स्मृति मांधना ने जब 11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था तो वह मैथ्यू हेडेन की तरह बल्लेबाज़ी करना चाहती थीं। हालांकि उन्होंने जल्दी से कुमार संगकारा और सौरव गांगुली के जैसे ख़ुद को फिर से बनाया, जब कोचों ने उन्हें बताया कि हार्ड हिटिंग नहीं टाइमिंग उनकी ताक़त होगी।
उन्हीं कोचों ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ राष्ट्रमंडल खेलों के सेमीफ़ाइनल में स्मृति की विस्फोटक बल्लेबाज़ी को आनंदपूर्वक देखा होगा।
उदाहरण के लिए तीसरे ओवर में इसी वॉन्ग पर छक्के को लें। छोटी गेंद पर स्क्वेयर के सामने एक पुल जिसकी लेंथ को उन्होंने जल्दी पढ़ा। भले ही एजबेस्टन में बाउंड्री काफ़ी हद तक छोटी की गई थी, लेकिन दुनिया के किसी भी मैदान पर यह छक्का होता।
उछाल वाली पिचों पर स्मृति ने महसूस किया कि उन्हें रन बटोरने के नए तरीक़े खोजने की ज़रूरत है, न कि केवल अपने ऑन द अप ड्राइव पर भरोसा करने की। वह अपने पुल पर कड़ी मेहनत करने लगीं। स्मृति का क़द उन्हें ज़्यादातर उछाल के ऊपर जाने की अनुमति देता है; यह बस संतुलन खोए बिना स्ट्रोक पर नियंत्रण रखने की बात है। आज उनके पास महिला क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ पुल शाटों में से एक है।
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारत की पारी ने
जेमिमाह रॉड्रिग्स के उद्भव को भी प्रदर्शित किया, जिन्होंने पारी को फ़िनिश किया।
जेमिमाह के करियर में कई बार उतार-चढ़ाव आए हैं, जब से उन्होंने एक विलक्षण प्रतिभाशाली 18 वर्षीय युवा के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। जब वह फ़ॉर्म में थीं, तब मध्यक्रम में किसी के लिए कोई जगह नहीं थी। और जब वह लंबे समय तक ख़राब स्कोर से गुज़रीं, तो उन्हें अपनी जगह गंवानी पड़ी।
जब महामारी ने क्रिकेट कैलेंडर को प्रभावित किया, तो जेमिमाह स्मृति के साथ अपने स्मैश हिट यूट्यूब शो के साथ इंटरनेट पर निरंतर उपस्थिति थीं। इस जोड़ी ने कई खेल हस्तियों का इंटरव्यू लिया और लंबे लॉकडाउन में हास्य और रंग का अपना स्पर्श जोड़ा।
रोहित शर्मा के साथ ऐसी ही एक बातचीत के दौरान जेमिमाह ने निरंतरता के विषय पर बात की। रोहित ने अपने करियर के पहले पांच-छह वर्षों में उम्मीदों से निपटने के लिए अपने संघर्ष के बारे में बात की, कैसे उन्होंने अपने चारों ओर एक "ढाल" बनाकर इस पर काबू पाया, और खेल से ध्यान हटाने के लिए परिवार और दोस्तों पर निर्भर रहे।
जेमिमाह ने तब से इस बारे में बात की है कि कैसे रोहित के साथ इस बातचीत और ऋषभ पंत सहित अन्य लोगों के साथ बातचीत ने उन्हें अपने संघर्षों से निपटने में मदद की। जेमिमाह के वर्तमान रूप को उनकी जागरूकता और विचारों की स्पष्टता से परिभाषित किया गया है, जिसे उन्होंने पिछले सप्ताह से राष्ट्रमंडल खेलों में दिखाया है।
बारबेडोस के ख़िलाफ़ 'करो या मरो' वाले मुक़ाबले में उन्होंने नाबाद अर्धशतक के साथ भारतीय पारी को स्थिरता प्रदान की।
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ उन्होंने स्ट्राइक रोटेशन का एक मास्टरक्लास दिखाया और 31 गेंदों में नाबाद 44 रन बनाए। अपनी पारी के दौरान वह इनसाइड आउट खेलने और कवर के क्षेत्र में रन बनाने के लिए कई बार पीछे हटीं।
जेमिमाह जानती हैं कि वह एक पावर हिटर नहीं हैं, लेकिन वह इस कमी से वाकिफ़ हैं। वह टाइमिंग और हाथ-आँख के तालमेल की ख़ूबियों पर भरोसा करके रन बटोर सकती हैं, जिसका श्रेय वह हॉकी के लिए अपने शौक को देती हैं।
भारत भले ही कम से कम 180 का टारगेट देख रहा हो, जब वे पावरप्ले की सामाप्ति के बाद बिना किसी नुक़सान के 64 पर थे, लेकिन उन उम्मीदों को जल्दी ही झटके लगे। जेमिमाह उस समय बीच में थीं जब पारी को संयम की ज़रूरत थी। उन्होंने वैसा ही किया और जब तेज़ रन बटोरने का समय आया तो उन्होंने अपने कौशल पर भरोसा करते हुए ऐसा किया। यह भारत के 145 रन बनाने और 164 रन बनाने के बीच का अंतर साबित हुआ।
स्मृति और जेमिमाह के योगदान, अच्छे दोस्त और भारत के लिए खेलने से बहुत पहले वेस्ट ज़ोन टीम के साथी, ने रूढ़िवाद से दूर और अधिक दूरदर्शी दृष्टिकोण की ओर, भारत के टी20 खेल में एक संभावित बदलाव की एक झलक प्रदान की है।
यह दृष्टिकोण उन्हें स्वर्ण पदक मैच में ले गया है; अगर दोनों रविवार को उस मैच में अच्छा प्रदर्शन करती हैं, तो वे भारतीय महिला क्रिकेट में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती हैं।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एडिटोरियल फ़्रीलांसर कुणाल किशोर ने किया है।