भारत 364 (राहुल 129, रोहित 83, एंडरसन 5-62) और 298 पर 8 (रहाणे 61, शमी 56*, वुड 3-51) ने इंग्लैंड 389 (रूट 180*, बेयरस्टो 57, सिराज 4-94) और 120 (रूट 33, सिराज 4-32, बुमराह 3-33) को 151 रन से हराया।
विदेशी पिच पर एक और टेस्ट, एक और बार पुछल्ले बल्लेबाज़ों का जादुई कारनामा। जसप्रीत बुमराह और शमी ने भले ही आज के दिन की शुरुआत एक बल्लेबाज़ के तौर पर की, लेकिन तब टीम एक मुश्किल परिस्थिति से जूझ रही थी और लगभग हार के मुहाने पर खड़ी थी। उसके बाद शमी, बुमराह और सिराज दिन के अंतिम पलों में एक बेहतर गेंदबाज़ बन कर उभरे और उन्होंने इंग्लैंड को मुश्किल में डाल दिया। जब दिन खत्म हुआ तो परिणाम भारत के पाले में था।
आज के दिन का खेल जब शुरू हुआ तब भारत के पास 154 रनों की बढ़त थी और बल्लेबाज़ी करने के लिए भारतीय टीम ऋषभ पंत (22) के अलावा कोई विशेषज्ञ बल्लेबाज़ नहीं था। भारतीय टीम को इस बात का इल्म हो गया था कि आज का दिन आसान नहीं होने वाला है क्योंकि दिन के खेल का पहला घंटा और ऊपर से नई चमचमाती गेंद, जो भारतीय बल्लेबाज़ों को तंग करने के लिए काफी थी।
पहले आधे घंटे के लिए सब कुछ इंग्लैंड के प्लान के हिसाब से चल रहा था। पंत ने भले एंडरसन को चहलकदमी करते हुए कवर के पास से काफी कड़कदार शॉट लगाया लेकिन उन्हें रॉबिन्सन ने काफी जल्दी निपटा दिया। पंत के आउट होने के बाद भारत के पास मात्र 167 रनों की बढ़त थी और बल्लेबाज़ी के नाम पर तीन पुछल्ले बल्लेबाज थे।
इस टेस्ट के पहले ही दिन भारत ने एक बड़ी बाजी खेली थी और इसमें रिस्क भी था। चोटिल शार्दुल की जगह अश्विन या अक्षर को टीम में जगह ना देकर टीम प्रबंधन ने इशांत शर्मा के साथ खेलने का निर्णय लिया था, जिसका साफ मतलब था कि टीम में चार विशेषज्ञ गेंदबाज़ और एक ऑलराउंडर जाडेजा होंगे।
भारत के इस फैसले के आधार पर इंग्लैंड ने कभी नहीं सोचा होगा कि आज के दिन में या फिर इस पूरे टेस्ट मैच में ऐसा कुछ होने वाला है। पंत के आउट तके होने के बाद पहले शमी और इशांत के बीच एक छोटी सी साझेदारी हुई और उसके बाद शमी और बुमराह ने नौवें विकेट के लिए 89 रन जोड़े और यहीं पर पूरा पासा पलट गया। इसके बाद इंग्लैंड के पास इस मैच में वापस आने का कोई मौका ही नहीं मिला।
आज जब इंग्लैंड की टीम मीटिंग में इस हार की विवेचना होगी तब कहीं ना कहीं भारत की पुछल्ले बल्लेबाज़ी के सामने इंग्लैंड की गेंंदबाज़ी के बारे में जरूर चर्चा होगी। विशेष रूप से बुमराह के सामने की गई गेंदबाज़ी के बारे में जरूर चर्चा होगी।
इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने अपने प्लान पर काफी अच्छे से काम किया लेकिन कहीं ना कहीं शमी और बुमराह ने इस गेंदबाज़ी का डट कर सामना किया और उसके बाद इंग्लैंड की टीम परेशान होकर, विफल होने लगी।
आमतौर पर बुमराह एक शांत चित्त व्यक्तित्व हैं और मैदान पर हमेशा कूल रहते हैं लेकिन सोमवार को इंग्लैंड के गेंदबाज़ों के साथ उनकी काफी कहासुनी हुई। हालांकि जब वुड का एक बाउंसर उनके सिर पर लगा तो उसके बाद बुमराह डरे नहीं बल्कि उन्होंने दो बार सिंगल लेने से मना कर दिया और यह साफ संकेत दिया कि मजबूत मानसिकता के साथ ऐसी गेंदों का सामना करने के लिए तैयार हैं। इसके बाद जब बुमराह और शमी ने बाउंसर गेंदों का सामना कर लिया तो इंग्लैंड के गेंदबाज़ विकेटों पर गेंद करने लगे और ये दोनों बल्लेबाज़ उन गेंदों पर आराम से रन बटोरने लगे। अंत में शमी ने मोईन अली की गेंद पर आक्रामक अंदाज में मिड विकेट के ऊपर से छक्का लगाकर अपना अर्धशतक पूरा किया। भारत ने अपना पहला सत्र में चार से भी ज्यादा रन रेट के साथ रन बनाए और कहीं ना कहीं इंग्लैड के लिए जीत को एक दूर की कोड़ी बना दिया।
इसके बाद जब भारतीय गेंदबाज़ गेंदबाज़ी के लिए उतरे तो बुमराह और शमी भारतीय टीम के जीत की गाथा के प्रमुख नायक थे। बल्लेबाज़ी में शानदार प्रदर्शन करने के बाद जब वो मैदान पर उतरे तो पहले दो ओवर में रॉरी बर्न्स और डॉम सिबली को आउट कर के मैच का भारत के पाले में डाल दिया।
इसके बाद हसीब हमीद और जो रूट ने भारत के चार गेंदबाज़ों का अगले 15 ओवर तक सामना किया। इसके बाद गेंद इशांत के हाथ में थी और उन्होंने अपनी शानदार इनस्विंग गेंद पर हमीद को वापस पवेलियन भेज दिया और इसके छह ओवर बाद बेयरस्टो को इशांत ने फिर से अपनी एक इनस्विंग गेंदबाज़ी का शिकार बनाया। चाय से पहले अब इंग्लैंड का स्कोर चार विकेट के नुकसान पर 67 रन था।
इसके बाद अब हार और जीत इस बात पर तय होनी थी कि जो रूट कितनी देर तक इस मैच में बल्लेबाज़ी कर पाएंगे। चाय के बाद भी इंग्लैंड को 38 ओवरों का सामना करना था और यह बात इंग्लैंड के कप्तान को भलि भांति पता थी लेकिन बुमराह ने एक बार फिर रूट के प्लान पर पानी फेर दिया। चाय के बाद तीसरी ही गेंद पर रूट को बुमराह ने पवेलियन का रास्ता दिखा दिया।
रूट के जाने के बाद अब इंंग्लैंड के पास बटलर, मोईन अली और सैम करन के रूप में तीन विशेषज्ञ बल्लेबाज़ बचे थे, शायद इंग्लैंड के लिए इस मैच को बचा सकते थे। अंतिम तीन विकेट लेने की जद्दोजहद कम हो जाती अगर कोहली 27वें ओवर में बुमराह की गेंद पर बटलर का कैच लपक लेते।
कोहली के लिए शुक्र है कि सिराज ने उनकी इस गलती का हरजाना भुगतने नहीं दिया और अपने सबसे शानदार फॉर्म को दिखाते हुए इंग्लैंड के बटलर, करन, मोईन और एंडरसन को आउट कर दिया। हालांकि बटलर और अली ने पिच पर टिके रहने का जज्बा दिखाया था और तकरीबन 16 ओवर तक पिच पर डटे रहे।
करन के आउट होने के बाद बटलर और रॉबिन्सन ने काफी देर तक पिच पर टिके रहे और मैच दिन के अंतिन 10 ओवरों में चला गया। हालांकि इस दौरान भारतीय खिलाड़ियो ने जुबानी जंग भी छेड़ी, जिसका ज्यादातर शिकार रॉबिन्सन ही हुए। एक पक्ष यह भी रहा कि इन्हीं दोनों के बल्लेबाज़ी के दौरान मैच मैदान पर सूरज ने भी अपनी रोशनी बिखेर दी और भारत को अपनी जीत साफ-साफ नजर आने लगी क्योंकि आज के दिन में रोशनी बाधा नहीं बनने वाली थी।
जब भारत को लगने लगा कि ये मैच अब शायद उनके हाथ से निकल रहा है तो वो वापस बुमराह के पास गए और बुमराह ने काफी चालाकी से राउंड द विकेट आकर दो बाउंसर गेंदें फेंकी और फिर एक गुडलेंथ गेंद फेंक दिया जिसे खेलने में रॉबिन्सन चूक गए और पगबाधा आउट हो गए।
अब भारतीय प्लेयर्स के कानों में जीत की धुन शायद बजने लगी थी। इसके बाद इशांत की जगह पर सिराज गेंदबाज़ी करने के लिए आए और बटलर बाहर निकलती हुई गेंद पर विकेटकीपर पंत को अपना कैच थमा बैठे और फिर उसी ओवर में उन्होंने एंडरसन को आउट कर के भारत को एक ऐतिहासिक जीत दिला दी।
वरुण शेट्टी ESPNcricinfo के सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।