टीम इसका ज़्यादातर काम देखती है और मैं उन्हें गाइड करता हूं। मैंने उनसे कहा है कि अगर किसी ग़रीब पृष्ठभूमि का बच्चा आता है और उसमें प्रतिभा है, तो उसे प्राथमिकता दी जाए।"
आकाश दीप का सफ़र हिम्मत और संघर्ष की मिसाल है। कोलकाता में 150 वर्ग फुट के कमरे में आठ लोगों के साथ रहना, क्लब क्रिकेट खेलने के लिए लेबू चा [नींबू चाय] पर गुज़ारा करना, या फिर मौक़े की तलाश में दुर्गापुर में चचेरे भाई के साथ रहना, यह सब देखा है उन्होंने।
शायद इसी वजह से वह कहते हैं कि मैदान पर बिताया हर पल ख़ास है। वह कहते हैं, "अगर आपकी सारी मुश्किलों के बीच ज़रा-सी ख़ुशी भी मिले, तो वही मुस्कान के लिए काफ़ी है।"
लेकिन ओवल टेस्ट के आख़िरी दिन एक महत्वपूर्ण समय पर जब उन्होंने गस ऐटकिंसन का कैच छोड़ दिया था और गेंद लॉन्ग-ऑन बाउंड्री के पार छः रनों के लिए चली गई थी, तब वह बिलकुल भी नहीं मुस्कुरा रहे थे। इंग्लैंड को जीत के लिए 11 रन तो भारत को एक विकेट चाहए थे। आकाश दीप और भारत दोनों की धड़कनें तेज़ हो गई थीं।
उस पल को याद करते हुए आकाश दीप कहते हैं, "शायद मैं छः रन बचा सकता था और गेंद को अंदर धकेल सकता था। लेकिन मैं कैच के लिए गया। शुक्र है कि अगले ही ओवर में [दो ओवर बाद] हमें विकेट मिल गया। कैच छोड़ने के बाद सोचने का वक़्त ही नहीं था। अगर कुछ और हो जाता (भारत को हार मिलती) तो शायद मैं ज़्यादा सोचता। ख़ुशी है कि मुझे ज़्यादा परेशान नहीं होना पड़ा। आख़िरी विकेट मिलते ही मैं भाग कर सिराज के पास चला गया।"
यह तो आकाश दीप के इंग्लैंड दौरे के हाइलाइट्स में से बस एक पल था। एक और पल था जब उन्होंने ओवल टेस्ट की पहली पारी में बेन डकेट को आउट करने के बाद दोस्ताना अंदाज़ में उनके कंधे पर हाथ रखकर बात की थी।
"वह 4-5 बार मुझसे आउट हो चुके थे। उस पारी में बल्लेबाज़ी करने से पहले उन्होंने कहा 'इस बार तुम मुझे आउट नहीं कर पाओगे'। लेकिन मैंने उन्हें आउट कर दिया और उनके पास जाकर कहा, 'भाई, अब जाकर आराम करो प्लीज़'," आकाश दीप हंसते हुए याद करते हैं।
बर्मिंघम का एक और पल उन्हें ख़ास याद है, जब उन्होंने जो रूट को आउट किया। "मैंने उन्हें आउट करने के लिए जो योजना बनाई थी, वह काम कर गई। गेंद देर से बाहर निकली और रूट को चौकाते हुए उनका ऑफ स्टंप उड़ा गई।" बाद में इस विकेट की तारीफ़ सचिन तेंदुलकर ने भी की थी।
लेकिन उनके लिए इस दौरे का सबसे अप्रत्याशित पल वह था, जब वह ओवल टेस्ट में नाइटवाचर बनकर बल्लेबाज़ी के लिए आए थे। आकाश दीप ने इस पारी में 66 रन बनाए और यशस्वी जायसवाल के साथ 107 रनों की साझेदारी की।
आकाश दीप कहते हैं, "मुझसे हमेशा सबको उम्मीद रहती है कि मैं बल्ले से योगदान दूं, लेकिन मैं हर बार ऐसा नहीं कर पाता हूं। उस पारी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। सबसे पहली सीख यही थी कि बल्लेबाज़ी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जब टीम को इसकी ज़रूरत हो, तभी असली मोटिवेशन आता है।"
आकाश दीप 2024 ब्रिस्बेन टेस्ट की भी अपनी पारी को याद करते हैं, जहां उन्होंने भारत को फॉलो-ऑन बचाने में मदद की थी। वह कहते हैं, "मुझे ख़ुद पर बल्लेबाज़ के तौर पर योगदान देने का दबाव बनाना चाहिए। मैं बस यशस्वी [जायसवाल] के साथ साझेदारी बनाने के बारे में सोच रहा था।"
इस पारी के बाद जब वह पवेलियन लौटे तो ड्रेसिंग रूम का माहौल कैसा था? "सब ख़ुश थे, क्योंकि बल्लेबाज़ हमें मज़ाक़ में चिढ़ाते रहते थे, 'कभी तो कुछ कर दो', 'दस तो बना दो, बीस तो बना दो', तो लगा अब कुछ दिन वे चुप रहेंगे [हंसते हुए]।"
इस समय आकाश दीप बेंगलुरु के सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस में हैं। महीनों बाद पहली बार उनके के पास ट्रेनिंग करने, सांस लेने का समय है।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर जबकि शशांक वरिष्ठ संवाददाता हैं