यह डे-नाइट टेस्ट मैच इतना एक-तरफ़ा है कि मैच के पांचवें सत्र में ही भारत अपनी दूसरी पारी घोषित करने की चर्चा कर रहा था। जसप्रीत बुमराह ने घर पर अपना पहला पंजा खोला, ऋषभ पंत ने एक भारतीय द्वारा सबसे तेज़ टेस्ट अर्धशतक बनाया, और श्रेयस अय्यर के दूसरे अर्धशतक ने श्रीलंका को पहाड़ समान लक्ष्य का पीछा करने के लिए मजबूर किया।
श्रीलंका ने साढ़े पांच घंटे गेंदबाज़ी की जिसमें सुधार देखने को मिला लेकिन अभी भी उनमें परिस्थितियों का फ़ायदा उठाने के लिए नियंत्रण की कमी थी। वहीं भारतीय गेंदबाज़ो ने परिस्थितियों का पूरा फ़ायदा उठाया। दिन के पहले आधे घंटे में उन्होंने पहली पारी में श्रीलंका के शेष चार विकेट निकाले, और दिन के आख़िरी आधे घंटे में दूधिया रोशनी में नई गुलाबी गेंद के साथ बेहतरीन गेंदबाज़ी की। हालांकि उन्हें लहिरू थिरिमाने के रूप में एक ही विकेट मिला।
श्रीलंका ने भारत को मैच से कुछ देर के लिए बाहर रखने की उम्मीद में दिन की शुरुआत ज़रूर की होगी, लेकिन वे छह ओवर भी नहीं टिक पाए। बुमराह ने पंजा खोला तो दूसरे छोर से अश्विन न कैरम बॉल पर दो विकेट निकाले।
स्टंप्स से पहले 35 मिनट तक बल्लेबाज़ी करने उतरी श्रीलंका को फिर से बुमराह के प्रकोप का सामना करना पड़ा। थिरिमाने, जो पहली पारी में आउट स्विंग गेंद पर आउट हुए थे, उन्हें इस बार तीन तेज़ इनस्विंग गेंदें मिली।
श्रीलंका ने इस पूरी सीरीज़ में 167.5 ओवरों के भीतर अपने 31 विकेट गंवाए हैं। श्रीलंका की बल्लेबाज़ी को पांच सदस्यी भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण ने और ख़राब दिया है, जिनके बीच 24.13 की औसत से 1051 विकेट हैं।
आप उम्मीद कर सकते हैं कि आपके गेंदबाज़ आपको आधा मौक़ा दें, लेकिन श्रीलंका के गेंदबाज़ों ने परिस्थितियों को बर्बाद करना जारी रखा। उन्होंने या तो ओवरपिच गेंदबाज़ी की या बल्लेबाज़ों को बैकफ़ुट से बिना जोखिम शॉट खेलने दिए। इसलिए जब समय-समय पर अच्छी गेंदबाज़ी हुई तो श्रीलंकाई कप्तान कैचिंग पोज़िशन पर फ़ील्डर लगाने का जोखिम नहीं उठा सकते थे।
भारतीय बल्लेबाज़ों ने सकारात्मक रुख़ अपनाया। परिस्थितियों को काटने के लिए रोहित शर्मा ने रिवर्स स्वीप लगाए। अपने पूरे अंतर्राष्ट्रीय करियर के दौरान रोहित ने मात्र 7 रिवर्स स्वीप खेले हैं और उन्होंने रविवार को 46 रनों की पारी में तीन बार इस रचनात्मक शॉट का उपयोग किया। हनुमा विहारी ने अपनी 30 रनों की पारी के दौरान शानदार फ़ुटवर्क दिखाया। श्रेयस ने भी यही किया लेकिन उन्हें उपहार स्वरूप कुछ गेंदें भी मिलीं जिसे उन्होंने बाउंड्री लगाकर अच्छी तरह से भुनाया, और फिर पंत थे जो इसे आक्रामकता की पराकष्ठा तक ले गए। वह ऐसे खिलाड़ी हैं जो कप्तानों के दिलों में डर पैदा करते हैं। इससे पता चलता है कि इस पिच पर श्रीलंकाई कप्तान को पंत के लिए डीप स्क्वेयर लेग, एक डीप मिडविकेट और लॉन्ग-ऑन पर फ़ील्डर लगाना पड़ा। फिर भी उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और अपनी पारी की दूसरी ही गेंद पर क्रीज़ से बाहर निकले और डीप मिडविकेट के ऊपर से छक्का जड़ दिया।
पंत की पारी में कोई ख़राब शॉट नहीं था। उन्होंने रिवर्स स्वीप, एक लैप स्वीप, कुछ ख़राब गेंदों को नसीहत दी और तेज़ गेंदबाज़ों को आड़े हाथों लिया। एक ख़ूबसुरत कवर ड्राइव के साथ पंत ने 28 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया और कपिल देव का रिकॉर्ड तोड़ा जो टेस्ट क्रिकेट में 30 गेंदों में अर्धशतक लगाकर सबसे तेज़ अर्धशतक लगाने वाले भारतीय थे।
डिनर ब्रेक से ठीक पहले छक्का लगाने के चक्कर में जब पंत आउट हुए तो उस समय भारतीय टीम के पास 327 रनों की बढ़त थी। तब चर्चा थी कि भारत को पारी घोषित कर देनी चाहिए ताकि शाम के समय तेज़ गेंदबाज़ों को मदद मिलेगी। हालांकि भारत ने बल्लेबाज़ी जारी रखने का फ़ैसला किया। श्रेयस ने इस समय का उपयोग बड़ी पारी खेलने के लिए किया। हालांकि उम्मीद के विपरीत एक गेंद घूमी और वह स्टंप आउट हो गए। पारी घोषित करने से पहले भारत ने मोहम्मद शमी को भी बल्ला घुमाने का मौक़ा दिया।
अंतिम पारी की पहले ओवर में बुमराह के विकेट चटकाने के बाद अश्विन ने दिन की आख़िरी गेंद पर कुसल मेंडिस को लगभग फंसा ही लिया था लेकिन गेंद बैट-पैड पर लगकर शॉर्ट लेग के ऊपर से चली गई। तीसरे दिन की दोपहर को बल्लेबाज़ों का क्या इंतज़ार कर रहा है ये उसका बस एक छोटा सा नमूना था।