साउथ अफ़्रीका 138 (बेडिंघम 45, कमिंस 6-28) और 282/5 (मारक्रम 136, बवूमा 66, स्टार्क 3-66) ने ऑस्ट्रेलिया 212 (वेबस्टर 72, स्मिथ 66, रबाडा 5-51) और 207 (स्टार्क 58, कैरी 43, रबाडा 4-59, एनगिडी 3-38) को पांच विकेट से हराया
शनिवार दोपहर 12:45 बजे लॉर्ड्स में तेज धूप के बीच,
साउथ अफ़्रीका ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की ट्रॉफ़ी जीतकर अपनी क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा पल हासिल किया । घबराहट ज़रूर थी. जो काफ़ी लाज़मी थी लेकिन इस बार साउथ अफ़्रीका को उस दर्द से नहीं गुजरना पड़ा, जिससे उन्हें पिछले T20 विश्व कप के फ़ाइनल या फिर कई ICC टूर्नामेंट में गुजरना पड़ा है।
ऐडन मारक्रम ने 136 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली, जो टेस्ट में साउथ अफ़्रीकी क्रिकेट इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण पारियों में गिनी जाएगी। इसके बाद
काइल वेरेन ने कवर ड्राइव के ज़रिए विजयी रन बनाकर जश्न की शुरुआत की।
अब 1998 की ICC नॉकआउट जीत साउथ अफ़्रीका की इकलौती वैश्विक उपलब्धि नहीं रही। कई बार ट्रॉफ़ी के नज़दीक पहुंच कर चूकने के बाद यह उनके लिए ताजपोशी जैसा क्षण था। यह जीत इसलिए भी ख़ास है क्योंकि यह एक अंडरडॉग टीम की कहानी है, जो अक्सर दिल जीत लेती है -- और टेस्ट क्रिकेट में 'बिग थ्री' के बाहर की दुनिया का बयान भी है।
ऑस्ट्रेलिया को भले वर्षों से सफलता मिलती रही हो, लेकिन यह हार उनके लिए गहरा झटका रही। उन्होंने पहली पारी में 74 रन की बढ़त ली थी, जिसे उन्होंने तीन अंकों तक बढ़ाया, लेकिन दूसरी शाम वे 73/7 जैसी मुश्किल स्थिति में पहुंच गए। निचले क्रम ने थोड़ा बचाव किया और गेंदबाज़ों ने जान झोंक दी - लेकिन इस दफ़ा उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
चौथे दिन साउथ अफ़्रीका को जीत के लिए 69 रन चाहिए थे और उनके हाथ में आठ विकेट थे, लेकिन यह कोई आम दिन नहीं था। पहले रन
टेम्बा बवूमा के बल्ले से आई, जिसके बाद स्टेडियम में मौजूद भारी तादाद में साउथ अफ़्रीका समर्थकों ने ज़ोरदार तालियां बजाईं।
बवूमा हैमस्ट्रिंग की तकलीफ के बावजूद डटे रहे। कल चाय के समय उन्हें रिटायर हर्ट करने की सोच चल रही थी, लेकिन उन्होंने मारक्रम के साथ 147 रन की साझेदारी की, जो मैच की निर्णायक साझेदारी बनी।
हालांकि बवूमा अंत में जीत के रन बनाते वक्त क्रीज़ पर नहीं थे। वे
पैट कमिंस की उछाल लेती गेंद पर किनारा दे बैठे, जिससे ऑस्ट्रेलिया को हल्की उम्मीद मिली। माहौल तनावपूर्ण था, रन मुश्किल से आ रहे थे।
मारक्रम ने दबाव को चौकों से तोड़ा, जिनमें एक स्क्वायर ड्राइव और फिर शानदार पुल शामिल था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने हर रन के लिए कड़ी मेहनत कराई।
मिचेल स्टार्क ने एक बेहतरीन गेंद पर
ट्रिस्टन स्टब्स को आउट किया, तब जीत के लिए 41 रन बाकी थे, जो उस समय साउथ अफ़्रीकी नज़रिए से 141 रन जैसा लग रहे थे।
ऑस्ट्रेलिया की बेताबी इतनी थी कि उन्होंने अपने तीनों रिव्यू गंवा दिए, जिसमें दो बेवजह LBW और एक स्टब्स के पैड-ग्लव वाले शॉट पर लिया गया रिव्यू शामिल था। विडंबना यह रही कि स्कोर बराबर होने पर वेरेन ने स्टार्क की गेंद को स्कूप करने के प्रयास किया था और गेंद उनके ग्लब्स पर लग कर गई लेकिन अंपायर ने नॉटआउट दे दिया और तब ऑस्ट्रेलिया के पास कोई रिव्यू नहीं बचा था।
डेविड बेडिंघम ने कमिंस के ख़िलाफ़ ऑन ड्राइव मार कर ज़रूरी रन को 20 रन से नीचे लाया, जिससे दर्शकों का उत्साह और बढ़ गया।
ऑस्ट्रेलिया ने मैच को नए गेंद तक खींचा, लेकिन
जॉश हेज़लवुड की नई गेंद की पहली डिलीवरी को मारक्रम ने पैड से सीमा रेखा के बाहर भेज दिया, और अगली गेंद पर तीन रन लेकर ज़रूरी स्कोर को एकल अंकों में पहुंचा दिया।
मारक्रम एक बार फिर लेग साइड में शॉट मारने गए और मिडविकेट पर कैच हो गए। जब वे पवेलियन लौट रहे थे, कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने उन्हें बधाई दी - उन्हें पता था कि वे टेस्ट इतिहास की सबसे यादगार पारियों में से एक के सामने हार मान चुके हैं।