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ओवल टेस्ट : क्या भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों ने इससे पहले कभी इतना रोमांचक टेस्ट मैच देखा था?

2010 का भारत-ऑस्ट्रेलिया मोहाली टेस्ट मैच इसके क़रीब तो आता है, लेकिन वह निर्णायक मैच नहीं था

कभी-कभी टेस्ट क्रिकेट अपने सबसे अनुभवी दर्शकों को भी ऐसे हालात में डाल देता है, जिनसे निकलने का कोई रास्ता नहीं समझ आता है। भारतीय समयानुसार सोमवार दोपहर को जब बाउंड्री पर खड़े आकाश दीप, मोहम्मद सिराज की गेंद पर गस ऐटकिंसन द्वारा मारे गए शॉट को छिटका देते हैं, तो वे भारत के करोड़ों प्रशंसकों को एक अनजानी स्थिति में पहुंचा देते हैं।
उस समय इंग्लैंड को जीत के लिए 11 रन की ज़रूरत थी और दो अच्छे शॉट भी इसके लिए काफ़ी होते।
भारत ने कभी 13 रन से कम अंतर से टेस्ट मैच नहीं जीता है। वे एक बार एक विकेट से जीते हैं, लेकिन इतने कम अंतर से कभी हारे नहीं हैं। वे एक टाई टेस्ट और एक ड्रॉ टेस्ट में शामिल रहे हैं, जिसमें एक विकेट बाक़ी था और स्कोर भी बराबर था। लेकिन दोनों बार भारत ने आखिरी पारी खेली थी।
तीन बार आखिरी जोड़ी ने उनके ख़िलाफ़ मैच बचाए हैं, लेकिन कभी हार का खतरा सामने नहीं था।
संक्षेप में भारत के खिलाड़ी पहले कभी इस तरह की स्थिति में नहीं थे, जब एक विकेट की दूरी पर जीत और एक-दो शॉट की दूरी पर हार खड़ी हो। ब्रिस्बेन 2021 एक परीकथा जैसी थी, लेकिन आख़िरी दस मिनटों में भारत लगभग पक्का था कि जीत उनकी ही है। भारत ने जीत का जश्न पहले ही मनाना शुरू कर दिया था। वह जीत जादुई थी, लेकिन इतनी क़रीबी नहीं।
शायद मोहाली 2010 में कुछ हद तक ऐसा महसूस हुआ था। भारत तब लक्ष्य का पीछा कर रहा था और हार बस एक विकेट दूर थी।
भारत की उम्मीदें एक घायल खिलाड़ी पर टिकी थीं, जिसकी कलाई में जादू था और साथी खिलाड़ी उनके रन दौड़ रहा था। वह शानदार जीत थी, लेकिन क्या क्रिकेट प्रेमियों को उस समय वैसा ही महसूस हुआ था, जैसा ओवल में हुआ?
शायद नहीं। क्योंकि वह सीरीज का पहला टेस्ट था, पांचवां व निर्णयाक नहीं और ना ही वहां पर इतना कुछ दांव पर था।
भारतीय क्रिकेट प्रशंसक पहले भी कई बार रोमांच और दुख का अनुभव कर चुके हैं, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि वे किंकर्तव्यविमूढ़ हों कि कब कौन सा पल आएगा, उन्हें कैसा लगेगा और तब वे क्या करेंगे?
ओवल टेस्ट से पहले पिछले 50 वर्षों में नौ टेस्ट ऐसे हुए हैं, जो दस रन या उससे कम के अंतर पर ख़त्म हुए हों। इसके अलावा इस दौरान 10 टेस्ट एक विकेट से जीते गए हैं।
इन 19 में से 18 बार भारत इस रोमांच का हिस्सा नहीं था। भारतीय क्रिकेट प्रशंसक एजबेस्टन 2005 में गेरेंट जोंस के लिए ख़ुश हुए या ऐसे कई मौक़े आए, जब अन्य देशों ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को इस रोमांच की ख़ुशियां दीं।
लेकिन ओवल टेस्ट के साथ अब वे भी इसे महसूस कर सकते हैं कि मैदान पर मौजूद खिलाड़ियों के लिए यह कितना मायने रखता होगा। आकाश दीप के लिए, जिन्होंने ऐटकिंसन का कैच छोड़ा था और आख़िरी दिन दर्द की सुई लेने के बाद भी गेंदबाज़ी नहीं कर पाए (या उनकी ज़रूरत नहीं पड़ी)। प्रसिद्ध कृष्णा के लिए, जिनके लिए यह सीरीज़ अच्छा नहीं गया था, लेकिन उन्होंने मैच में आठ विकेट लिए। ऐटकिंसन के लिए, जो स्ट्राइक पर थे और जानते थे कि जो करना है, उन्हें अकेले दम पर करना है।
क्रिस वोक्स के लिए, जो नॉन-स्ट्राइकर एंड पर कंधे में खिंचाव के साथ रन दौड़ रहे थे। दाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने नेट्स में सभी विकल्प आजमाने के बाद यह तय किया था कि ज़रूरत पड़ने पर वह एक हाथ या बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी करेंगे, जबकि उनका एक टूटा हुआ हाथ स्वेटर के अंदर था।
सिराज के लिए, जिन्होंने आख़िरी दिन की सुबह ही अपने फ़ोन के वॉलपेपर पर 'Believe' लिखा था। जिनकी आक्रामकता और तीव्रता 30 ओवर गेंदबाज़ी करने के बावजूद बरकरार रहती है।
भारत के प्रशंसकों के लिए यह जीत एक पृष्ठभूमि के साथ भी आती है। एक सीरीज, जिसमें भारत को अपने घरेलू ज़मीं पर 0-3 की दुर्लभ हार मिली हो, ऑस्ट्रेलिया में 1-3 की हार का दर्द, जब भारत के तीन बड़े टेस्ट खिलाड़ियों ने संन्यास ले लिया हो। एक महान तेज़ गेंदबाज जो सीरीज़ का हिस्सा तो था, लेकिन इस मैच का नहीं। एक तेज़ गेंदबाज़, जो दर्द झेलते हुए भी अपना यकीन ('Believe') नहीं छोड़ता।
वह अब एक बार फिर दौड़ता है। इस पारी में 181वीं बार, इस टेस्ट में 279वीं बार और इस सीरीज में 1122वीं बार।
क्रॉस-सीम, 143 किलोमीटर प्रति घंटे की गति, ऑफ़ स्टंप की जड़ में। एक गेंदबाज़, एक बल्लेबाज़, एक स्टंप। यहां पर क्रिकेट अपने मूल रूप में होता है, दर्शकों की सांसें थोड़ी देर के लिए थम जाती हैं।
ओवल 2025। ऐसा पहले कभी नहीं देखा। और कौन जाने, फिर कभी होगा भी या नहीं।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं