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हम कोशिश कर रहे हैं कि सभी खिलाड़ी वर्तमान चीज़ों पर ध्यान दें : कानितकर

भारतीय कोच ने कहा कि यश धुल ज़रूरत पड़ने पर मैदान पर कड़े फै़सले ले सकते हैं

भारतीय टीम चार बार अंडर-19 विश्व कप जीतने में सफल रही है  •  ACC

भारतीय टीम चार बार अंडर-19 विश्व कप जीतने में सफल रही है  •  ACC

भारत का अंडर-19 कप्तान होना दोधारी तलवार है। चुने हुए खिलाड़ी के पास जल्दी से अपना नाम बनाने का मौक़ा होता है, लेकिन एक और बात यह भी है कि एक खिलाड़ी के तौर पर आपके प्रदर्शनों को काफ़ी गहरी नज़र से देखा जाता है। कहने का अर्थ है कि आपकी एक ग़लती आपको गंभीर आलोचनाओं का शिकार बना सकती है। एक युवा खिलाड़ी के तौर पर यह किसी भी खिलाड़ी के लिए पहला अनुभव हो सकता है, जहां उसे इतनी आलोचनाओं का शिकार होना पड़े या कहें कि एक युवा खिलाड़ी के लिए यह पहला मौक़ा होता है, जहां उसे इतनी ज़िम्मेदारियों का वहन करना पड़ता है।
इस बार के अंडर-19 विश्व कप में दिल्ली के मध्य क्रम के बल्लेबाज़ यश धुल को भारत की कप्तानी सौंपी गई है। ऐसा हो सकता है कि जब तक कि पिछले साल के अंत में अंडर-19 एशिया कप के लिए भारत की टीम की घोषणा नहीं की गई थी, इस खिलाड़ी के बारे में देश की राजधानी के बाहर काफ़ी कम लोगों ने ही सुना होगा।
भारत में घरेलू क्रिकेट पर कोविड-19 का काफ़ी गहरा प्रभाव पड़ा है। घरेलू स्तर पर काफ़ी कम क्रिकेट खेला जा रहा है। टीम चयन के लिए चयनकर्ताओं के पास काफ़ी सीमित संसाधन थे। साथ ही किसी भी खिलाड़ी के प्रदर्शन को आंकने के लिए भी उनके पास काफ़ी कम आंकड़े उपलब्ध थे। ऐसे में धुल को कप्तान बनाने का फ़ैसला चयनकर्ताओं ने कैसे लिया होगा? उन्होंने किस आधार पर उनको कप्तान बनाया?
भारत के अंडर-19 कोच ऋषिकेश कानितकर ने 2022 अंडर-19 विश्व कप की शुरुआत की पूर्व संध्या पर कहा, " किसी भी कप्तान में आपको जिस प्राथमिक गुण की आवश्यकता है, वह है आपको अपने खिलाड़ियों का सम्मान करना होगा।"
"इसके बिना, आप एक अच्छे खिलाड़ी हो सकते हैं लेकिन आप एक कप्तान के रूप में अपना काम नहीं कर पाएंगे। यश के पास यही गुण है। वह टीम के सभी खिलाड़ियों का सम्मान करता है। उसकी दूसरी ताक़त यह है कि वह मैदान पर कठिन परिस्थितियों में ज़रूरत पड़ने पर कड़े फै़सले लेने में सक्षम है।"
"हर बार जब एक कप्तान क्षेत्ररक्षण के लिए मैदान पर जाता है, तो उसे स्कूल क्रिकेट के जैसा निर्देशित नहीं किया जा सकता है। वहां उन्हें कुछ अहम फ़ैसले ख़ुद लेने होते हैं और यश इसके लिए तैयार है। वह अपने आप पर काफ़ी भरोसा करता है और परिस्थितियों के अनुसार फै़सला लेता है। यह सारे गुण एक कप्तान के लिए लगभग पर्याप्त है।"
यह एक निर्विवाद तथ्य है कि इस प्रतियोगिता में भारत की विरासत काफ़ी मज़बूत रही है। भारतीय टीम ने चार बार इस चैंपियनशिप को जीता है। साथ ही यह टीम तीन बार उपविजेता रही है और दो बार सेमीफ़ाइनल तक पहुंची है। हालांकि सीनियर क्रिकेट के विपरीत, आयु वर्ग के टूर्नामेंटों में विरासत का बहुत कम मूल्य होता है क्योंकि प्रत्येक बार में टीम के खिलाड़ी बदलते रहते हैं और ऐसे में नई टीम के पास अपनी विरासत को बरक़रार रखने का एक अतिरिक्त दबाव होता है।
हाल का इतिहास बताता है कि अंडर-19 विश्व कप किसी खिलाड़ी के करियर पर कितना असरदार हो सकता है। इशान किशन औरऋषभ पंत, क्रमशः 2016 संस्करण में कप्तान और उप-कप्तान थे और अब वह आईपीएल के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक हैं। पंत तो अब राष्ट्रीय टीम के लगभग सभी फ़ॉर्मैट में खेलते हैं। इसी तरह 2018 अंडर-19 से पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल ने भी ख़ूब नाम कमाया। कुल मिला कर अंडर-19 कोच और सभी खिलाड़ी इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं कि यह प्रतियोगिता उनके करियर में किस प्रकार का प्रभाव डाल सकती है।
कानितकर ने कहा, "हम यह कोशिश कर रहे हैं कि वर्तमान में रहकर खेला जाए, हम बहुत आगे की सोचने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। हां, एक बात यह ज़रूर है कि इस प्रतियोगिता के बाद जो अगली चीज़ जो आती है वह है आईपीएल नीलामी, रणजी ट्रॉफ़ी चयन और फिर राष्ट्रीय टीम में चयन, लेकिन वह काफ़ी बाद की बात है। फ़िलहाल हमें प्रतिदिन अपना काम करना होगा और खिलाड़ियों के दिमाग को बहुत ज़्यादा भटकने नहीं देना होगा। हम कोशिश कर रहे हैं कि सभी खिलाड़ी इस समय यह ध्यान दें कि हम वर्तमान क्षण में क्या कर सकते हैं।"
"यह कभी-कभी एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि ज़ाहिर है कि खिलाड़ी अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को देखते हुए आगे देख रहे हैं, लेकिन यही वह जगह है जहां कोच उन्हें यह बताने के लिए आते हैं कि लंबी अवधि में अगर वह अच्छा करना चाहते हैं तो फ़िलहाल उन्हें क्या करने की ज़रूरत है। और इस प्रश्न का जवाब काफ़ी सरल है: परिणाम चाहे कुछ भी हो, यह अंत में क्रिकेट का खेल है। यह वही खेल है जो वे बचपन से खेल रहे हैं।"
हालांकि इस प्रतियोगिता के लिए टीम की तैयारी आदर्श नहीं रही है। भले ही भारतीय क्रिकेट टीम ने कई अन्य टीमों की तुलना में टूर्नामेंट से पहले थोड़ा बहुत क्रिकेट खेला है। बीसीसीआई कोविड काल से पहले अंडर-19 टीमों को दुनिया भर के दौरों पर भेजती थी। साथ-साथ कई अंडर-19 टीम भारत का दौरा करती थी लेकिन कोविड-19 ने इस बार उन सभी योजनाओं में बाधा डालने का काम किया है।
पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में एशिया कप में भारतीय टीम ने पांच मैच खेले और उन्होंने उस टूर्नामेंट को जीता भी था। उससे पहले, कोलकाता में भारतीय अंडर-19 टीम को दो हिस्सों में बांटा गया था और मैच कराए गए थे। उस दौरान बांग्लादेश की टीम के साथ भी एक सीरीज़ खेली गई थी, जिसमें बांग्लादेश की टीम ने जीत हासिल की थी। सपोर्ट स्टाफ़ ने खिलाड़ियों के साथ कुल मिलाकर 45 दिन बिताए हैं।
कानितकर ने कहा, "एशिया कप महत्वपूर्ण था क्योंकि हमारी चयनित टीम ने इससे पहले साथ मिलकर कभी कोई मैच नहीं खेला था। उस टूर्नामेंट ने हमें एक बेहतर टीम का निर्माण करने में मदद की।"
भारत अपनी आदर्श तैयारी नहीं होने के बावजूद अन्य तीन एशियाई पक्षों - बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ इस टूर्नामेंट का मज़बूत दावेदार हैं। भारत को ग्रुप बी में आयरलैंड, युगांडा और साउथ अफ़्रीका के साथ रखा गया है। भारतीय टीम ने विश्व कप अभ्यास मैचों में वेस्टइंडीज़ को 108 रन और ऑस्ट्रेलिया को नौ विकेट से हराया है। उनके पास स्पष्ट रूप से कौशल और प्रतिभा है।

श्रेष्ठ शाह ESPNcricinfo के सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।