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वह मैच जिसने टेस्ट क्रिकेट को पुनर्जीवित किया

टेस्ट इतिहास का पहला टाई टेस्ट आज ही के दिन 61 साल पहले ब्रिस्बेन में संपन्न हुआ था

ब्राइडन कवरडेल
14-Dec-2021
The final play of the first Tied Test, Australia v West Indies, 1st Test, Brisbane, 14 December, 1960

यह टेस्ट क्रिकेट इतिहास का पहला टाईट टेस्ट मैच था  •  ESPNcricinfo Ltd

आज से ठीक 61 साल पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को मिला उसका पहला टाई टेस्ट। टेस्ट क्रिकेट में एक सुस्त दशक के बाद वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया के बीच गाबा में खेले गए मैच के आख़िरी दिन ने इस खेल में एक नई जान फूंक दी। आज से 11 साल पहले ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के असिस्टेंट एडिटर ब्राइडन कवरडेल के लिए गए साक्षात्कार और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिची बेनॉ के किताब "अ टेल ऑफ़ टू टेस्ट्स" के आधार पर यह लेख छापा गया था। यह है टाईड टेस्ट की कहानी, आठ नायकों की ज़ुबानी।
लिंडसे क्लाइन (ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर): मैच से एक दिन पहले मुझे याद है वेस्टइंडीज़ के गैरी सोबर्स के कमरे में दोनों टीमों के तीन-चार सदस्य कैलिप्सो गाने सुन रहे थे और मौज मना रहे थे। उन दिनों माहौल ही अलग सा हुआ करता था।
मैदान में खेलते हुए टीमों में भी अच्छा माहौल बना रहा। हालांकि सोबर्स के 132 की पारी ने वेस्टइंडीज़ का पलड़ा भारी कर दिया।
कॉलिन मक्डॉनल्ड (ऑस्ट्रेलियाई ओपनर): पहले दिन तो हमें लगा मैच हाथ से छूट ही गया। सोबर्स ने हमारी जमकर पिटाई की। उससे बहतर शतक मैंने अपने जीवन में नहीं देखा।
क्लाइन: मैंने कुछ साल बाद गैरी से कहा, "आप की वह 130 रनों की पारी शानदार थी" तो वह मुझसे बोले, "लिंडसे, मैंने 132 बनाए थे।" यानी उनके लिए यह एक यादगार पारी रही होगी।
नॉर्म ओनील के 181 और ऐलन डेविडसन के 11 विकेटों के बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने मैच में वापसी की और आख़िरी दिन जब उनकी दूसरी पारी शुरू हुई तो उन्हें जीतने के लिए 233 रन चाहिए थे।
बेनॉ: जब मैं गेट से घुस कर ड्रेसिंग रूम जा रहा था तो मैंने देखा कि मैदान पर छोटे फूल खिल रहे थे। यह साफ़ था कि मैदान पर सुबह घास नहीं काटी गई थी। क्यूरेटर का कहना था कि सात बजे के बाद बरसात के चलते मोअर का इस्तेमाल नहीं हुआ था और अब बहुत देर हो गई थी। मैंने सोचा कि हमें तो बस 200 रन ही चाहिए। इसी वजह से कोई ख़ास फ़र्क पड़ना नहीं चाहिए।
वेस हॉल की घातक गेंदबाज़ी के चलते स्कोर बन गया छह विकेट पर 92 रन।
डेविडसन: वेस हॉल नए जूतों में गेंदबाज़ी कर रहे थे और इसके चलते उनके पैरों तले बड़े छाले आने लगे थे। उस दर्द के बावजूद उन्होंने कमाल की गेंदबाज़ी की। उन्होंने अपने पैरों के नीचे एक बड़ा प्लास्टर लगाया और फिर जी-तोड़ मेहनत की। यह मेरे लिए क्रिकेट फ़ील्ड पर घटी सनसनीख़ेज़ चीज़ों में सर्वोपरि है।
नील हार्वी (ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़): ऑस्ट्रेलिया में एक मशहूर ब्रॉडकास्टर थे ऐलन मक्गिलव्रे और उन्हें लगा यह मैच तो गया हाथ से। वह चार बजे के हवाई जहाज़ से अपने घर सिडनी चले गए। लेकिन क्रिकेट में आख़िरी गेंद तक आप कुछ नहीं कह सकते।
डेविडसन और बेनॉ की बल्लेबाज़ी से ऑस्ट्रेलिया ने वापसी की। आख़िर के ओवरों तक जीत के लिए सिर्फ़ सात रन चाहिए थे और वॉली ग्राउट, इयन मक्कीफ़ और क्लाइन की बल्लेबाज़ी बची थी।
डेविडसन: दूसरी पारी में मैं जब बल्लेबाज़ी पर उतरा तो स्कोर था पांच विकेट पर 57 रन। मुझे ऐसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां पसंद थी।
मक्कीफ़: रिची और डेवो (डेविडसन) ने वनडे क्रिकेट की तरह बल्लेबाज़ी की। वह सिर्फ़ विकेट बचाने के लिए नहीं खेले। उन्होंने कई क्विक सिंगल लिए और मैच में तनाव बढ़ता रहा।
जेरी ऐलेग्ज़ेंडर (वेस्टइंडीज़ विकेटकीपर): उस वक़्त ऐसा लग रहा था मैच हमारे हाथों से फिसल गया।
मक्कीफ़: वॉली ग्राउट अगले बल्लेबाज़ थे और तनाव में सिगरेट पीने लगे। लिंडसे और मुझसे बल्लेबाज़ी की कोई उम्मीद नहीं थी और ऐसे में उन पर अधिक दबाव बन रहा था।
डेविडसन: मैंने और रिची ने मन बना लिया कि हम हलके हाथों से खेल कर रन चुरा लेंगे। मुझे पता था वेस आख़िरी ओवर करेंगे और मुझे विश्वास था मैं उनके ख़िलाफ़ ज़रूरी रन बना लेता। सोबर्स के ओवर पर रिची ने तीन-चार गेंदें खेलीं और फिर जो सॉलोमन को गेंद मार कर रन के लिए निकल पड़े। मैं उसैन बोल्ट होता तो ज़रूर क्रीज़ पर पहुंच जाता।
मिड-विकेट पर खड़े सॉलोमन के डायरेक्ट हिट से डेविडसन 80 पर आउट हुए। ग्राउट को मैदान पर उतरना पड़ा।
डेविडसन: उस वक़्त जोश में आकर रन चुराना ग़लती थी। दरअसल हमने कई ऐसे रन चुराए थे और कुछ ओवरथ्रो के रन भी अर्जित किए थे। यह वेस्टइंडीज़ कप्तान फ्रैंक वॉरेल का कमाल था कि ऐसे में उन्होंने अपने खिलाड़ियों को स्थिर रखने का काम किया।
सॉलोमन: गयाना में मुझे स्टंप्स पर डायरेक्ट हिट मारने की अच्छी आदत थी। बचपन में हम आम के पेड़ से आम गिराने के लिए भी ऐसा करते थे। शायद इसी वजह से यह मेरे लिए एक मज़बूत पक्ष था।
डेविडसन: वॉली ग्राउट के ग्लव्स उनके पैड के ऊपर थे। जब वह खड़े हुए तो उन्हें अपने ग्लव्स नहीं मिल रहे थे। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं ड्रेसिंग रूम में कितना तनाव था।
ऑस्ट्रेलिया में उन दिनों ओवर में आठ गेंदें होती थी। आख़िरी ओवर में छह रन का लक्ष्य था। वेस हॉल की पहली गेंद ग्राउट के शरीर पर लगी और एक लेग बाई मिला।
बेनॉ: गेंद वॉली के पेट पर जा टकराई और उनके पास गिरी। मैं तुरंत दौड़ पड़ा और वॉली भी अपने पेट को पकड़ कर भागने लगे।
अगली गेंद बाउंसर थी हालांकि वॉरेल ने हॉल को ऐसा करने से मना किया था।
बेनॉ: हॉल ने अपनी पूरी ताक़त उस बाउंसर में झोंक दी और मैंने भी उसे चार रन में परिवर्तित करने की पूरी कोशिश की। गेंद मेरे ग्लव्स से लग कर जेरी ऐलेग्ज़ैंडर के दस्तानों में गई और वह जीत का जश्न मनाने लगे। क्या कभी आप के साथ ऐसा हुआ है कि आप किसी चीज़ को पाने के लिए इतने व्यस्त हो गए हों कि आप को और किसी चीज़ का होश नहीं रहे? और फिर एक पल में वह चीज़ आंखों से ओझल हो जाए? मेरी भावनाएं कुछ ऐसी ही थीं और मैंने ग्राउट को संभोदित करते हुए कहा, "अब तुम्हारे हवाले" और उन्होंने शुक्रिया अदा किया।
क्लाइन: एक ओवर पहले मैंने कॉलिन मक्डॉनल्ड से पूछा था कि कहीं मुझे बल्लेबाज़ी तो करनी नहीं पड़ेगी। तो उन्होंने आश्वस्त किया कि ऐसा नहीं होगा। अब विकेट गिरने लगे और मैं तैयारी में जुट गया। मुझे अपने ग्लव्स नहीं मिल रहे थे। मैंने बैग में भी ढूंढे। फिर याद आया कि मैं तो अपने ग्लव्स पर बैठा हुआ था।
मक्डॉनल्ड: केन मकाय हमें अपनी जगह से हिलने नहीं दे रहे थे। कोई कुछ नहीं कह रहा था। यह ओवर एक अविश्वसनीय ओवर था।
मक्कीफ़ ने तीसरी गेंद को खेला लेकिन चौथे पर मारने से चूके। ग्राउट ने एक बाई चुराई लेकिन ऐलेग्ज़ैंडर के अंडर-आर्म थ्रो से हॉल मक्कीफ़ को आउट कर सकते थे। अगली गेंद पर ग्राउट स्क्वेयर लेग पर कैच थमा सकते थे लेकिन हॉल और रोहन कन्हाई के बीच तालमेल की कमी के चलते हॉल के हाथ से कैच छिटक गई। तीन गेंदों पर तीन रन।
मक्कीफ़: मैं बस गेंद और बल्ले में संपर्क लाने की कोशिश में था। गेंद की लंबाई छोटी थी और मैंने बस स्लॉग किया। इस मैच की 40वीं वर्षगांठ पर वेस ने बताया कि उन्होंने जब मैच देखा तो उन्हें पता चला यह कितना अच्छा शॉट था। मैंने उन्हें नहीं बताया कि मैं तो बस आंखें बंद करके बल्ला घुमा रहा था।
मक्डॉनल्ड: क्यूरेटर ने उस दिन घास नहीं काटी थी। मक्कीफ़ का वह शॉट बाउंड्री होता लेकिन लंबी घास के चलते गेंद रुक गई। तीसरे रन के चक्कर में रन आउट भी हुआ। तीसरा रन पूरा करने पर भी हम जीत जाते।
बेनॉ: यह उस दिन के असामान्य घटनाओं में भी विशेष था। हंट स्टंप्स से 80 गज़ दूर थे और उन्होंने एक ही एक्शन में गेंद को उठाया, मुड़े और फेंका। ग्राउट को रन आउट होने के लिए गेंद को सीधा कीपर के दस्तानों में आना था और ठीक ऐसा ही हुआ।
स्कोर बराबर और ऐसे में नंबर 11 क्लाइन बल्लेबाज़ी करने उतरे।
ऐलेग्ज़ैंडर: मुझे याद है किसी ने पूछा, "स्कोर क्या हुआ और कितने रन और बचे हैं?" मैं चिल्लाया, "और रन नहीं बचे!"
क्लाइन: मैं बल्लेबाज़ी करने गया तो वॉरेल मेरे पास आए और बोले, "मैं किसी भी हाल में तुम्हारे जगह नहीं होना चाहूंगा। वैसे देख कर लग रहा है तुम्हारा ख़ून सूख गया है।" मुझे लग भी ऐसा ही रहा था।
सॉलोमन: कप्तान ने सबको सचेत करके याद दिलाया कि जीत के लिए सिर्फ़ एक ही रन चाहिए। और उन्होंने वेस हॉल को कहा कि वह ध्यान रखें कि नो-बॉल ना कर बैठें।
क्लाइन: मैंने मक्कीफ़ से कहा कि हम हर हाल में दौड़ेंगे। वेस गेंदबाज़ी कर रहे थे और मैं बेसब्र था की यह गेंद जल्दी से ख़त्म हो जाए। उनकी गेंद सीधी आई और मैंने स्क्वेयर लेग की ओर खेला। जो सॉलोमन ने साइड-ऑन से स्टंप्स दे मारे।
पीटर लैशली (वेस्टइंडीज़ बल्लेबाज़): मैं स्क्वेयर लेग पर था और सॉलोमन मिड-विकेट पर। गेंद मेरे दाएं हाथ पर आती जो मेरे लिए प्राकृतिक हाथ था। उन्हें अपनी बायीं ओर जाते हुए थ्रो करना था लेकिन वह तेज़ी से गेंद की ओर गए और मुझे हटने को कहते रहे। उन्होंने डेविडसन को भी रन आउट किया था और इस बार भी वह ग़ज़ब की तेज़ी से गेंद तक पहुंचे और डायरेक्ट हिट मारने में सफल हुए। मैं गेंद उठा लेता तो शायद यह टाईड टेस्ट नहीं होता।
आख़िरी गेंद के बाद किसी को परिणाम का भरोसा नहीं हुआ। टेस्ट क्रिकेट के 83 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ था।
मक्कीफ़: मैं तो टाई के बारे में सोच भी नहीं रहा था। हमारा लक्ष्य था 233 अर्थात 232 हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता था।
क्लाइन: उस ज़माने में इलेक्ट्रॉनिक स्कोरबोर्ड नहीं होते थे जिसमे लिखा हो कि "जीतने के लिए एक रन की ज़रूरत"। मुझे लगा इयन को पता होगा और उसे लगा मुझे पता होगा कि आख़िर हुआ क्या है।
ऐलेग्ज़ैंडर: मैदान से निकलते हुए हम थोड़े विचलित थे। हमें पता था कि हम जीत नहीं पाए। और हमें यह भी मालूम था कि हम नहीं हारे। उस वक़्त सब कुछ संदर्भ में समझना थोड़ा कठिन था।
डॉन ब्रैडमेन ने दोनों टीमों को सीरीज़ से पहले हिदायत दी थी कि इस सीरीज़ में आकर्षक क्रिकेट खेला जाए। टेस्ट क्रिकेट को ऐसे सीरीज़ की सख़्त ज़रूरत थी।
डेविडसन: डॉन हमारे पास आए और बोले, "निराश मत हो ऐलन। तुम आज इतिहास रचा है।" इस बात का एहसास थोड़ा हमें तब हुआ और अगले दिन कुछ और।
मक्कीफ़: कॉलिन मक्डॉनल्ड ड्रेसिंग रूम में आए और बोले, "तुम इतने दुःखी क्यों लग रहे हो?" मैंने कहा, "क्यों? हम हार नहीं गए?" तो जवाब में उन्होंने कहा, "नहीं यह मैच टाई रहा।"
डेविडसन: जब खेल ख़त्म हुआ तो वॉरेल ने अपने खिलाड़ियों को और बेनॉ ने अपनी टीम को इकठ्ठा किया और सब मिलकर बातचीत करने लगे। हमने क्रिकेट से लेकर अपने-अपने परिवारों के बारे में बातें की। दौरों पर घटी घटनाओं की चर्चा हुई। पांच दिन के कड़े क्रिकेट के बाद दो टीमें ऐसे घुल मिल सकती हैं, यह काफ़ी ख़ास बात थी।
ऐलेग्ज़ैंडर: मज़े की बात थी कि सब एक रन कम बनाने का जश्न मना रहे थे। उस शाम दोनों टीमों में एक भाईचारे का माहौल बन गया था। बाक़ी के टेस्ट में भी ऐसा ही वातावरण देखने को मिला।
मक्डॉनल्ड: मुझे लगा कि ऐसा टेस्ट मैच और कभी नहीं खेला जा सकता और टाई होने के नाते यह मैच हमेशा याद रखा जाएगा। मुझे पता है एक और टाईड टेस्ट हुआ है लेकिन लोग इस मैच को ज़्यादा याद करते हैं।
हार्वी: मुझे लगा था दूसरे टाईड टेस्ट के साथ लोग इस मैच को भूल जाएंगे। पर ऐसा नहीं हुआ। शायद इसकी वजह यह भी थी कि यह सीरीज़ यादगार थी। इसने टेस्ट क्रिकेट को पुनर्जीवित करने का काम किया।
डेविडसन: हमने इस मैच में पूरी जान लगा दी थी। अब भी मैं उस सीरीज़ में खेले किसी वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ी से मिलता हूं तो हम हाथ नहीं मिलाते, सीधे गले मिलते हैं। ऐसा 50 सालों के बाद भी होना एक स्पेशल अनुभव है।

अनुवाद ESPNcricinfo में सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।