इंग्लैंड 215 पर 7 (मलान 77, लिविंगस्टन 42*, बिश्नोई 2-30, हर्षल 2-35) ने भारत 198 पर 9 (सूर्यकुमार 117, अय्यर 28, टॉप्ली 3-22, जॉर्डन 2-37, विली 2-40) को 17 रनों से हराया
ट्रेंट ब्रिज़ में सफ़ेद गेंद की क्रिकेट में सीमा रेखा को लगातार बड़ा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। किसी भी दूसरे क्रिकेट मैदान की तुलना में हालिया समय में यहां सीमा रेखा को लंबा करने का प्रयास सबसे अधिक किया गया है। रविवार को इस मैदान पर एक खिलाड़ी ने ऐसी पारी खेली जिससे भले ही उनकी टीम ना जीती हो लेकिन इसने साफ़ बता दिया कि आने वाले टाइम में टी20 मैचे कैसे हो सकते हैं।
भारत 216 रनों का पीछा कर रहा था और इस दौरान
सूर्यकुमार यादव ने 55 गेंदों में ताबड़तोड़ 117 रन बनाए। इस मैच में भारतीय टीम के सिर्फ़ एक बल्लेबाज़ ने 20 से ज़्यादा रन बनाए और किसी भी बल्लेबाज़ ने 30 से ज़्यादा का स्कोर नहीं बनाया। सूर्यकुमार ने इस पारी में जितने भी शॉट लगाए, उसमें से 91 फ़ीसदी शॉट उन्होंने पूरे नियंत्रण के साथ लगाए। क्रिकेट के इस सबसे छोटे फ़ॉर्मैट में सूर्याकुमार के पास अद्भुत सकारात्मकता है। सूर्यकुमार के इस शानदार पारी में उन्होंने दिखाया कि वह किसी भी लेंथ की गेंद को किसी भी क्षेत्र में मार सकते हैं।
इंग्लैड के गेंदबाज़ों के पास सूर्यकुमार के ख़िलाफ़ कोई कारगर रणनीति नहीं थी। उनके पास बस एक ही चारा था कि सूर्यकुमार को स्ट्राइक से दूर रखा जाए। इंग्लैंड इस काम को करने में सफल भी रही लेकिन इसके बाद भी सूर्यकुमार ने भारतीय टीम को लक्ष्य के काफ़ी क़रीब ला दिया था। उनकी टीम को अंतिम नौ गेंदों में सिर्फ़ 25 रनों की आवश्यकता थी। हालांकि उस ओवर में मोईन अली की लेंथ गेंद को सीमा रेखा के बाहर मारने के चक्कर में सूर्यकुमार लांग ऑफ़ पर कैच दे बैठे। शायद उनकी पारी में यह पहली बार था जब वह गेंद को सीमा रेखा के बाहर मारने में या फिर गेंद को सही तरीक़े से टाइम करने असफल रहे हों।
उनके आउट होने के बाद इंग्लैंड ने आराम से उस मैच को जीत लिया। अंतिम ओवर में क्रिस जॉर्डन ने सिर्फ़ तीन रन ख़र्च करते हुए मैच को इंग्लैंड की झोली में डाल दिया। इसके साथ ही इंग्लैंड की टीम एक क्लीन स्वीप को भी टालने में सफल रही।
भारतीय टीम ने तीसरे टी20 मैच में कई बदलाव किए थे। इसके कारण उनकी गेंदबाज़ी पर काफ़ी प्रभाव पड़ा। उनकी टीम में आज भुवनेश्वर कुमार नहीं थे। इसके अलावा जसप्रीत बुमराह, युज़वेंद्र चहल और हार्दिक भी टीम से बाहर थे। भारतीय टीम में आज कोई भी ऑलराउंडर नहीं खेल रहा था, जिसके कारण उनके पास गेंदबाज़ी क्रम में सिर्फ़ पांच विकल्प थे।
भारतीय गेंदबाज़ों की शुरुआत उतनी भी ज़्यादा बुरी नहीं थी। पहले जॉस बटलर को आवेश ख़ान ने आउट किया उसके बाद जेसन रॉय भी उमरान मलिक को एक कट शॉट लगाने के चक्कर में कैच आउट हो गए।
हालांकि
डाविड मलान आज कुछ अलग ही मूड में थे। उन्होंने शुरआत से ही आक्रमण करने का मन बना लिया था। मलान ने उमरान मलिक के आठ गेंदों पर 17 रन बनाए, वहीं रवींद्र जाडेजा के 11 गेंदों पर 28 रन बटोरे। मलान ने सिर्फ़ 38 गेंदों का सामना करते हुए कुल 77 रनों की पारी खेली और 17वें ओवर में रवि बिश्नोई के शिकार बने। उसी ओवर में बिश्नोई ने मोईन को भी आउट कर दिया। इससे पहले लियम लिविंगस्टन और मलान के बीच 84 रनों की शानदार साझेदारी हुई थी।
हालांकि इन दो विकेटों का भारत को ज़्यादा लाभ नहीं हुआ। लिविंगस्टन, हैरी ब्रूक और जॉर्डन ने अंतिम के 19 गेंदों में 46 रन बटोर कर टीम को 215 के स्कोर तक पहुंचा दिया।
आज भारत के लिए फिर से रोहित शर्मा और ऋषभ पंत ने ओपनिंग की। इंग्लैंड की तरफ़ से रीस टॉप्ली और डेविड विली ने गेंदबाज़ी की कमान संभाली। पहले दो ओवर में उन्होंने भारतीय टीम को पूरी तरह से बांधे रखा और पंत का विकेट भी लिया।
इसके बाद विराट कोहली बल्लेबाज़ी करने आए, जो अपनी शैली के विपरीत कुछ अलग तरह से अपने खेल को आगे बढ़ाना चाह रहे थे। हो सकता है कि टीम मैनेजमेंट उनसे कुछ उसी शैली में खेलने की चाह रख रहा हो। विली के दूसरे ओवर में उन्होंने चार बार कदमताल किया। पहली गेंद डॉट रही। अगली दो गेंदों पर सिक्सर और चौका आया। इसके बाद वह शॉर्ट कवर के फील्डर को कैच थमा कर पवेलियन चले गए। इसके कुछ देर बाद रोहित भी आउट हो गए और भारत का स्कोर तीन विकेट की नुकसान पर 31 रन हो गया।
भारत ने काउंटर अटैक तो किया लेकिन सिर्फ़ एक छोर से
श्रेयस अय्यर इस सीरीज़ में आज अपना पहला मैच खेल रहे थे लेकिन उन्होंने एक ही पारी में अपने आलोचकों का काफ़ी मसाला दे दिया। उन्होंने स्पिनरों के ख़िलाफ़ दो सिक्सर की मदद से आठ गेंदों में 16 रन बनाए और तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ 15 गेंदों में 12 रन बनाए और अंत में फिर से शॉर्ट गेंद पर आउट हो गए।
सूर्यकुमार और श्रेयस के बीच 61 गेंदों में 119 रनों की साझेदारी हुई, जिसमें से श्रेयस का योगदान 23 गेंदों में 28 रनों का था। सूर्यकुमार यादव अंत तक प्रहार करते रहे और शतक भी बनाया लेकिन दूसरे छोर से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली और अंत में भारत मैच हार गया।