हितों के टकराव से बचने के लिए पूर्व भारतीय कप्तान और मौजूदा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष president
सौरव गांगुली ने एटीके मोहन बगान के निदेशक के पद से इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया है। ये वही फ़ुटबॉल क्लब है जिसके मालिक आरपीएसजी वेंचर हैं और उन्होंने हाल ही इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की
नई टीम की भी फ़्रेंचाइज़ी ली है।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को जानकारी मिली है कि गांगुली ने इस्तीफ़ा देने और अपने पद छोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मोहन बगान फ़ुटबॉल क्लब इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) का हिस्सा है और गांगुली इस क्लब के निदेशकों में से एक हैं। साथ ही उनका इस क्लब में शेयर भी है। गांगुली इस क्लब से तब तक दूर रहेंगे जब तक कि वह बीसीसीआई के अध्यक्ष बने हुए हैं ताकि हितों का टकराव न हो सके।
हितों के टकराव की बात तब सामने आई थी, जब आरपीएसजी के उपाध्यक्ष संजीव गोयनका, जो मोहन बगान के मालिक भी हैं, ने आईपीएल में लखनऊ की फ़्रेंचाइज़ी भी ले ली थी। उन्होंने सीएनबीसी-टीवी 18 पर सोमवार को कहा था कि गांगुली इस्तीफ़ा देने के कगार पर हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है मोहन बगान से सौरव गांगुली इस्तीफ़ा दे रहे हैं, हो सकता है आज ही। यह सौरव पर है कि वह इसका ऐलान कब करते हैं, हालांकि मुझे पहले नहीं बोलना चाहिए था।"
अगर गांगुली ऐसा नहीं करते और वह बीसीसीआई और मोहन बगान दोनों ही जगह पदों पर बने रहते हैं, तो फिर बीसीसीआई के संविधान के मुताबिक़ उन पर हितों के टकराव का मामला बन सकता है। ये पहला अवसर नहीं है कि सौरव गांगुली को इन चीज़ों से गुज़रना पड़ा हो। 2019 में भी गांगुली और उनके पुराने साथी वीवीएस लक्ष्मण पर भी तब
हितों के टकराव का मामला सामने आया था, जब भारतीय क्रिकेट में ये दोनों एक से ज़्यादा पद लिए हुए थे। उस समय गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी थे और आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार भी थे और साथ ही साथ वह टीवी कॉमेंटेटर की भूमिका में भी थे।