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मूरासिंह : प्रथम श्रेणी क्रिकेट में मेहनत, गुमनामी और बेहतरीन आंकड़ों का अदभुत समागम

दलीप ट्रॉफ़ी के क्वार्टरफ़ाइनल में मूरासिंह ने अपनी धारदार गेंदबाज़ी से सबको किया प्रभावित

Manisankar Murasingh finished with figures of 5 for 42, Central Zone vs East Zone, Duleep Trophy quarter-finals, 1st day, Alur, June 28, 2023

मूरासिंह ने सेंट्रल ज़ोन के ख़िलाफ़ पांच विकेट लिए  •  ESPNcricinfo Ltd

एक साथ कई रणजी ट्रॉफ़ी मैचों के स्कोरकार्ड देखना एक थका देने वाला काम है। विशेष रूप से यदि आपको उन खिलाड़ियों और टीमों के प्रदर्शन को देखना है, जिसके बारे में आपको काफ़ी कम जानकारी है या फिर टीवी पर आप उन्हें काफ़ी कम देख पाते हैं तो यह और भी ज़्यादा मुश्किल काम हो सकता है।
यही कारण है कि चयनकर्ता और अलग-अलग फ़्रेंचाइज़ी के स्काउट अक्सर मैच रेफ़री से उन खिलाड़ियों के प्रदर्शन के बारे में पूछते हैं जो उनके रडार पर रहते हैं। लेकिन अगर आप त्रिपुरा से हैं, एक ऐसी टीम जिसने 1985-86 में अस्तित्व में आने के बाद से नौ रणजी ट्रॉफ़ी मैच जीते हैं, तो शायद ही आपके पास उनके मैच को या फिर स्कोरकार्ड को देखने का कोई ठोस कारण हो।
हालांकि जिन लोगों ने भी त्रिपुरा के द्वारा खेले गए घरेलू मैचों के स्कोरकार्ड को देखा होगा तो वह मणिशंकर मूरासिंह को ज़रूर जानते होंगे। वह त्रिपुरा के लिए घरेलू क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले और सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं।
30 वर्षीय मणिशंकर मूरासिंह उस क्षेत्र के उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं, जो लगातार गुमनामी की ज़िंदगी जीते रहते हैं। क्रिकेट के लिए अमूमन इस स्तर पर जिस तरह की सुविधाएं मिलती हैं, उसे प्राप्त करने में भी उन्हें कई दिक्कतें आती होंगी। ऊपर से वह एक ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां मौसम कभी भी बरसने को तैयार रहता है। जून से अक्तूबर तक तो वहां अक्सर बारिश होती है। हालांकि इन सभी बाधाओं को पार करते हुए मूरासिंह ने पिछले 14 सीज़न से बेहतरीन प्रदर्शन करने में क़ामयाबी हासिल की है।
मूरा सिंह के गेंदबाज़ी आंकड़े इतने शानदार हैं कि उनकी गेंदबाज़ी के प्रति आपके मन में एक सवालों का गुच्छा कभी भी पनप सकता है। वह कितनी तेज़ गेंदबाज़ी करते हैं? वह स्विंग गेंदबाज़ हैं या फिर वह गेंद को सीम कराते हैं? क्या उनकी गेंद स्किड करती है?
मूरा सिंह के गेंद की गति की बात की जाए तो वह 130 से 140 किमी/ घंटा की रफ़्तार से गेंदबाज़ी करते हैं। उनका लोडिंग काफ़ी शानदार है। रिलीज़ भी बेहतरीन है और फ़ॉलो थ्रो भी काफ़ी सहज है। वह गेंद को ज़्यादा स्विंग नहीं कराते हैं। वह पिच की मदद से गेंद मूव कराते हैं।
सेंट्रल ज़ोन के ख़िलाफ़ दलीप ट्रॉफ़ी में मूरा सिंह ने जो पांच विकेट लिए, वह उनके करियर का 13वां पांच विकेट हॉल है। उनकी ही गेंदबाज़ी की बदौलत ईस्ट ज़ोन सिर्फ़ 182 के स्कोर पर सेंट्रल ज़ोन को समेटने में क़ामयाब रही।
अपने शानदार गेंदबाज़ी प्रदर्शन के बाद बात करते हुए मूरासिंह ने कहा, "पहले के विपरीत, जहां मैं आईपीएल टीमों के लिए ट्रायल देता था और केवल एक या दो मैच सिमुलेशन के बाद किसी कारण से ख़ारिज कर दिया जाता था, मैंने फ़ैसला किया कि मुझे गर्मियों के दौरान प्रशिक्षण लेना होगा और अधिक खेलना होगा। कोविड के बाद 2021 में मैं इंग्लैंड के माइनर काउंटी टूर्नामेंट में भी खेल रहा हूं। दरअसल 24 जून तक मैं डरहम में नॉर्थईस्ट प्रीमियर लीग में फ़िलडेल्फिया क्रिकेट क्लब के लिए खेल रहा था। वहां लंबे स्पेल में गेंदबाज़ी करना मेरे लिए काफ़ी फायदेमंद रहा है।"
मूरासिंह इस चीज़ के लिए बिल्कुल दुखी नहीं है कि उन्हें मौक़ा नहीं मिला। उनके पास फ़िलहाल जो कुछ भी है, वह उसके लिए आभारी हैं। वे कहते हैं, ''इस तरह के अवसर सुदूर पूर्वी इलाके के किसी व्यक्ति के लिए सोने की धूल तरह हैं। मैं इस अनुभव को किसी क़ीमत पर नहीं खोना चाहता। मुझे यह जानकर संतुष्टि मिलती है कि त्रिपुरा के कई लोग प्रेरणा की दृष्टि से मेरी ओर देखते हैं।''
पिछले साल सितंबर में जब मूरासिंह को घरेलू मैदान पर न्यूज़ीलैंड ए के ख़िलाफ़ वनडे मैचों के लिए भारत ए टीम में नामित किया गया था, तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया था। वह कहते हैं, ''यह अनुभव बहुत प्रेरणादायक है। मैं इसे कड़ी मेहनत के इनाम के रूप में देखता हूं। यह सफर कठिन है, आप समर्पित हुए बिना इतने वर्षों तक नहीं खेल सकते।"
मूरासिंह युवराज सिंह के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। यही वजह है कि वह एक ऑलराउंडर बनना चाहते थे। उनकी सीम-बॉलिंग उनका सबसे बड़ा प्लस है, लेकिन उनके विस्फ़ोटक निचले क्रम के खेल ने उन्हें चार शतकों और 14 अर्धशतकों के साथ 3308 प्रथम श्रेणी रन दिलाए हैं। उनका टी20 स्ट्राइक रेट 133.95 का है। क्या यह किसी भी शानदार खिलाड़ी की निशानी नहीं है? क्या उसे इसका ईनाम नहीं मिलना चाहिए?
वह कहते हैं, ''मुझे कभी समझ नहीं आया कि यह सब कैसे काम करता है। मैंने 2019 में मुंबई इंडियंस के लिए ट्रायल दिया। इस साल मैं गुजरात टाइटंस के द्वारा आयोजित ट्रायल में गया था। मेरे लिए यह देखना कठिन है कि वे कौन से गुण स्वीकार करते हैं या किस गुण की अपेक्षा करते हैं। अगर उन्होंने मुझे मैच का समय दिया होता तो मैं अपनी कमियों का आकलन करने की बेहतर स्थिति में होता लेकिन मैंने ऑफ़-सीज़न के दौरान काफ़ी मेहनत शुरू कर दिया है। इंग्लैंड में खेलने से मुझे मदद मिली है। क्लब क्रिकेट अब विकसित होने लगा है इसलिए खेलने की संभावनाएं हैं। इससे थोड़ा फर्क तो पड़ा है।"
मौज़-मस्ती और खेल से परे मूरासिंह का तात्कालिक लक्ष्य ईस्ट ज़ोन को ख़िताब दिलाना है। फिर उन्हें देवधर ट्रॉफ़ी के लिए चुने जाने की उम्मीद है।
"मैं अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए अगस्त की शुरुआत में इंग्लैंड वापस जाने वाला हूं। मुझे छह और मैच खेलने हैं। उम्मीद है कि मैं देवधर के बाद वहां जा सकूंगा।''

शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।