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1983 विश्व कप विजेता यशपाल शर्मा का हुआ निधन

1983 में विश्व कप जीतने के अलावा उन्होंने 2011 में विश्व विजेता बनी टीम का चयन भी किया था

Yashpal Sharma, player portrait

यशपाल शर्मा ने 1978 से 1985 के बीच भारत के लिए 37 टेस्ट और 42 वनडे मैच खेले थे  •  PA Photos/Getty Images

भारत की 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य यशपाल शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। शर्मा 66 वर्ष के थे।
मध्य क्रम के बल्लेबाज़ शर्मा ने 1978 से 1985 के बीच भारत के लिए 37 टेस्ट और 42 वनडे मैच खेले थे। उन्होंने 1983 की ऐतिहासिक जीत में भारत की तरफ से दूसरे सबसे ज़्यादा रन बनाए थे। उस टूर्नामेंट में शर्मा ने दो अर्धशतक भी लगाए थे - पहला ग्रुप स्टेज में वेस्टइंडिज़ के ख़िलाफ़ 89 रन और सेमिफ़ाइनल में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 61 रन।
लगभग दो दशकों के अपने प्रथम श्रेणी करियर में, शर्मा ने 21 शतकों और 46 अर्धशतकों के साथ 8933 रन बनाए।
अपने रिटायरमेंट के बाद, वह कोचिंग, कॉमेंट्री और क्रिकेट प्रशासन में सक्रिय रूप से शामिल रहे। उन्होंने दो चरणों में राष्ट्रीय चयनकर्ता के रूप में कार्य किया, पहले 2004 से 2005 तक, और बाद में 2008 से 2011 तक। उन्होंने कई घरेलू मैचों में अंपायर और मैच रेफरी की भूमिका भी निभाई। हाल ही में, वह दिल्ली की क्रिकेट सलाहकार समिति का हिस्सा थे।
इस खबर ने टीम में उनके पूर्व साथियों को झटका दिया है, खासकर उन्हें जिन से वह पिछले महीने 1983 विश्व कप जीत की सालगिरह पर मिले थे।
"यह अविश्वसनीय है। वह हम सभी में सबसे ज़्यादा फ़िट थे। जब हम मिले थे, मैंने उनसे उनकी दिनचर्या के बारे में पूछा था। वह शाकाहारी थे और टीटोटलर (वह व्यक्ति जो कभी शराब का सेवन ना करता हो) भी। अपने रात के खाने के लिए वह केवल सूप लेते थे और रोज़ सुबह नियमित रूप से सैर पर जाते थे। इस खबर ने मुझे चौंका दिया है," दिलीप वेंगसरकर ने कहा।
वेंगसरकर ने आगे कहा, "एक खिलाड़ी के रूप में, वह उचित टीम मैन और एक फ़ाइटर थे। मुझे दिल्ली में पाकिस्तान के ख़िलफ़ 1979 का टेस्ट मैच याद है। हमने मैच बचाने के लिए एक साझेदारी निभाई थी। मैं उसे अपने विश्वविद्यालय के दिनों से जानता था। मैं अभी भी इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता।"
1983 की उस टीम के एक और सदस्य कीर्ति आज़ाद ने भी पिछले महीने शर्मा से मुलाक़ात की थी। "उसने मुझे कहा था कि मेरा वज़न काफ़ी कम हो गया है। वह एक अच्छा पुनर्मिलन था। मुझे 1983 में तेज़ गेंदबाज़ों से लैस वेस्टइंडिज़ की शक्तिशाली टीम के ख़िलाफ़ पहला मैच याद है जहां उन्होंने अपनी पारी से हमें मैच जीताया था," आज़ाद ने पीटीआई को बताया।
आज़ाद ने कहा, "वह सेमीफ़ाइनल में फिर एक बार शानदार लय में थे और बॉब विलिस को छक्का भी लगाया था। आजकल लोग कहते हैं [रवींद्र] जाडेजा नियमित रूप से स्टंप्स पर थ्रो करते हैं, यशपाल भी इस कला में माहिर थे। वह मैदान पर बिजली की तार की तरह थे और हर समय सटीक थ्रो के साथ स्टंप्स को हिट करते थे।"
लुधियाना में जन्मे यशपाल शर्मा ने घरेलू क्रिकेट में पंजाब, हरियाणा और रेलवे का प्रतिनिधित्व किया था। 1977 के दुलीप ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में बी ए चंद्रशेखर, एस आबिद अली और एरापल्ली प्रसन्ना जैसे साउथ ज़ोन गेंदबाज़ों के सामने नॉर्थ ज़ोन के लिए खेलते हुए उन्होंने 173 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली थी। इस पारी के बाद से वह राष्ट्रीय टीम का दरवाज़ा खटखटाने लगे।
उन्हें आने वाले पाकिस्तान दौरे के लिए टीम में चुना गया पर शर्मा को अपना पहला टेस्ट खेलने के लिए दो साल तक इंतज़ार करना पड़ा। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ लॉर्ड्स के मैदान पर शर्मा ने अपना टेस्ट डेब्यू किया था। अपने टेस्ट करियर में शर्मा ने दो शतक लगाए - पहला नाबाद शतक ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ दिल्ली में आया था। उसके अगले ही टेस्ट में 247 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए शर्मा 85 रन पर नाबाद थे जब खराब रौशनी के कारण खेल को रोकना पड़ा था। शर्मा का दूसरा शतक (140 रन) चेन्नई में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ आया। इस पारी के दौरान उन्होंने महान बल्लेबाज़ गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ 316 रनों की साझेदारी निभाई थी।
शर्मा के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब-एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब-एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी (@jiwani_afzal) ने किया है।