तेंदुलकर : सिराज को वह सम्मान नहीं मिलता जो मिलना चाहिए
पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ ने भारतीय खिलाड़ियों की तारीफ़ के बांधे पुल
ESPNcricinfo स्टाफ़
06-Aug-2025
सचिन तेंदुलकर ने उन कुछ भारतीय खिलाड़ियों की सराहना की है, जिन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ में अहम भूमिका निभाई। यह सीरीज़, आख़िरी दिन के दिल थाम देने वाले अंत के बाद 2-2 से बराबरी पर ख़त्म हुई। तेंदुलकर ने "अविश्वसनीय" मोहम्मद सिराज की तारीफ़ की, केएल राहुल के ऑफ़ स्टंप के आसपास अपने खेल को "सटीक फ़ुटवर्क" के साथ कसने की बात कही, यशस्वी जायसवाल के दोहरे शतकों, जज्बा और परिपक्वता की चर्चा की और शुभमन गिल के कप्तान के रूप में "शांत और संयमित" रहने की भी तारीफ़ की।
इस सीरीज में कई मोड़, जोरदार टकराव और कुछ असाधारण व्यक्तिगत प्रदर्शन हुए, जैसे ऋषभ पंत और क्रिस वोक्स का चोटिल होने के बावजूद बल्लेबाज़ी करने आना। पंत ने पांच में से चार टेस्ट खेले और दो शतक व तीन अर्धशतक लगाए, जिनमें आख़िरी पारी उन्होंने दाहिने पैर में फ्रैक्चर के साथ खेली। उन्होंने 68.42 की औसत और 77.63 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए।
तेंदुलकर ने सिराज की जमकर तारीफ़ की•AFP/Getty Images
"जो स्वीप शॉट उन्होंने खेला, उसमें वह गेंद के नीचे आना पसंद करते हैं ताकि उसे ऊंचाई के साथ स्कूप कर सकें," तेंदुलकर ने रेडिट पर कहा। "लोग सोचते हैं कि वह गिर गए हैं, लेकिन यह जानबूझकर किया गया है ताकि वह गेंद के नीचे आ सकें। ऐसे शॉट खेलने का राज़ यही है कि आप गेंद के नीचे आ सकें। यह एक योजना के तहत गिरना होता है, वह असंतुलित नहीं होते हैं। यह सब गेंद की लेंथ पर निर्भर करता है।"
पंत के शॉट खेलने के तरीके और उनमें जो "पंच" होता है, उसे "ईश्वर का वरदान" बताते हुए तेंदुलकर ने कहा, "कई बार लोग सोचते हैं कि उन्हें यह शॉट नहीं खेलना चाहिए, यह सही समय नहीं है। लेकिन ऋषभ जैसे खिलाड़ी को अकेला छोड़ देना चाहिए। जब वह मैच बचाने की सोच रहे हो, तो उन्हें एक अलग तरीका अपनाना होगा। लेकिन उन्होंने यह समझ लिया है कि पारी को कैसे खेलना है, यह मैच की स्थिति पर निर्भर करता है।"
गिल 'पूरी तरह नियंत्रण में' थे, राहुल ने कुछ 'शानदार शॉट्स' खेले
इस सीरीज में भारत के दो प्रमुख बल्लेबाज़ गिल और राहुल रहे, जिन्होंने क्रमशः 754 और 532 रन बनाए और मिलकर छह शतक लगाए। तेंदुलकर ने बताया कि दोनों बल्लेबाज़ों का "सटीक फ़ुटवर्क" इंग्लैंड की कठिन परिस्थितियों में देखने लायक था। कप्तान के रूप में गिल का रन योग डॉन ब्रैडमैन के 1936 में बनाए गए 810 रनों के बाद दूसरा सबसे अधिक था।
उन्होंने गिल के बारे में कहा, "वह अपने सोचने के तरीके़ में बेहद निरंतर थे क्योंकि यह आपके फ़ुटवर्क में भी झलकता है। अगर आप दिमाग़ में स्पष्ट नहीं हैं, तो आपका शरीर भी वैसे ही प्रतिक्रिया नहीं करता है। वह पूरी तरह से नियंत्रण में लग रहे थे, उनके पास गेंद को खेलने के लिए बहुत समय था। सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैंने देखी वह थी- अच्छी गेंद को सम्मान देना, जबकि कई बार प्रवृत्ति होती है कि आप फ़्रंटफुट पर जाकर गेंद को खेल दें, भले ही वह पास न हो। वह वहां डटे रहे और लगातार फ़्रंटफुट पर अच्छी तरह से डिफ़ेंड किया। उनका फ़्रंटफुट डिफ़ेंस मज़बूत था।"
राहुल के बारे में तेंदुलकर ने कहा, "वह शानदार थे, शायद मैंने उन्हें इससे बेहतर बल्लेबाज़ी करते कभी नहीं देखा। जिस तरह वह शरीर के पास डिफ़ेंस कर रहे थे, वह बहुत ही व्यवस्थित तरीके से गेंद छोड़ रहे थे। उन्हें पता था कि उनका ऑफ़ स्टंप कहां है और किन गेंदों को छोड़ना है। मुझे कभी-कभी ऐसा लगा कि वह गेंदबाज़ को निराश कर रहे थे कि अब उन्हें कहां गेंदबाज़ी करनी चाहिए अगर वह इतनी गेंदें छोड़ रहे हैं। और जब गेंद स्ट्राइकिंग रेंज में थी तो उन्होंने कुछ शानदार शॉट्स खेले। मुझे लगा वह उस ज़ोन में थे, शांत और संयमित।"
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सिराज को वह सम्मान नहीं मिलता जो मिलना चाहिए
गेंदबाज़ाें में सिराज ने तेंदुलकर को प्रभावित किया। सिराज दोनों टीमों में एकमात्र गेंदबाज़ थे जिन्होंने सभी पांच टेस्ट खेले और कुल 1113 गेंदें डालीं, जो किसी भी अन्य गेंदबाज़ से 361 ज्यादा थीं। वह 23 विकेट लेकर सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। दो टेस्ट में जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में उन्हें ज्यादा मेहनत करनी पड़ी।
तेंदुलकर ने कहा, "अविश्वसनीय। शानदार अप्रोच। मुझे उनका एटीट्यूड पसंद है। मुझे उनके पैरों की उछाल पसंद है।" एक तेज़ गेंदबाज़ के लिए लगातार ऐसे सामने बने रहना, कोई भी बल्लेबाज़ उसे पसंद नहीं करेगा। और जिस तरह से उन्होंने आख़िरी दिन तक अप्रोच रखा, मैं कमेंटेटरों को भी कहते सुना कि वह सीरीज़ में 1000 से ज़्यादा गेंदें डालने के बाद भी आख़िरी दिन लगभग 90 मील प्रति घंटे (145 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ़्तार से गेंदबाज़ी कर रहे थे। यह उसके साहस और बड़े दिल को दिखाता है।
"जिस तरह से उन्होंने आख़िरी दिन की शुरुआत की, वह शानदार थी। वह हमेशा से अहम भूमिका निभाते आए हैं। जब भी हमें उनकी ज़रूरत होती है, जब भी हम चाहते हैं कि वह नॉकआउट पंच दे, वह लगातार ऐसा करते हैं और इस सीरीज़ में भी वैसा ही हुआ। जिस तरह से उन्होंने विकेट लिए और प्रदर्शन किया, उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जो उन्हें मिलना चाहिए।"
जायसवाल को देखना 'आंखों के लिए सुखद अनुभव' था
राहुल के बैटिंग पार्टनर जायसवाल ने टूर की शुरुआत लीड्स में शतक से की और ओवल में भी शतक लगाकर समाप्त किया। इस बीच उन्होंने दो अर्धशतक भी लगाए और पांचवें टेस्ट में उनके शतक को विशेष रूप से सराहा गया, जहां उन्होंने नाइटवॉचमैन आकाश दीप के साथ अहम शतकीय साझेदारी की। जायसवाल ने सीरीज़ में 41.10 की औसत से 411 रन बनाए।
"मैं यशस्वी के मानसिक दृष्टिकोण से प्रभावित हुआ। वह निडर बल्लेबाज़ हैं और उन्हें पता है कि कब तेज़ी से रन बनाने हैं, कब समय निकालना है और कब नॉन-स्ट्राइकर एंड पर जाना है। उन्होंने पहले टेस्ट में एक मुश्किल पिच पर शतक बनाया, जहां गेंद थोड़ा हिल रही थी। जितना हम सोच रहे थे उतना ज़्यादा नहीं, लेकिन उन्होंने वहां अहम भूमिका निभाई।
"आख़िरी टेस्ट में उन्होंने एक मुश्किल पिच पर शानदार शतक बनाया। पहले की पिचें इतनी चुनौतीपूर्ण नहीं थीं, लेकिन आख़िरी वाली बल्लेबाज़ी के लिए कठिन थी। उन्होंने बहुत चरित्र, परिपक्वता और संकल्प दिखाया। जिस तरह से वह आकाश दीप का मार्गदर्शन कर रहे थे... एक बल्लेबाज़ की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ अपना रन बनाना नहीं होता, यह भी होता है कि आप साझेदारी कैसे बनाते हैं। उन्होंने आकाश दीप को प्रेरित करने की भूमिका निभाई। कुल मिलाकर, यशस्वी के लिए यह शानदार सीरीज़ थी। उन्हें देखना आंखों के लिए सुखद अनुभव था।"