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यूपी ने रणजी सेमीफ़ाइनल में कैसे बनाई जगह

कोच विजय दहिया से जानिए; कैसे यूपी की युवा टीम ने रणजी ट्रॉफ़ी की प्रबल दावेदार कर्नाटका की चुनौती को ध्वस्त किया

The Uttar Pradesh team after their quarter-final win, Uttar Pradesh vs Karnataka, Ranji Trophy, Bengaluru, June 8, 2022

क्वार्टर फ़ाइनल मुक़बला जीतने के बाद यूपी की टीम  •  ESPNcricinfo Ltd

"अपना समय आने पर लीजेंड बनने से पहले आपको अपने दिमाग़ में लीजेंड बनना होगा।"
23 साल के करण शर्मा ने अपनी दाहिनी कलाई पर इन शब्दों का टैटू गुदवाया है। लीजेंड का दर्जा मिलने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के लिए अपने पहले सीज़न में उन्होंने पहले ही दो जीत की पटकथा लिखी है। हाल ही में उनकी चौथी पारी में नाबाद 93 रन की मदद से यूपी ने ट्रॉफ़ी के दावेदार कर्नाटका को हराकर रणजी ट्रॉफ़ी सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई।
यह टीम के लिए ख़ास पल था। इससे भी ज़्यादा यह करण के लिए ख़ास था क्योंकि इस सीज़न से पहले एक भी प्रथम श्रेणी मैच खेले बिना उन्हें कप्तानी सौंपी गई थी। अंडर -25 में यूपी के लिए उनके उल्लेखनीय प्रदर्शन ने यूपीसीए को आश्वस्त किया था कि वह इसके लिए सही पसंद हैं। जब उनकी टीम को उनकी ज़रूरत पड़ी तो उन्होंने आगे बढ़कर इसका नेतृत्व किया। यह जीत और भी शानदार थी क्योंकि यूपी ने पहली पारी में 115 रन पर ढेर होने के बाद 98 रन की बढ़त गंवा दी थी। फिर भी वे एक अनुभवी बल्लेबाज़ी क्रम के ख़िलाफ़ हारे नहीं थे।
मयंक अग्रवाल को सौरभ कुमार ने हवा में बीट किया। मनीष पांडे को करण ने डायरेक्ट हिट पर शानदार तरीक़े से रन आउट किया। करुण नायर को अंकित राजपूत ने सेट अप करके स्लिप में लपकवाया। यश दयाल ने पुछल्ले बल्लेबाज़ों को क्रीज़ पर नहीं रूकने दिया। एक बार फिर यूपी का शीर्ष क्रम लड़खड़ाने पर प्रियम गर्ग ने तीखा पलटवार किया और अर्धशतक बनाया।
और फिर प्रिंस यादव, जिनके खेलने का कोई चांस नहीं था। उनको फ़ॉर्म में चल रहे समीर चौधरी के जगह पर देरी से प्लेइंग-XI में शामिल किया गया। उन्होंने इसी मैदान पर अंडर-25 टूर्नामेंट में दो शतक लगाए थे, जिससे उनको काफ़ी फ़ायदा पहुंचा। पदार्पण पर प्रिंस नर्वस नहीं दिखे और रन चेज़ में नाबाद 33 रन का योगदान दिया। यह पूरी तरह से एक टीम एफ़र्ट था।
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भारत के पूर्व विकेटकीपर और यूपी के कोच विजय दहिया ने पूरे मैच के दौरान शांति का परिचय दिया, जैसा कि वे मैदान के चारों ओर तेज गति से चलते रहे। दहिया ने पंद्रह सौ दिनों से एक दिन भी अपना रनिंग मिस नहीं किया है। वह मैदान पर अपनी टीम से उसी स्तर की प्रतिबद्धता देख रहे थे। पहली पारी के बाद दिमाग़ी तौर पर हारना आसान था, लेकिन उन्होंने वैसा नहीं किया।
दहिया ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से कहा, "यह खिलाड़ियों के आत्मविश्वास के लिए बड़ी जीत है। हमें कोई डर नहीं था, क्योंकि हमने यह सब नहीं देखा है।" इस मुक़ाम तक पहुंचने के लिए उन्हें एक और नाटकीय पटकथा लिखनी पड़ी। लीग चरणों के अंतिम दिन यूपी, महाराष्ट्र और विदर्भ के साथ तीन-तरफ़ा दौड़ में था। महाराष्ट्र को उम्मीद थी कि 70 ओवरों में 360 का लक्ष्य निर्धारित करने से वे जीत जाएंगे और क्वार्टर फ़ाइनल में जीत पक्की कर लेंगे। मैच ड्रॉ होने पर विदर्भ क्लालिफ़ाई करता, लेकिन यूपी के इरादे तो कुछ और थे।
करण ने उस मैच में 116 रन बनाए और रिंकू सिंह ने अंतिम सत्र में धीमी रोशनी में 60 गेंदों में नाबाद 78 रनों की पारी खेली। जिससे यूपी ने रोमांचक मुक़ाबला जीतकर क्वार्टर फ़ाइनल में प्रवेश किया।
"एक कप्तान के रूप में वह परिपक्व हो रहा है। वह मैदान पर अपना आत्मविश्वास हासिल कर रहा है और मैदान के बाहर सम्मान। एक नए कप्तान के लिए आपको यही सब चाहिए।"
करण को लेकर दहिया ने कहा
दहिया ने उस मैच को याद करते हुए कहा "ईमानदारी से कहूं तो महाराष्ट्र के ख़िलाफ़ हम कहीं से भी नहीं जीत रहे थे। हर कोई सोच रहा था कि विदर्भ उस ग्रुप से क्वालीफ़ाई करेगा क्योंकि वे बहुत अच्छी स्थिति में थे। जिस समय महाराष्ट्र ने पारी समाप्ति की घोषणा की, वे भी पूरी तरह से जीत की तलाश में थे। सही मायनों में उन्होंने हमें खेल में वापस आने का मौक़ा दिया।"
दहिया के अनुसार इस ख़ास जीत ने करण को पहचान दिलाया और यह नॉकआउट में जाने से पहले अच्छे संकेत थे।
दहिया कहते हैं "नए कप्तान के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सम्मान हासिल करना बहुत महत्वपूर्ण है। पहली पारी में [कर्नाटका के ख़िलाफ़] उनकी पारी बहुत अच्छी नहीं रही, लेकिन इससे उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोई फ़र्क नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने टीम का अच्छी तरह से नेतृत्व किया और हमने कर्नाटका को दूसरी पारी में 115 रन पर समेट दिया। इससे पता चलता है कि वह अपनी बल्लेबाज़ी के बारे में नहीं सोच रहे थे।"
दहिया आगे कहते हैं, "एक कप्तान के रूप में ऐसा होता है कि कभी-कभी आप सोच रहे होते हैं कि बहुत कुछ दांव पर लगा है। एक नेतृत्वकर्ता के रूप में वह परिपक्व हो रहा है, वह मैदान पर अपना आत्मविश्वास हासिल कर रहा है और मैदान के बाहर सम्मान नए कप्तान की शुरुआत के लिए आपको यही चाहिए।
"कभी-कभी नॉकआउट में, यह मानसिकता की बात होती है। आप सामने वाली टीम को देखते हैं, बड़े नाम और टीम को देखकर घबरा जाते हैं। मैं इस बात से रोमांचित हूं कि इस टीम ने इसका एक भी संकेत नहीं दिखाया। उन्होंने गेंदों को खेला, गेंदबाज़ को नहीं। उन्होंने बल्लेबाज़ को गेंदबाज़ी की, नाम को नहीं। ये अच्छे संकेत हैं। मैं उछल नहीं रहा हूं और मैं बहुत आगे भी नहीं देख रहा हूं, लेकिन इस तरह की जीत ड्रेसिंग रूम में कुछ शुरू कर सकती है। वह 'कुछ' है ख़ुद पर विश्वास, आत्मविश्वास। हमने हमेशा कहा है कि इस टीम में क्षमता है। जब भी इसे प्रदर्शन में तब्दील करने का मौक़ा मिलेगा हम ऐसा करने में सक्षम हैं, जो इस टीम के लिए एक बड़ा प्लस है।"
इस स्टोरी का दूसरा भाग जल्द आएगा।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एडिटोरियल फ़्रीलांसर कुणाल किशोर ने किया है।