साउथ अफ़्रीका के मध्य क्रम के बल्लेबाज़ रासी वान दर दुसें ने एक अख़बार को दिए साक्षात्कर में कहा था, "हमारे देश की टीम ने पिछले विश्व कपों में क्या किया था इससे हमें मतलब नहीं है क्योंकि हम लोग उस टीम का हिस्सा नहीं थे।"उन्होंने न्यूज़ीलैंड को 160 रनों से हराकर ना सिर्फ़ विश्व कप में इस टीम के ख़िलाफ़ छह मैचों में अपनी पहली जीत दर्ज की बल्कि भारतीय टीम को
रन रेट में पछाड़कर पहले स्थान पर भी आ गई।
इस मैच के हीरो तो असल में क्विंटन डिकॉक (114) और रासी वान दर दुसें (133) रहे जिन्होंने पूरी तरह से ही न्यूज़ीलैंड को मैच से बाहर कर दिया। दोनों के बीच 200+ रनों की साझेदारी हुई और यहां से मैच न्यूज़ीलैंड के हाथ से फिसलता ही चला गया। पाटा विकेट पर ये दोनों ही बल्लेबाज़ गेंदबाज़ों के ऊपर चढ़ते नज़र आए।
ख़ासकर दुसें जिनका कब शतक हो गया यह बता पाना भी मुश्किल ही होगा क्योंकि उन्होंने एक छोर पर विकेट संभाले रखा था, जिससे शुरू में फ़ॉर्म से परेशान डिकॉक को भी लय में आने में मदद मिल गई। हालांकि रन जब इतने बन गए हों तो गेंदबाज़ी में विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों पर ध्यान जाता ही नहीं है। पहले मार्को यानसन (3/31) ने सिर्फ़ सधी गेंदबाज़ी ही नहीं की बल्कि तीन विकेट लेकर न्यूज़ीलैंड की परेशानी बढ़ा दी। इसके बाद केशव महाराज (4/46) के तौर पर सुपर हीरो को कैसे भुलाया जा सकता है। कमाल का प्रदर्शन कहा जाएगा इसको।
क्या मैच में कोई टर्निंग प्वाइंट रहा?
इस मैच का टर्निंग प्वाइंट तेज़ गेंदबाज़ मैट हेनरी का चोटिल होना कहा जाएगा, जो अपने कोटे के 5.3 ओवर ही कर पाए और इसके बाद न्यूज़ीलैंड को डेथ ओवरों में जिमी नीशम से गेंदबाज़ी करानी पड़ गई, जो बहुत ही महंगे साबित हुए। यह मैच का एक ऐसा मोड़ था जहां पर न्यूज़ीलैंड पूरी तरह से फंस गई थी। यह पिच बल्लेबाज़ी के मुफ़ीद है और साउथ अफ़्रीका दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी पर फंसती है, इसके बावजूद न्यूज़ीलैंड ने पहले गेंदबाज़ी का चुनाव कर लिया। यह भी मैच का एक टर्निंग प्वाइंट था।
इस मैच का तात्पर्य क्या है?
इस मैच का तात्पर्य यह है कि कोसों दूर बैठी हुईं पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की टीमें खुशी से झूम गई हैं, क्योंकि न्यूज़ीलैंड की हार ही उनके लिए टूर्नामेंट में वापसी का एक जरिया था। अब देखना होगा कि कैसे अंतिम चार का समीकरण बन पाता है।