Features

नए साल के पांच महीने बाद भी बांग्लादेश को अपनी टेस्ट पहचान की है तलाश

इस सप्ताहांत श्रीलंका के विरुद्ध एक बड़े टेस्ट सीरीज़ से पहले मोमिनुल हक़ की टीम को कुछ सवालों के जवाब ढूंढने होंगे

यह वही टीम है जिसने दुनिया में शायद सबसे कठिन दौरा माने जाने वाले न्यूज़ीलैंड को उन्हीं के घर में हराया था  AFP/Getty Images

क्या माउंट मॉन्गानुई ने साबित किया था कि बांग्लादेश दरअसल कितनी अच्छी टीम बनने की राह पर है या वह सिर्फ़ एक तुक्का था?

Loading ...

पांच महीने पहले हासिल हुए उस जीत को भुलाना मुश्किल है। विदेशी धरती पर विश्व टेस्ट चैंपियन टीम के ख़िलाफ़ इस जीत ने टीम के आत्मविश्वास को दर्शाया। हालांकि उसके बाद साउथ अफ़्रीका में ऐतिहासिक वनडे सीरीज़ जीत के बाद टेस्ट मैचों में जिस प्रकार टीम ने स्पिन के सामने घुटने टेक दिए वह भी आश्चर्यजनक था।

बांग्लादेश के लिए पिछले कुछ महीनों में तेज़ गेंदबाज़ों ने अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन वहीं उनकी पारम्परिक शक्ति रह चुकी स्पिन गेंदबाज़ी अब घरेलू परिस्थितियों में भी निरंतरता के अभाव से त्रस्त है। तस्कीन अहमद और शोरीफ़ुल इस्लाम के चोटिल होने से ख़ालिद अहमद और इबादत हुसैन को तेज़ गेंदबाज़ी की कमान संभालनी पड़ी है और दोनों ने हालिया समय में अच्छा किया है।

सबसे बड़ी परेशानी का सबब बनी है बल्लेबाज़ी जहां खिलाड़ी आक्रमण और सुरक्षा के बीच संतुलन खोजने में असफल दिखे हैं। श्रीलंका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ में इस बात का हल ढूंढ पाना निर्णायक होगा और बांग्लादेश ख़ुश होगा कि पहला टेस्ट चटगांव में है जहां की पिच को बल्लेबाज़ी के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती रही है।

अगर न्यूज़ीलैंड के बाद साउथ अफ़्रीका में बांग्लादेश के खेल में एक असमंजस साफ़ दिखा है तो यह कुछ हद तक खिलाड़ियों के ऊपर दबाव का भी चिन्ह है। बांग्लादेश में समर्थकों की अपेक्षा, मीडिया की कड़ी नज़र और एक दख़लअंदाज़ी में विश्वास रखने वाले क्रिकेट बोर्ड के चलते खिलाड़ियों के पास दबाव को दूर रखने के कोई साधन नहीं है। श्रीलंका को बांग्लादेश टेस्ट क्रिकेट में अपने बराबर समझता है और इसीलिए यह सीरीज़ शायद इस साल के सबसे अहम मुक़ाबले होंगे। हालांकि हालिया नतीजे मेज़बान के पक्ष में नहीं गए हैं।

2018 और 2021 में खेले गए पिछले दोनों श्रृंखलाओं में श्रीलंकाई बल्लेबाज़ी के धैर्य और फिर उनके स्पिन गेंदबाज़ों की फिरकी के सामने बांग्लादेश की एक ना चली। पिछले महीने हुए टेस्ट मैचों में साउथ अफ़्रीका ने भी कुछ ऐसी ही नीति अपनाई जहां बांग्लादेश ने शायद सोचा था कि ज़्यादा कड़ा मुक़ाबला तो साउथ अफ़्रीकी तेज़ गेंदबाज़ो से मिलेगा।

कई पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए केशव महाराज और साइमन हार्मर ने 29 विकेट लिए और बांग्लादेश को दो लगातार चौथी पारियों में 53 और 80 ऑल आउट होने पर मजबूर किया। ग़ौरतलब है कि यही बल्लेबाज़ घरेलू क्रिकेट में रोज़ स्पिन गेंदबाज़ी खेलते हैं और ख़ास तौर पर महाराज जैसी लेफ़्ट आर्म स्पिन।

यह वही टीम है जिसने दुनिया में शायद सबसे कठिन दौरा माने जाने वाले न्यूज़ीलैंड को उन्हीं के घर में हराया था। बल्ले और गेंद के साथ बांग्लादेश ने संयम का परिचय दिया और मैच जब बराबरी में फंसा था तब रिवर्स स्विंग का शानदार उपयोग करते हुए मैच को अपने कब्ज़े में किया। ऐसे खेल को लोग तुक्का ही मानेंगे ख़ास कर जब आप न्यूज़ीलैंड में ऐतिहासिक परिणामों को ध्यान में रखें और याद करें कि उसके बाद क्या हुआ है।

क्या यह सच में एक तुक्का ही था? पूरे पांच दिनों तक बांग्लादेश ने नीतिबद्ध तरीक़े से मेज़बान टीम का मुक़ाबला किया और आख़िर में तीनों विभागों में उनसे बेहतर खेल दिखाया। शाकिब अल हसन और तमीम इक़बाल की अनुपस्थिति में महमूदुल हसन जॉय, मोमिनुल हक़, लिटन कुमार दास और यासिर अली ने बल्लेबाज़ी में अनुभव और युवा जोश का सही मिश्रण पिरोया। मेहदी हसन ने कुछ किफ़ायती स्पेल के साथ कुछ क़ीमती रन भी जोड़े और आख़िर में तस्कीन, इबादत और शोरीफ़ुल ने जीत सुनिश्चित की।

एक छोटे से अरसे में बांग्लादेश की तेज़ गेंदबाज़ी में काफ़ी सुधार आया है। यह सितंबर 2019 की बात है जब एक टेस्ट मैच में सौम्य सरकार बांग्लादेश के लिए एकादश में इकलौते तेज़ गेंदबाज़ थे। तब से तस्कीन के गेम में बड़ा सुधार आया है, शोरीफ़ुल की गेंदबाज़ी ताज़ा हवा का झोंका सा उभर कर आई है और इबादत तो बांग्लादेश के लिए पारी में पांच विकेट लेने वाले नौ साल में पहले बांग्लादेशी तेज़ गेंदबाज़ बने हैं।

चोट से जूझते हुए भी साउथ अफ़्रीका में तस्कीन और शोरीफ़ुल ने बढ़िया गेंदबाज़ी की थी और इबादत ने रन गति पर अंकुश लगाने की कला को सीख लिया है। मेहदी भी इन पांच महीनों में एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में उभर रहे हैं लेकिन व्यक्तिगत सुधार के मामले में शायद इन पांच महीनों में यही मुख्य अंश हैं।

बल्लेबाज़ी में आ रही दिक्कत का सबसे बड़ा प्रतीक है कप्तान मोमिनुल का फ़ॉर्म। उनकी बल्लेबाज़ी में कोई तकनीकी ख़राबी तो प्रत्यक्ष नहीं है लेकिन अच्छी शुरुआत करने में उन्हें लगातार कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 12 टेस्ट पारियों में वह नौ बार 10 से कम के स्कोर पर आउट हुए हैं।

बांग्लादेश ने छह टेस्ट मैचों में छह ओपनर खिलाए हैं और इनमें केवल महमूदुल ने 200 से अधिक रन बनाए हैं। पांच मैचों में शादमान इस्लाम का खेल इतना ख़राब था कि आख़िर में उन्हें तमीम के लौटने पर टीम से बाहर रखा गया। बल्लेबाज़ों में केवल लिटन ने प्रभावित किया है। इस दौरान उन्होंने 45.54 के औसत से 501 रन बनाए हैं जिसमें दो सैंकड़े और दो अर्धशतक शामिल हैं। नजमुल हुसैन शांतो, मुश्फ़िक़ुर रहीम और यासिर का औसत 20 और 30 के बीच है और मोमिनुल का 15 के आसपास। श्रीलंका के ख़िलाफ़ तमीम और शाकिब के लौटने से टीम में मज़बूती बढ़ेगी। हालांकि बांग्लादेश को ज़रूरत है एक ऐसी टीम की जो निरंतरता से अन्य टीमों से लड़ सके और जिसकी अगुआई लिटन, महमूदुल, यासिर, मेहदी और तास्किन जैसे युवा खिलाड़ी करें। तमीम, शाकिब और मुश्फ़िक़ुर अपने करियर के आख़िरी पड़ाव में हैं और बांग्लादेश की मांग है कि अगली पीढ़ी अब टीम को मज़बूत बनाने की ज़िम्मेदारी उठा ले।

Taskin AhmedShoriful IslamKhaled AhmedEbadot HossainMahmudul Hasan JoyMominul HaqueLitton DasYasir AliMehidy Hasan MirazBangladeshSri LankaNew Zealand vs BangladeshSri Lanka tour of BangladeshBangladesh tour of New ZealandBangladesh tour of South Africa

मोहम्मद इसाम ESPNcricinfo के बांग्लादेशी संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo के स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।