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स्टोक्स ने की अंपायर्स कॉल के विकल्प को हटाने की मांग

तीसरे टेस्ट में क्रॉली को आउट दिए जाने के बाद इंग्लैंड की टीम काफ़ी नाराज़ थी

भारत के ख़िलाफ़ तीसरे टेस्ट में मिली हार के बाद इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने डिशीज़न रिव्यू सिस्टम (DRS) से अंपायर्स कॉल हटाने की मांग की है। दरअसल स्टोक्स राजकोट टेस्ट की दूसरी पारी में ज़ैक क्रॉली को आउट दिए जाने के बाद, काफ़ी निराश थे। इसी कारण से उन्होंने DRS प्रणाली में बदलाव की मांग की है।
इंग्लैंड की दूसरी पारी के दौरान फ़ील्ड अंपायर कुमार धर्मसेना ने क्रॉली को बुमराह की गेंद पर आउट करार दिया था। हालांकि जब अंपायर्स कॉल के कारण उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा तो वह काफ़ी नाराज़ थे। उनका मानना था कि रिप्ले में जो गेंद अनुमानित पथ दिखाया गया था, उसके अनुसार गेंद लेग स्टंप के ऊपर से जाती। इस सीरीज़ में ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब क्रॉली अंपायर्स कॉल का शिकार हुए हैं। विशाखापटनम टेस्ट में भी कुलदीप यादव की गेंद पर कुछ ऐसा ही हुआ था और उस वक़्त स्टोक्स ने उस फ़ैसले को ग़लत बताया था।
इंग्लैंड को मिली 434 रन की हार के बाद इंग्लैंड के कप्तान को मुख्य कोच ब्रैंडन मक्कलम के साथ मैच रेफ़री जेफ़ क्रो से स्पष्टीकरण मांगते देखा गया था। स्टंप्स पर बोलते हुए, स्टोक्स ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि रिव्यू के दौरान जिन चीज़ों को दिखाया गया था, उसमें कमियां थीं। उसमें गेंद का जो अनुमानित पथ दिखाया गया था, वह लेग स्टंप के ऊपर से गुजरता। हॉकआई ने स्टोक्स को इस बात की पुष्टि की कि DRS के दौरान दिखाई गईं चीज़ें बिल्कुल सही थीं, जिसने ऑन-फ़ील्ड निर्णय के साथ बने रहने के लिए लेग स्टंप के साथ पर्याप्त संपर्क की भविष्यवाणी की थी।
स्टोक्स ने कहा, "जब हमने फिर से उन तस्वीरों और वीडियों को देखा तो हम जै़क के DRS के बारे में स्पष्टता चाहते थे। रीप्ले में गेंद स्पष्ट रूप से स्टंप को मिस कर रही है। इसलिए जब अंपायर्स कॉल का फ़ैसला आया तो हम थोड़ा आश्चर्यचकित थे। इसलिए हम हॉक-आई के लोगों से स्पष्टता चाहते थे।"
"हमें जवाब दिया गया कि उन्होंने जो गणना की थी, उसके अनुसार गेंद स्टंप को मिस करती। मुझे नहीं पता कि इसका क्या मतलब है। ऐसा नहीं है कि इस घटना के संदर्भ में मैं किसी को दोष दे रहा हूं। मैंने पिछले सप्ताह भी ज़्यादा कुछ नहीं कहा था। मुझे नहीं पता कि यह सब क्या चल रहा है…"
राजकोट में पहली पारी में ओली पोप के आउट होने से भी इंग्लैंड नाराज़ था। मोहम्मद सिराज की गेंद पर हुई एक अपील पर पोप को "नॉट आउट" दिया गया था लेकिन बाद में अंपायर को उस फ़ैसले को पलटना पड़ा क्योंकि लेग स्टंप पर उस गेंद का इम्पैक्ट पूरी तरह से सही था और यह अंपायर्स कॉल नहीं था। हालांकि लाइव वीडियो को देखने के बाद मेहमान टीम को लगा था कि यह फ़ैसला नॉट आउट ही रहेगा।
हालांकि स्टोक्स का यह भी मानना है कि सीरीज़ में अभी वह जहां खड़े हैं, उसके पीछे इन फ़ैसलों की कोई भूमिका नहीं है। लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि इस सिस्टम को बदलने की ज़रूरत है, और इसकी शुरुआत अंपायर्स कॉल से होनी चाहिए।
"किसी भी मैच के परिणामों पर इसका कुछ ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि जब इस तरह के फ़ैसले आपके पक्ष में नहीं जाते तो थोड़ा दुख होता है लेकिन यह खेल का हिस्सा है। आप चाहते हो कि इस तरह के फ़ैसले आपके पक्ष में जाएं लेकिन कभी ऐसा होता है और कभी ऐसा नहीं हो पाता।
"आप बस यह चाहते हैं कि दोनों टीमों के पास बराबर मौक़े हों। अंपायरों का काम अविश्वसनीय रूप से कठिन होता है। ख़ासकर भारत में जब गेंद घूम रही होती है तो यह और भी ज़्यादा मुश्किल हो जाता है। मेरी निजी राय है कि अगर गेंद (DRS में) स्टंप्स से टकरा रही है तो आउट दे देना चाहिए। मेरा मानना है कि अंपायर्स कॉल वाले विकल्प को हटा देना चाहिए। मैं इसमें ज्यादा नहीं पड़ना चाहता क्योंकि इससे ऐसा लगने लगेगा कि हम उसी कारण से यह टेस्ट हार गए।"
दूसरे टेस्ट के दौरान DRS की सटीकता के बारे में स्टोक्स की टिप्पणियों के बाद हॉक-आई की बॉल ट्रैकिंग तकनीक के निर्माता पॉल हॉकिन्स ने भी एक बयान दिया था।
हॉकिन्स ने संडे टाइम्स को बताया, "इसके ग़लत होने की एक प्रतिशत भी संभावना नहीं है। प्रत्येक DRS के लिए, हम स्क्रीन-ग्रैब करते हैं, जिसमें वह सब कुछ दिखाया जाता है, जो [हॉक-आई] ऑपरेटर दिखाता है। यह स्वचालित है, हम इसमें हेरफेर नहीं कर सकते हैं, और यह तुरंत ICC के पास जाता है क्योंकि यह गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया का हिस्सा है।"