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अशोक शर्मा ने लगभग क्रिकेट छोड़ ही दिया था, लेकिन एक ऑडिशन ने तस्वीर बदल दी

राजस्थान के तेज़ गेंदबाज़ से मिलिए जो इस समय सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं और IPL टीमों का भी हिस्सा रह चुके हैं

Ashok Sharma in action at the nets, December 10, 2025

Ashok Sharma इस समय SMAT में लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं  •  Ashok Sharma/Red Bull

अशोक शर्मा ने तेज़ गेंदबाज़ी इसलिए शुरू की थी क्योंकि बचपन में उन्हें अपने ऑलराउंडर भाई अक्षय शर्मा को बल्लेबाज़ी का अभ्यास कराना रहता था। चूंकि उनके भाई बल्लेबाज़ी के साथ-साथ तेज़ गेंदबाज़ी भी करते थे, इसलिए उन्हीं को देखकर अशोक भी तेज़ गेंदबाज़ी करते थे।
दाएं हाथ से तेज़ गेंदबाज़ी करने वाले अशोक फ़िलहाल सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी (SMAT) में सात मैचों में सिर्फ़ 12.10 की औसत और 8.21 के स्ट्राइक रेट से सर्वाधिक 19 विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं। पूर्व में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और राजस्थान रॉयल्स (RR) के साथ रह चुका राजस्थान का यह तेज़ गेंदबाज़ 16 दिसंबर को होने वाली IPL नीलामी में भी टीमों के विशलिस्ट में ज़रूर रहने वाला है।
ESPNcricinfo से बात करते हुए अशोक बताते हैं, "यह मेरे भाई का त्याग है। जैसे ही मेरी 10वीं और भैया की 12वीं क्लियर हुई तो घर वालों ने साफ़ कह दिया कि कोई एक लड़का ही क्रिकेट खेलेगा। तो भैया ने मेरे लिए जगह खाली कर दी। उन्होंने मेरे लिए एकेडमी भी ढूंढी और मुझे पूरा सपोर्ट किया। वह जिला स्तर तक क्रिकेट खेल चुके थे और तब तक मैं स्कूल और मुहल्ले में सिर्फ़ टेनिस बॉल क्रिकेट खेलता था। लेकिन उन्होंने मुझमें कुछ देखा होगा, इसलिए मुझे आगे किया। फ़िलहाल वह अभी जयपुर में अपनी ख़ुद की एक क्रिकेट एकेडमी चलाते हैं।"
जयपुर के पास सटे एक छोटे से गांव रामपुरा में किसान के बेटे अशोक की गेंदबाज़ी में वह सब कुछ है, जो कि एक T20 गेंदबाज़ में होना चाहिए। तेज़ी उनका नैसर्गिक गुण है और वह आराम से 140 की गति से गेंदबाज़ी कर सकते हैं। RR में नेट गेंदबाज़ के रूप में उनका चयन ही तेज़ गेंदबाज़ी के लिए आयोजित एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता 'रेडबुल स्पीड स्टार' के ज़रिए 2021 में हुआ था। इसके बाद वह 2022 में KKR में मुख्य दल में गए और फिर 2023 और 2024 में RR वापस आते हुए उनके नेट गेंदबाज़ बने। 2025 में वह RR के मुख्य दल में शामिल थे, हालांकि उन्हें कभी एकादश में खेलने का मौक़ा नहीं मिला।
तेज़ी के अलावा अशोक नई गेंद से फ़ुल लेंथ और गुड लेंथ गेंदों से बल्लेबाज़ को परेशान करते हैं और जब डेथ में आते हैं तो उनके पास यॉर्कर, हार्ड लेंथ, स्लोअर, वाइड और बाउंसर गेंदों की विविधता की भरमार है। हालांकि वह सिर्फ़ T20 गेंदबाज़ हैं, ऐसा भी नहीं है। इस साल उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी डेब्यू करते हुए राजस्थान के लिए पांच में से चार मैच खेले, जिसमें वह सात पारियों में 29.71 की औसत से 14 विकेट ले चुके हैं।
डेल स्टेन को अपना आदर्श मानने वाले अशोक को तेज़ गेंदबाज़ी अपने बड़े भाई की वजह से चुननी पड़ी थी, लेकिन वह आज अगर क्रिकेट में हैं, तो उसका भी श्रेय उनके भाई को जाता है। एक किसान परिवार के लिए दो-दो बेटों को क्रिकेट एकेडमी में डालना और उनके लिए वैसी डाइट बनाए रखना संभव नहीं था। इसलिए एक समय ऐसा आया जब उनके पिता ने कहा कि वह सिर्फ़ एक ही बेटे को क्रिकेट में रख सकते हैं, तो बड़े भाई ने ख़ुद छोटे भाई को इसके लिए आगे कर दिया।
अशोक की एकेडमी उनके गांव से 40 किलोमीटर दूर थी और अगर वह रोज़ आते-जाते तो उसमें ही उनका दो से तीन घंटा लग जाता। हालांकि अगर वह बाइक से जाते तो वह अप-डाउन थोड़ा कम समय भी कर सकते थे, लेकिन 16 साल के अशोक के लिए उनके पिता ने यह अनुमति नहीं दी। इस कारण वह जयपुर में होते हुए भी अपने घर से दूर हॉस्टल में रहते थे।
अरावली क्रिकेट क्लब नाम के इस एकेडमी को राजस्थान और दिल्ली डेयरडेविल्स के पूर्व लेग स्पिनर विवेक यादव चलाते थे, जिनका कोविड के दौरान निधन हो गया था।
विवेक की इस एकडेमी में अशोक ने बहुत अनुशासन से नियमित होकर अपना अभ्यास किया और अपनी गति पर काम किया। तेज़ी तो उनमें पहले से ही थी, लेकिन अभ्यास के कारण यह और बेहतर होती गई।
अशोक कहते हैं, "मेरे हिसाब से गति पाने के लिए ऐसा कुछ अलग करने की ज़रूरत नहीं होती है। अगर आप रेगुलर रहोगे, क्रिकेट को पूरा समय दोगे, जो बेसिक चीजें हैं, जो कोच बता रहा है, जो ट्रेनर करा रहा है, उनको फ़ॉलो करोगे तो सारी चीज़ें अपने आप होंगी। अगर आप एक दिन करोगे, दो दिन नहीं करोगे तो वो कभी नहीं होगा। तो मेरे तेज़ी का मंत्रा यही है कि मैं इसको लेकर बहुत अनुशासित और नियमित रहा।"
हालांकि एकेडमी में जाने के दो साल बाद तक अशोक का चयन ज़िला स्तर के क्रिकेट में भी नहीं हुआ। उस समय दोनों भाईयों को शायद लगा कि उनका फ़ैसला ग़लत है, क्योंकि अक्षय तो कम से कम ज़िला स्तर पर खेल ही रहे थे। इसके अलावा परिवार से भी अल्टीमेटम आ गया कि उन्हें क्रिकेट छोड़कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद अशोक ने अपने घर वालों से एक साल और मांगा और फिर अपना सबकुछ झोंक दिया।
अशोक कहते हैं, "उस समय मुझे लगा था कि यह मेरा क्रिकेट में आख़िरी साल है। चयन में पॉलिटिक्स सब जगह होता है, यहां भी था तो यहां मौक़ा नहीं मिल रहा था। लेकिन मैं ठीक गति से गेंद डालता था तो मुझे ख़ुद पर विश्वास था। उस एक साल मैंने कुछ भी नहीं किया, मैं किसी फ़ंक्शन में नहीं गया, दिवाली-होली नहीं मनाई। किसी के घर नहीं जाता था, एक भी दिन का ब्रेक नहीं लिया। साल भर मैंने अपने लिए दिया, तो मुझे रिज़ल्ट मिला और मैं धीरे-धीरे राज्य की एज ग्रुप टीमों में आने लगा।"
जब अशोक एज ग्रुप की क्रिकेट खेल रहे थे, तभी कोविड आ गया और उनका करियर फिर से एक और अजीब मोड़ पर आ गया। हालांकि 2021 के रेडबुल स्पीड स्टार ट्रायल में राजस्थान और भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ पंकज सिंह की नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने सीधे उनको RR के नेट गेंदबाज़ी टीम में भेज दिया।
उस दिन को याद करते हुए अशोक बताते हैं, "इस ट्रायल के लिए मेरा रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था। जिस दिन ट्रायल होना था, उसके एक दिन पहले शाम को मुझे दोस्तों से इस ट्रायल के बारे में पता चला। उस समय तक मुझे यह भी नहीं पता था कि जो यहां सेलेक्ट होगा, उसको RR की तरफ से नेट बोलिंग का मौक़ा मिलेगा। मैंने जब चेक किया तब तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन बंद हो चुकी थी। तो मेरे दोस्त ने बोला कि सुबह ग्राउंड पर चलते हैं, वहां जो होगा, देखा जाएगा। भाग्य से वहां पर ऑफ़लाइन फ़ॉर्म भी था, तो मेरा ट्रायल हो गया। मुझे ठीक-ठीक याद नहीं लेकिन मैंने शायद 136 या 138 की स्पीड की गेंद डाली थी। पंकज भैया मुझसे बहुत इंप्रेस हो गए और उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम घर जाओ, तुमको कॉल आएगा।"
इसके बाद उन्हें RR से कॉल आया और उन्हें RR की टीम के साथ मुंबई भेज दिया गया। अभ्यास मैचों में अशोक ने नई गेंद से जॉस बटलर और संजू सैमसन दोनों को आउट किया। इसके बाद सैमसन ख़ुद सामने से आकर अशोक से पूछे कि वह अपनी राज्य की तरफ़ से क्रिकेट खेलते हैं या नहीं। इसके अलावा लगभग सभी लोगों ने उनकी गेंदबाज़ी की तारीफ़ की।
RR कैंप में अशोक को सबसे अधिक RR के मेंटॉर ज़ुबीन बरूचा और पिछले साल तक RR के फ़ील्डिंग कोच रहे दिशांत याग्निक का सपोर्ट मिला। अशोक कहते हैं, "मैं इन दोनों से ही ज़्यादा बात करता था। ये दोनों मुझे हमेशा मोटिवेट करते थे कि 'तू अच्छा कर रहा है, लगा रह, करता रह। अगले साल तुझे मेन टीम की ट्रायल पर भी बुलाएंगे।'"
इसके अलावा उन्हें RR की टीम में मेंटॉर और गेंदबाज़ी कोच रह चुके लसित मलिंगा और शेन बॉन्ड से भी काफ़ी कुछ सीखने को मिला।
वह कहते हैं, "शेन बॉन्ड (सर) से अधिकतर बार मैच सिचुएशन गेंदबाज़ी के बारे में बात होती थी। वह कहते थे कि क्लियारिटी रखना बहुत ज़रुरी है। वहीं मलिंगा सर बोलते थे कि इस बात में कंसिसटेंसी होनी चाहिए कि आप करना क्या चाह रहे हो? नेट में यह सोच के, प्लान करके आना चाहिए कि आज क्या करना है। हर दिन का एक गोल होना चाहिए कि हां, आज नई गेंद से लेंथ गेंद डालनी है या फिर पुरानी गेंद से मैच सिमुलेशन पर काम करना है। उन्होंने यही सिखाया कि अगर आप नेट्स में सोच के आओगे, तो मैच में भी आप कर पाओगे।"
इसके अलावा अशोक को संदीप शर्मा, ध्रुव जुरेल और यशस्वी जायसवाल से भी बहुत कुछ सीखने को मिला। वह जुरेल और जायसवाल को भी गेंद डालते थे और उनसे पूछते रहते थे कि क्या वह और बेहतर कर सकते हैं।
अशोक कहते हैं कि IPL माहौल में रहने, इन खिलाड़ियों से बात करने, उनके साथ अभ्यास करने से ना सिर्फ़ उन्हें खिलाड़ी के रूप में आत्मविश्वास मिला, बल्कि आर्थिक रूप से भी वह बहुत सक्षम और आत्मविश्वासी महसूस करने लगे।
वह कहते हैं, "पहले मेरे पास कुछ भी नहीं हुआ करता था। एक जूता भी मांगकर खेलना पड़ता था। जैसे एकेडमी में मैं आकाश सिंह भैया से जूते मांग के पहनता था, जो उस समय इंडिया अंडर-19 खेल चुके थे। अब मुझे लगता है कि अब मैं भी किसी गरीब परिवार के लड़के की मदद कर सकता हूं। मैं इन चीज़ों से गुज़र चुका हूं और मैंने देखा हुआ है यह सब कुछ। एक नीचे से उठने वाले लड़के को ही यह सब पता होता है।"
अशोक उस दिन को अब भी याद करते हैं, जब एक क्रिकेटर के रूप में उनकी पहली कमाई हुई थी। वह राज्य की अंडर-19 टीम में थे और जब उन्हें पहली बार मैच फ़ीस मिला तो वह अपनी मम्मी के लिए साड़ी लेकर गए।
हालांकि अशोक अब उस दिन के इंतज़ार में हैं, जब वह इंडिया जर्सी पहने और रिपोर्टर्स की यह जोड़ी फिर से एक बार उनका इंटरव्यू ले।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95