भारत 184/5 (सूर्यकुमार 65, वेंकटेश 35*, होल्डर 1-29) ने वेस्टइंडीज़ 167/9 (पूरन 61, पॉवेल 25, शेफ़र्ड 29, दीपर 2-15, वेंकटेश 2-23, हर्षल 3-22) को 17 रन से हराया
सूर्यकुमार यादव ने बल्ले के साथ काफ़ी बढ़िया प्रदर्शन किया और कई दर्शनीय शॉट लगाए। वहीं
वेंकटेश अय्यर ने ऑलराउंडर और फ़िनिशर की भूमिका निभाते हुए बल्ले और गेंद के साथ अपना दम दिखाया। भारत ने इस मैच के दोनों पारियों के दूसरे भाग में दमदार प्रदर्शन करते हुए वेस्टइंडीज़ को 17 रन से हरा दिया और 3-0 से टी20 सीरीज़ को अपने नाम कर लिया।
तीसरे टी20 मैच में हार का मतलब था कि वेस्टइंडीज़ की टीम इस दौरे पर बिना किसी जीत के साथ घर वापस जाएगी। वनडे सीरीज़ वह पहले ही 3-0 से हार चुकी थी। हालांकि टी20 में वेस्टइंडीज़ एक मज़बूत टीम मानी जाती है और उम्मीद थी कि यह शृंखला रोमांचक होगी। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक बात यह भी है कि टी20 मैचों में भले ही मेहमान टीम को हार मिली, भारत को जीत प्राप्त करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ी और कोई भी मैच आसान नहीं था।
सूर्यकुमार और वेंकटेश जब बल्लेबाज़ी करने के लिए क्रीज़ पर उतरे तो भारत का स्कोर चार विकेट के नुक़सान पर 93 रन था और 6.72 की रन गति से रन बनाए जा रहे थे। उसके बाद इन दोनों बल्लेबाज़ों ने तेज़ गति से रन बनाते हुए 6.1 ओवर में 91 रन बटोरे। अंतिम चार ओवरों में 69 रन बनाए गए,
जो डेथ ओवरों में भारत के लिए दूसरे सबसे अधिक रन थे, 2007 के टी20 विश्व कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारत ने 70 रन बनाए थे, जिसमें एक ओवर में युवराज सिंह के प्रसिद्ध छह छक्के शामिल थे।
दोनों बल्लेबाज़ो ने साहस दिखाते हुए अपने शॉट का चयन किया और क़ामयाब भी हुए। एक तरफ़ से सूर्यकुमार अगर स्वीप लगा रहे थे तो वेंकटेश गेंद को दर्शनीय तरीक़े से ड्राइव कर रहे थे। जब वेंकटेश ने जब पिक-अप शॉट लगाते हुए गेंद को सीमा रेखा के बाहर भेजा तो सूर्यकुमार अपनी कलाइयों का ज़ोर दिखा रहे थे। कुल मिला कर दोनों बल्लेबाज़ों ने आज अपने शॉट का पिटारा खोल दिया।
सूर्यकुमार अपनी पारी का आठवां छक्का मारने की कोशिश में पारी की अंतिम गेंद पर 31 गेंद पर 65 रन बनाकर आउट हो गए, जबकि वेंकटेश 19 गेंद पर 35 रन बनाकर नाबाद रहे। इन दोनों पारियों की बदौलत भारत एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचने में क़ामयाब रहा।
इसके जवाब में वेस्ट्इंडीज़ के बल्लेबाज़ भी आक्रामक अंदाज़ से मैदान पर उतरे और पहली गेंद से ही बड़ा शॉट लगाने का प्रयास करने लगे। भले ही भारत ने 15 रन के कुल योग पर वेस्टइंडीज़ के दो विकेट झटक लिए थे लेकिन दीपक चाहर के चोटिल होने के बाद टीम मुश्किल में पड़ गई। एक समय ऐसा लग रहा था कि 184 के स्कोर का बचाव करना मुश्किल होगा।
हालांकि दीपक की भरपाई वेंकटेश ने काफ़ी अच्छे तरीक़े से की। उन्होंने अपने द्वारा फेंके गए 13 गेंदों में दो विकेट झटके। इस मैच में वेस्टइंडीज़ की टीम की गहरी बल्लेबाज़ी क्रम को साफ़ तौर पर देखा जा सकता था। हालांकि वह टीम को जीत दिलाने में सक्षम नहीं हो पाए।
पिछले मैच की तरह इस मैच में भी हर्षल ने शानदार गेंदबाज़ी का प्रदर्शन करते हुए कुछ अहम मौकों पर बढ़िया गेंदबाज़ी की और 22 रन देकर 3 विकेट लिए। अंत में वेस्टइंडीज़ की टीम 9 विकेट के नुक़सान पर सिर्फ़ 167 रन बना पाई।
भारत ने आज के मैच में आवेश ख़ान, श्रेयस अय्यर, ऋतुराज गायकवाड़ और शार्दुल ठाकुर को अपने प्लेइंग 11 में शामिल किया। वहीं ऋषभ पंत, विराट कोहली, भुवनेश्वर कुमार और युज़वेंद्र चहल को आराम दिया गया था। इसके बाद रोहित शर्मा ने एक और प्रयोग करते हुए किशन और गायकवाड़ से ओपन करवाया और ख़ुद नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करने आए। भारत के लिए यह प्रयोग कुछ ख़ास नहीं रहा क्योंकि गायकवाड़ का विकेट सस्ते में ही गिर गया। हालांकि श्रेयस और किशन के बीच एक बढ़िया साझेदारी हुई।
वेस्टइंडीज़ के लिए स्पिन गेंदबाज़ी का प्रभार हेडन वॉल्श जूनियर और रॉस्टन चेज़ ने संभाला और यह कारगर भी रहा। चेज़ ने किशन को बोल्ड किया और वॉल्श जूनियर ने श्रेयस को कैच आउट करवाया। उन्होंने रोहित का भी विकेट लिया।
दीपक की चोट और पूरन का फ़ॉर्म
नई गेंद के साथ दीपक को काफ़ी स्विंग मिल रही थी। इसी स्विंग की बदौलत उन्होंने दोनों सलामी बल्लेबाज़ों को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। हालांकि वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ियों ने उस तरीक़े की बल्लेबाज़ी की जहां विकेट गिरने के कारण उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था। रोवमन पॉवेल और पूरन के बीच 47 रनों की छोटी मगर आतिशी साझेदारी हुई जिसके हर्षल ने उन्हें आउट कर एक आसान दिख रहे लक्ष्य को मुश्किल कर दिया। पूरन ने काफ़ी देर तक बल्लेबाज़ी की और 44 गेंदों में 61 रन की पारी खेली। उन्होंने इस सीरीज़ के तीनों मैचों में पचासा जड़ा। शार्दुल ने भी अंतिम ओवरों में बढ़िया गेंदबाज़ी की और अपने चार ओवरों के स्पेल में 33 रन देकर दो विकेट झटके।