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तेज़ रफ़्तार, सटीक वार, ओवल के उस्ताद : इंग्लैंड में प्रसिद्ध की वापसी की दास्तान

जो रूट के साथ प्रसिद्ध कृष्णा की जो नोक-झोंक हुई थी, उस बारे में प्रसिद्ध ने एक बहुत ही मज़ेदार बात बताई है

Shashank Kishore
शशांक किशोर
02-Sep-2025 • 13 hrs ago
प्रसिद्ध कृष्णा ने इंग्लैंड और भारत के बीच खेले गए हालिया टेस्ट सीरीज़ के दौरान कुछ ऐसे प्रदर्शन किए, जो उन्हें काफ़ी समय तक याद रहेगा। पिछले कुछ दिनों से उन्हें अपने उस प्रदर्शन के बारे में सोचने-समझने का भी काफ़ी समय मिला होगा। उस सीरीज़ के बाद प्रसिद्ध यूरोप में ट्रेकिंग कर रहे थे। पहाड़ की पगडंडियों पर उन्हें नई गेंद की रणनीति और शॉर्ट बॉल का बेहतर उपयोग करने तरीक़ों के बारे में भी विचार करने का पर्याप्त समय मिला होगा। यूरोप में बिताए गए समय और परिवार के साथ कुछ सुकून भरे पलों ने उन्हें फिर से एक बेहतर शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया होगा।
भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए पांचवें टेस्ट के दौरान कभी न भुला पाने वाले प्रदर्शन करने वाले प्रसिद्ध ने एकबार फिर से मैदान पर वापसी कर ली है। वह अब आने वाले घरेलू टूर्नामेंट की तैयारियों में ध्यान दे रहे हैं। भले ही उनका चयन पुरुष एशिया कप की टीम में नहीं हुआ है, लेकिन इस बात की पूरी उम्मीद है कि अक्तूबर में वेस्टइंडीज़ और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ होने वाले टेस्ट सीरीज़ में उन्हें मौक़ा दिया जाएगा।
प्रसिद्ध ने ESPNcricinfo से कहा, "मैंने इंग्लैंड सीरीज़ के बाद लगभग 10 दिनों का ब्रेक लिया था। महाराजा ट्रॉफ़ी में उनकी फ़्रेंचाइजी मैसूर वॉरियर्स के मालिक ने मुझे कहा 'तुम जाओ, आराम करो और जब लौटो तो खेलना शुरू कर देना।'
"यहां तक कि जब मैं सीरीज़ के तुरंत बाद हाइकिंग कर रहा था, तब पूरे शरीर में दर्द था। आख़िरी टेस्ट [द ओवल पर] और छुट्टी के तीन कठिन दिनों के बाद भी मेरा शरीर काफ़ी थका हुआ था।। चौथे दिन मैंने यह तय किया, 'आज कुछ नहीं करूंगा'। मैंने अपनी पत्नी को हाइकिंग पर जाने को कहा और मैं रुका रहा। उस दिन शरीर को थोड़ा और रिकवर होने का मौक़ा मिला।"
प्रसिद्ध को एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी के पांच में से तीन टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा दिया गया था। ओवल में तो उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया और भारत को सीरीज़ में बराबरी करने का मौक़ा दिया। उस मैच में प्रसिद्ध ने बेहतरीन तरीक़े से मोहम्मद सिराज का साथ दिया। उस मुक़ाबले के दौरान उन्होंने कुल 43 ओवर की गेंदबाज़ी की और 188 रन देकर 8 विकेट लिए। जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में सिराज और आकाश दीप के साथ मिलकर उन्होंने भारतीय टीम के गेंदबाज़ी अटैक को मज़बूती प्रदान करने के काम को बख़ूबी अंजाम दिया।
यह प्रदर्शन उनके लिए बहुत ही ज़्यादा महत्वपूर्ण था। हालात ऐसे थे कि मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट से बाहर कर दिया गया था और टीम प्रबंधन ने अंशुल कम्बोज को मौक़ा देने का निर्णय लिया था।
प्रसिद्ध कहते हैं, " शारीरिक तौर पर इस सीरीज़ ने मुझसे काफ़ी मेहनत करवाई। रिकवर करने में लगभग हफ़्ता लग गया। इसके बाद मैंने महाराजा ट्रॉफ़ी में के कुछ मैचों में भी हिस्सा लिया। अपने राज्य में जाकर युवाओं से बात करना, साथियों के साथ क्रिकेट एक अच्छा अनुभव था, जिससे मुझे क्रिकेट के माहौल में दोबारा सेट होने का मौक़ा मिल गया।
"उसके बाद मैं बेंगलुरु वापस आया और ट्रेनिंग शुरू की। गेंदबाज़ी करना भी शुरू किया और पिछले दो दिनों में [BCCI फ़िटनेस] टेस्ट हुए। आज सुबह जब उठा तो ऐसा लगा कि अब मैं दोबारा क्रिकेट खेलने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।"

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इंग्लैंड में गर्मियों का मौसम आहिस्ता-आहिस्ता अपना पांव आगे बढ़ा रहा था और 25वें दिन में प्रवेश कर चुका था। मैच उस दिशा में बढ़ रही थी, जहां से नतीजा बिल्कुल भी साफ़ नहीं था। इंग्लैंड 374 के लक्ष्य की ओर काफ़ी सहजता के साथ बढ़ रहा था। हैरी ब्रूक का विकेट प्रसिद्ध को पिछले दिन ही हासिल कर लेना चाहिए था लेकिन सिराज ने सीमा रेखा के पास ऐसी चूक की थी, जो सालों तक याद रखी जाती। हालांकि न ही सिराज और न ही प्रसिद्ध उस मूड में थे कि उनकी ग़लतियों को सदियों तक याद रखने का मौक़ा दिया जाए।
चौथे दिन का हाल तो कुछ ऐसा था कि भारतीय फ़ील्डर बस गेंद के पीछे भागे जा रहे हैं। हिम्मत टूटने की कगार पर थी। भारतीय चेहरे मायूस और कंधे झुके हुए थे। दर्शकों में एक बेबस करने वाली ख़ामोशी थी लेकिन प्रसिद्ध दिन के अंतिम सेशन में नौ रन देकर दो विकेट लिए और भारत की वापसी करा दी।
लेकिन मौसम का मानना था कि जब सीरीज़ इतनी ऐतिहासिक रूप से आगे बढ़ रही है तो क्यों न इसे मैच और सीरीज़ के अंतिम दिन तक लेकर जाया जाए। ख़राब रोशनी और बारिश के कारण मैच रोक दिया। इस बात का आहट पहले से ही सुनाई दे चुकी थी कि रोमांच को फलने, फूलने और संवरने का मौक़ा मिल गया है। अंतिम दिन इंग्लैंड को जीत के लिए 35 रन और भारत को चार विकेट की आवश्यकता थी।
पांचवें दिन प्रसिद्ध की पहले दो गेंदों पर दो चौके लग गए। लेकिन उन्होंने बिखराव और संयम के बीच संयम का चयन किया। उस दिन को याद करते हुए प्रसिद्ध कहते हैं, "पहली गेंद मैंने पहले से सोच कर रखा था कि बाउंसर गेंद फेंकूंंगा। उससे मुझे अंदाज़ा लग गया कि आगे की रणनीति कैसे तय करनी है। मुझे लगा यह मेरी सबसे बड़ी ताक़त है।
"उस गेंद पर चौका लग गया लेकिन उससे मुझे पिच मिज़ाज समझ में आ गया। दूसरी गेंद पर भीतरी किनारा लगा और गेंद चौके के लिए चली गई। भले ही पहली दो गेंदों पर आठ रन आ चुके थे, लेकिन मैं शांत था। मैं एक चीज़ को लेकर बिल्कुल साफ़ था कि मुझे सही जगह पर बॉल डालनी और फिर उसके बाद का काम वह ख़ुद कर लेगा।
"सिराज ने दूसरी ओर से शानदार शुरुआत की थी। गेंद स्विंग हो रही थी। शुरुआती ओवरों में भले ही मुझे स्विंग नहीं मिल रही थी लेकिन उन्हें मदद मिल रही थी। मुझे थोड़ा संयमित रहते हुए, यह सोचना पड़ा कि आगे कैसे गेंदबाज़ी करनी है।"
"फिर मुझे जेमी स्मिथ का विकेट मिला और मैच पलट गया। इसके बाद मुझे बस सही एरिया में लगातार गेंदबाज़ी करनी थी और विकेट अपने आप गिरते गए।"
भारत ने आख़िरकार छह रन से रोमांचक जीत दर्ज की और भारतीय खिलाड़ी और दर्शक एक अलग ही मनोदशा में चले गए, जहां उन्हें एक ऐसी जीत मिली थी, जिसकी कल्पना भी मुश्किल थी।
"हमने टीम के रूप में इतना डाला था - हर खिलाड़ी ने - इतनी मानसिक ताक़त और शारीरिक मेहनत कि उस स्थिति से जीतकर निकले"
ओवल पर भारत की जीत पर प्रसिद्ध कृष्णा
प्रसिद्ध ने उस मैच में मिली जीत के बारे में कहा, "आख़िरी विकेट गिरने के बाद जो ख़ुशी, शोर और जश्न था, वह हमारे लिए एक राहत की सांस की तरह था। हमने एक टीम के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन किया। हर खिलाड़ी ने अपनी पूरी मानसिक और शारीरिक ताक़त झोंक दी थी और अंत में हमें जीत हासिल हुई।" प्रसिद्ध कहते हैं कि भारत की जीत के बाद की अपनी भावना को बयां करना बहुत मुश्किल है। एक महीना बीत चुका है लेकिन वह जो आख़िरी लम्हा था, वह अब भी थोड़ा सा धुंधला ही दिखता है।
"इतने दिन के बाद जब मैं फिर से वह मैच देखता हूं तो वैसी भावनाएं नहीं आतीं। उस मैच को जीतने के बाद ग्राउंड पर जो माहौल था, जो ऊर्जा थी, जो ख़ुशी थी, वह जीवन भर मेरे साथ रहेगी। बाहर से उन चीज़ों को महसूस करना थोड़ा कठिन है।"

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आख़िरी टेस्ट के दूसरे दिन प्रसिद्ध और जो रूट के बीच माहौल थोड़ा गर्म हो गया था। मामला यहां तक पहुंचा कि अंपायरों को आकर दखल देना पड़ा।
उस दिन का खेल ख़त्म होने के बाद प्रसिद्ध ने कहा था, "मुझे नहीं पता रूट ने क्यों उस तरह की प्रतिक्रिया दी। मैंने तो बस इतना कहा था, 'आप अच्छे लग रहे हो' और बात गाली-गलौज तक पहुंच गई।"
जीत के बाद प्रसिद्ध को रूट से बात करने का मौक़ा मिला लेकिन इस बार माहौल बिल्कुल शांत था। प्रसिद्ध हंसते हुए कहते हैं, "मैंने कई खिलाड़ियों से बात की। यहां तक कि मैंने रूट से भी बात की। मैंने पूछा क्या हुआ था। उन्होंने कहा, 'मुझे लगा तुमने गाली दी'। मैंने कहा, 'नहीं', मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा था तो उन्होंने कहा, 'असल में मैं खु़द को भी मोटिवेट कर रहा था, तो थोड़ा चढ़ गया'।
"इस खेल की खूबसूरती ऐसी ही होती है। मैंने हमेशा ऐसे ही खेला है। जब आप एक बेहतरीन खिलाड़ी को देखते हो कि वह अपनी टीम की जीत के लिए पूरी जान लगा देते है तो वह आस-पास के सभी खिलाड़ियों के लिए एक सीख की तरह होती है। जब आप खेलते हो तो आप उसे एक लड़ाई की तरह लेते हो, एक जंग की तरह लेते हो, जिसे आपको जीतना होता है। कभी-कभी केवल स्किल से नहीं, बल्कि मानसिक हिम्मत से जीत के सफर को तय किया जाता है।"
प्रसिद्ध की मानें तो पांचों टेस्ट एक टीवी सीरीज़ की तरह था, जिसमें ड्रामा, रोमांच, ट्विस्ट, वापसी, निराशा, ख़ुशी सब कुछ ही थी।
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि किसी ने सोचा था कि यह सीरीज़ इस तरह की होने वाली है। हर मैच आख़िरी दिन तक गया। पीछे मुड़कर देखें तो ऐसा लगता है कि 2-2 का नतीजा अच्छा परिणाम था।
"हर बार दबाव वाली स्थिति से हमने लड़ाई करने का फ़ैसला किया। हर बार कोई ना कोई खिलाड़ी टीम के लिए खड़ा हुआ। यह एक टीम के तौर पर हमारे लिए सबसे ज़्यादा सुखद था।"
प्रसिद्ध के लिए यह दौरा एक बड़े मौक़े की तरह थी। सीरीज़ से पहले ही तय हो गया था कि जसप्रीत बुमराह केवल तीन टेस्ट खेलेंगे। प्रसिद्ध बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में भी थे, लेकिन उन्हें सिर्फ़ पांचवें टेस्ट में खेलने का मौक़ा मिला था। टेस्ट गेंदबाज़ के रूप में अब तक वह ख़ुद को साबित नहीं कर पाए थे।
प्रसिद्ध कहते हैं, "मेरे लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा मानसिक रूप से बेहद कठिन था। मैं वहां इंडिया 'ए' के लिए खेलने गया था। अच्छा प्रदर्शन किया। लय भी अच्छी थी। इसके बावजूद मुझे इंतज़ार करना पड़ा। जब सिडनी टेस्ट में मौक़ा मिला, तो मानसिक तौर पर वह मेरे लिए एक बड़ी लड़ाई थी।
"अगर आप खेल नहीं रहे, तो अलग तरह से तैयारी करनी होती है। इंग्लैंड आने तक मैं बेहतर स्थिति में था क्योंकि पांच मैचों की सीरीज़ में खेलने और न खेलने वाली मानसिकता सामना मैं पहले भी कर चुका था।
"मेरे और शुभमन के बीच आपसी समझ बहुत ज़रूरी है। टीम मुझसे क्या चाहती है, मैं यहां क्यों हूं और मुझे क्या करना है, यह जानना काफ़ी ज़रूरी है।"
"उस अनुभव को आगे लेकर जाना नया चैलेंज था और उसमें शारीरिक मज़बूती की आवश्यकता भी जुड़ गई। लगातार गेंदबाज़ी करते रहना। हमेशा ख़ुद को उस माइंड सेट में रखना। बहुत कठिन था लेकिन सीरीज़ खत्म होने पर लगा, 'ओह माय गॉड, यह शानदार सीरीज़ थी'।"

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हालांकि अगर सीरीज़ की शुरुआत की बात की जाए तो वह प्रसिद्ध के पक्ष में बिल्कुल नहीं था। हेडिंग्ली टेस्ट में तो प्रसिद्ध के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड जुड़ा, जिसे वह बहुत जल्द भुला देना चाहेंगे। उन्होंने दोनों पारियों में छह से ज़्यादा की इकॉनमी से गेंदबाज़ी की थी। कम से कम 15 ओवर फेंकने वाले गेंदबाज़ों में यह एक रिकॉर्ड है। किसी भी अन्य भारतीय गेंदबाज़ ने इससे ज़्यादा रन ख़र्च नहीं किए हैं। उस मैच का हाल ऐसा रहा कि भारत के तरफ़ से पांच शतक आए, फिर भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
भारतीय टीम ने इंग्लेंड के निचले मध्य क्रम के लिए शॉर्ट गेंद रणनीति बनाई थी। प्रसिद्ध उसी रणनीति के साथ गेंदबाज़ी कर रहे थे और उस क्रम में उनके ख़िलाफ़ इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों ने जम कर हमला बोला।
हालांकि प्रसिद्ध उस मामले को थोड़ा अलग तरीक़े से देखते हैं। वह कहते हैं, "मेरे और शुभमन के लिए एक-दूसरे को समझना बेहद ज़रूरी है। टीम मुझसे क्या चाहती है, मैं यहां क्यों हूं और मुझे क्या करना है, यह जानना काफ़ी ज़रूरी है। इसके अलावा टीम को भी पता होता है कि किस समय पर प्रसिद्ध से क्या कराया जा सकता है।"
"मुझे शुरू से ही पता था कि जब भी ऐसा कुछ होगा, तब मुझे टीम की रणनीति को समझते हुए, गेंदबाज़ी करनी होगी। मैं वही कर रहा था। मेरे लिए ऐसा पहली बार थी कि टीम ने मुझसे कुछ मांगा है उसे लेकर मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूं।
"लेकिन जब मैदान से बाहर 20 लोग मैच की प्लानिंग करते हैं तो आप खिलाड़ी के रूप में अपनी उस भूमिका को पूरा करने का पूरा प्रयास करते हैं। एक टीम के तौर पर आपको ऐसे ही सोचना होता है और मैं ख़ुश था कि मैं वैसे ही सोच के साथ आगे बढ़ रहा था। अगर आप अपनी मर्ज़ी की चीज़ें करना चाहेत हैं तो शायद मैं कोई और खेल खेल रहा होता।
"आपसी संवाद के दृष्टिकोण से यह मेरे लिए एक बहुत अच्छा अनुभव था। दूसरे टेस्ट तक यह संवाद थोड़ा और बेहतर हो गया, जब मैंने जाकर कहा, ''ठीक है, यह प्लान है, लेकिन शायद कुछ और कर सकते थे'। टीम में खुल कर बातचीत करने वाला माहौल था और मैं ऐसा कर के ख़ुश था।"
इकॉनमी रेट के मामले में वह कहते हैं, "जब आप स्कोरबोर्ड की तरफ़ देखो और आपकी इकॉनमी इतनी ज़्यादा होती है तो बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। इस चीज़ को स्वीकार करने में और अपने ध्यान को केंद्रित करने में मुझे थोड़ा समय लग गया।"
इस सीरीज़ के दौरान प्रसिद्ध अपने दोस्तों के साथ थे। टीम में करूण और राहुल थे, जिनके साथ उन्होंने काफ़ी क्रिकेट खेला है। इस कारण प्रसिद्ध एक लंबे दौरे पर ख़ुद को शांत रखने में सफल भी हुए।
"पहले टेस्ट के दूसरी पारी के दौरान जब मैंने क्रॉली और पोप का विकेट लिया तो वह मैच का काफ़ी अहम समय था। मैच के शुरुआती पलों में मैं अपनी लय हासिल नहीं कर पा रहा था। सही लेंथ पर गेंदबाज़ी करना मुश्किल हो रहा था। पिच की ढलान और हवा को समझना मुश्किल हो रहा था।"
इंग्लैंड दौरे का पसंदीदा स्पेल
किसी भी दौरे पर दोस्तों के साथ होना प्रसिद्ध के लिए काफ़ी मददगार होता है। उन्होंने कहा, "इससे काफ़ी फर्क पड़ता है। मेरी पत्नी भी इस बात से सहमत थी। वह कह रही थी, 'जब आप पहले लंबी दौरे पर जाते थे तो आख़िर तक होमसिक हो जाते थे, लेकिन इस बार बेंगलुरु के दोस्त साथ हैं तो आसान रहा'।
"हमने एक साथ काफ़ी क्रिकेट खेला है। हम एक जैसा ही सोचते हैं। खेल के बाद और मैदान के बाहर भी हम कई चीज़ें एक साथ करते हैं। अगर ऐसे साथी टीम में हों तो काफ़ी मदद मिलती है।"
इस सीरीज़ के दौरान प्रसिद्ध ने अपने सबसे पसंदीदा स्पैल के बारे में कहा, "पहले टेस्ट के दूसरी पारी के दौरान जब मैंने क्रॉली और पोप का विकेट लिया तो वह मैच का काफ़ी अहम समय था। मैच के शुरुआती पलों में मैं अपनी लय हासिल नहीं कर पा रहा था। सही लेंथ पर गेंदबाज़ी करना मुश्किल हो रहा था। पिच की ढलान और हवा को समझना मुश्किल हो रहा था।"
इंग्लैंड ने प्रसिद्ध को कई बार आज़माया, कई मौक़ों चुनौती दी और फिर जश्न मनाने का भी मौक़ा दिया। प्रसिद्ध चाहते हैं कि उनका वह जुनून, वह लय, उस तरह का प्रदर्शन आगे भी जारी रहे। वह नई चुनौतियों का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहे हैं।