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मैंने अपनी कार, संपत्ति और सब कुछ बेच डाला था ताकि एक नई शुरुआत कर सकूं: डेवन कॉन्वे

पूर्व दक्षिण अफ़्रीकी खिलाड़ी जिसने अब न्यूज़ीलैंड की ओर से खेलते हुए रच डाला इतिहास

Devon Conway looks on, Super Smash, Wellington Firebirds v Auckland Aces, Basin Reserve, Wellington, New Zealand, January 12, 2020

2019-20 के प्लंकेट शील्ड, फ़ोर्ड ट्रॉफ़ी और टी20 सुपर स्मैश में डेवन कॉन्वे शीर्ष स्कोरर थे  •  Getty Images

क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स पर डेब्यू करते हुए न्यूज़ीलैंड के बाएं हाथ के बल्लेबाज़ डेवन कॉन्वे ने कई रिकॉर्ड तोड़ डाले। अपनी पहली ही पारी में उन्होंने दोहरा शतक लगाते हुए पिछले सदी के पुराने कीर्तिमानों को ध्वस्त कर दिया। इंग्लिश सरज़मीं पर डेब्यू करते हुए सबसे ज़्यादा रन के मामले में कॉन्वे ने केएस रंजीतसिंहजी और डब्लू जी ग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया।
टेस्ट मैच की अपनी पहली ही पारी में दोहरा शतक लगाने वाले कॉन्वे के लिए यहां तक का सफ़र इतना आसान नहीं रहा है। बल्कि पहले प्रथम श्रेणी दोहरे शतक के लिए उन्हें आठ सालों का इंतज़ार करना पड़ा था और फिर अपना देश भी छोड़ना पड़ा था।
चार साल पहले दक्षिण अफ़्रीका के जोहांसबर्ग में कॉन्वे ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपना पहला दोहरा शतक प्रोविंशियल स्तर पर गॉटेन्ग की ओर से खेलते हुए लगाया था। इसके बाद उनकी ख़ुशी देखने लायक़ थी, क्योंकि इस बाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए आठ सालों के प्रोफ़ेशनल करियर में यह पहला मौक़ा था जब उन्होंने दोहरा शतक लगाया था। यह पारी उनके क्रिकेट करियर की एक नई शुरुआत जैसी थी, क्योंकि दक्षिण अफ़्रीकी घरेलू क्रिकेट की ओर से यह आख़िरी पारी थी। इसके बाद कॉन्वे ने दक्षिण अफ़्रीका को अलविदा कहते हुए अपने नए घर न्यूज़ीलैंड की ओर चल पड़े थे।
प्रोविंशियल स्तर पर तो कॉन्वे का प्रदर्शन शानदार था, जिसे दक्षिण अफ़्रीकी घरेलू क्रिकेट में दूसरे दर्जे का स्थान हासिल है। कॉन्वे इसी प्रदर्शन को शीर्ष स्तर पर अपनी टीम लॉयन्स की ओर से खेलते हुए नहीं दोहरा पाए, जब उन्होंने दक्षिण अफ़्रीका से विदाई ली थी तब उनके नाम 12 मैचों में 21.29 की औसत से रन आए थे और उसमें उनके नाम सिर्फ़ एक अर्धशतक था।
हालांकि इसके लिए उन्होंने बल्लेबाज़ी क्रम को दोषी ठहराया था। "मैं हमेशा टीम से अंदर-बाहर होता रहता था, मेरा स्थान सुनिश्चित भी नहीं था। मैं हमेशा अलग-अलग स्थानों पर बल्लेबाज़ी करने आता था, टी20 में मैं सलामी बल्लेबाज़ था तो वनडे में नंबर-5 पर खेलता था और चार दिवसीय मैचों में तब जगह मिलती थी जब कोई नहीं खेल रहा होता था।"
इन चीज़ों को देखते हुए कॉन्वे ने सोच लिया था कि दक्षिण अफ़्रीका की ओर से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का उनका सपना साकार नहीं होने वाला। लिहाज़ा उन्होंने कोलपैक के ज़रिए इंग्लैंड में खेलने का मन बना लिया था, क्योंकि कॉन्वे हर सीज़न में इंग्लैंड में खेलने जाते थे। लेकिन उन्हें न्यूज़ीलैंड की ओर से खेलने के लिए उनके साथी मैलकम नोफ़ाल और माइकल रिपन ने प्रेरित किया, ये दोनों भी न्यूज़ीलैंड में बस गए हैं। कॉन्वे अगस्त 2017 में न्यूज़ीलैंड की ओर चल पड़े और वहां से आगे की राह बनाने की ठान चुके थे।
वेलिंग्टन पहुंचने के बाद कॉन्वे विक्टोरिया यूनिवर्सिटी क्रिकेट क्लब में खिलाड़ी और कोच दोनों की भूमिका में जुड़े। इस देश में आए अभी चार दिन भी नहीं हुए थे कि उन्हें वेलिंग्टन से प्यार हो गया था और यही वजह थी कि उन्होंने अब पीछे का सब छोड़कर एक नई शुरुआत करने का मन बना लिया और इसके लिए अपना आशियाना बनाने का भी फ़ैसला कर लिया।
"मैंने अपनी संपत्ति बेच डाली, कार बेच दी, मेरे पास जो कुछ था मैंने सब बेच दिया था क्योंकि एक तो मैं वह सब यहां ला नहीं सकता था और दूसरा यह कि मैं कुछ याद नहीं रखना चाहता था। अगर मैं ऐसा नहीं करता तो फिर मैं एक सीज़न के बाद शायद क्रिकेट भी नहीं खेल पाता क्योंकि मेरे दिमाग़ में फिर चलता रहता कि क्या मुझे वापस जाना चाहिए, जो मैं नहीं चाहता था।"
दक्षिण अफ़्रीका में जिस खिलाड़ी को टीम में जगह नहीं मिलती थी वही कॉन्वे न्यूज़ीलैंड में टीम का अभिन्न अंग बन गए थे। न्यूज़ीलैंड की घरेलू टीम वेलिंग्टन फ़ायरबर्ड्स की ओर से खेलते हुए 17 प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने 72.63 की बेहतरीन औसत से 1598 रन बनाए, जिसमें कैंटरबरी के ख़िलाफ़ पिछले अक्तूबर में 327 रनों की पारी शामिल है। न्यूज़ीलैंड की सरज़मीं पर यह सिर्फ़ आठवां तिहरा शतक था।
इसके बाद तो मानों कॉन्वे ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, 2019-20 की तीनों ही घरेलू प्रतियोगिता प्रथम श्रेणी में प्लंकेट शील्ड, लिस्ट ए में फ़ोर्ड ट्रॉफ़ी और टी20 में टी20 सुपर स्मैश - में कॉन्वे शीर्ष स्कोरर रहे।
इन्ही प्रदर्शनों के दम पर आख़िरकार कॉन्वे को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय टीम में मौक़ा मिला, वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ टी20 अंतर्राष्ट्रीय में कॉन्वे ने डेब्यू किया और पहले ही मैच में उन्होंने सभी को प्रभावित करते हुए 29 गेंदों पर 41 रनों की आकर्षक पारी खेली। इसके कुछ ही महीनों बाद बांग्लादेश के ख़िलाफ़ कॉन्वे ने अपने वनडे करियर का भी आग़ाज़ किया।
लेकिन कॉन्वे के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि अभी बाक़ी थी और वह थी टेस्ट मैच में डेब्यू करना। कॉन्वे का यह सपना आख़िरकार लॉर्ड्स में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सच हुआ, जहां उन्होंने दोहरा शतक लगाते हुए अपने चयन और दक्षिण अफ़्रीका छोड़ने के फ़ैसले को पूरी तरह सार्थक साबित कर दिया।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है।