रॉड्रिग्स: इस टूर्नामेंट के दौरान मैं रोज़ रोती थी

शानदार पारी के बाद भावुक जेमिमाह रॉड्रिग्स भीड़ की ओर अभिवादन करती हुईं © Getty Images

जेमिमाह रॉड्रिग्स ने विश्व कप सेमीफ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नाबाद 127 रन की मैच जिताने वाली पारी के बाद बीते कुछ हफ़्तों में झेले गए मानसिक संघर्ष के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे दौर से गुज़रीं जब एंग्जायटी ने उन्हें "सुन्न" कर दिया और वह कई बार आंसुओं में टूट गईं।

मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में रॉड्रिग्स भावुक हो उठीं और कहा कि वह अपनी कहानी इसलिए साझा कर रही हैं ताकि इससे दूसरे लोग भी हिम्मत पा सकें। उन्होंने कहा, "मैं यहां बहुत ईमानदारी से कहूंगी क्योंकि अगर कोई मुझे देख रहा है और इसी दौर से गुज़र रहा है, तो शायद उसे मदद मिले। कोई भी अपनी कमज़ोरियों पर बात नहीं करना चाहता। लेकिन टूर्नामेंट की शुरुआत में मैं बहुत ज़्यादा एंग्ज़ायटी से गुज़र रही थी।" यह कहते हुए वह कुछ पल के लिए रुक गईं और अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश की।

"कुछ मैचों से पहले मैंने मम्मी को कॉल किया और रोती रही। मुझे बस सब कुछ अपने भीतर से निकाल देना था। जब आप एंग्ज़ायटी से गुज़र रहे होते हैं तो आप बस सुन्न हो जाते हैं। समझ नहीं आता है कि क्या करें। मैं बस कोशिश करती थी कि सामान्य बनी रहूं। उस समय मम्मी-पापा ने बहुत साथ दिया। और अरुंधती [रेड्डी] ने भी, जिसके सामने मैं रोज़ रोई हूँ।"

"बाद में मैं मज़ाक में कहती थी 'तुम मेरे सामने मत आना, वरना मैं फिर रो दूंगी।' लेकिन वह हर दिन मेरा हाल पूछती थी। स्मृति [मांधना] भी थीं, जो मेरे साथ खड़ी रहीं। उन्हें पता था कि मैं क्या झेल रही हूं। नेट सेशन में भी वह बस वहां खड़ी रहती थीं, सिर्फ़ इसलिए कि मुझे लगे मेरे साथ कोई है। राधा [यादव] भी हमेशा मेरे साथ थी, मेरा ध्यान रखती थी। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरे पास ऐसे दोस्त, हैं जो मेरे लिए परिवार जैसे हैं। मुझे अकेले यह सब नहीं झेलना पड़ा। और हां, हेल्प मांगना बिल्कुल भी ठीक है।"

रॉड्रिग्स ने सेमीफ़ाइनल में उतरने से पहले न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 76 नाबाद रन बनाए थे। लेकिन टूर्नामेंट की शुरुआत में वह दो बार शून्य पर भी आउट हुई थीं। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मैच में उन्हें बाहर बैठना पड़ा क्योंकि टीम ने उनके ऊपर एक अतिरिक्त गेंदबाज़ चुनने को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि यह सब झेलना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने भरोसा बनाए रखा कि उनका समय आएगा।

उन्होंने कहा, "मेरे परिवार ने बहुत कुछ सहा, लेकिन सब मेरे साथ खड़े रहे। जब मैं ख़ुद पर भरोसा नहीं कर पा रही थी, तब उन्होंने मुझ पर यक़ीन किया। शुरुआत एंग्ज़ायटी से हुई थी, फिर मुझे टीम से बाहर किया गया। वह मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था। जब आपको बाहर किया जाता है तो ख़ुद पर बहुत से शक़ पैदा होते हैं, क्योंकि मैं हमेशा टीम के लिए योगदान देना चाहती हूं। लेकिन उस दिन मैं कुछ कर नहीं पाई। फिर जब मैंने वापसी की, तो दबाव और बढ़ गया।"

"लेकिन कभी-कभी बस आपको टिके रहना होता है, और सब कुछ अपने आप सही हो जाता है। मैं उन लोगों की बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मुझ पर तब भरोसा किया, जब मैं ख़ुद नहीं कर पा रही थी। उन्होंने मेरा साथ दिया और मुझे समझा, क्योंकि मैं अकेले यह सब नहीं कर सकती थी।"

'मैं उन लोगों की बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मुझ पर तब भरोसा किया, जब मैं ख़ुद नहीं कर पा रही थी' © ICC/Getty Images

भारत के 339 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए रॉड्रिग्स लगभग पूरी पारी तक मैदान पर रहीं। दूसरे ओवर में नंबर तीन पर उतरकर उन्होंने 134 गेंदों में नाबाद 127 रन बनाए और नौ गेंद शेष रहते हुए भारत को पांच विकेट की जीत दिलाई। हालांकि, उनकी पारी के दौरान उन्हें तब जीवनदान मिला, जब 82 रन पर अलिसा हीली ने उनका कैच छोड़ा।

जब उनसे पूछा गया कि वह अपनी पारी को कैसे आंकेंगी, तो उन्होंने कहा, "मैं इस पारी को कैसे रेट करूं? सच कहूं तो अब तक सब कुछ समझ नहीं आ रहा। मैंने यह पारी अपने 100 या 50 के लिए नहीं खेली, न ही अपने नंबर तीन की योग्यता को साबित करने के लिए। मैं बस भारत को जिताने के लिए खेल रही थी। मैं बस चाहती थी कि अंत में भारत जीते, बस यही मेरा मक़सद था। जब आपके मन में ऐसी सोच होती है, तो ईश्वर भी आपके साथ होता है। जब आप टीम के लिए खेलते हैं, अपने लिए नहीं, तो नतीजे अपने आप मिलते हैं।"

रॉड्रिग्स ने यह भी बताया कि मैच से एक दिन पहले टीम मीटिंग में उन्होंने साफ़ कहा था कि उन्हें मैच ख़त्म होने तक मैदान पर रहना है।

उन्होंने कहा, "हम बस बात कर रहे थे कि इस विश्व कप में हमें क्या बेहतर करना चाहिए, और मैंने कहा था कि मैं मैच ख़त्म होने तक क्रीज़ पर रहना चाहती हूं। अगर हम पहले बल्लेबाज़ी करें, तो मुझे पता है कि मैं साझेदारी बना सकती हूं और तेज़ी से रन जोड़ सकती हू। और अगर हम लक्ष्य का पीछा कर रहे हैं, तो मैं टीम को जीत तक ले जाना चाहती हूं। अब यह सब किसी सपने जैसा लग रहा है। पिछला महीना बहुत कठिन था, लेकिन लगता है कि यह सब इसी पल के लिए तय था।"

श्रुति रवींद्रनाथ ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं

Comments