फ़ीचर्स

IPL का टूटा सपना, फिर भी नहीं टूटी हिम्मत: कर्नाटक के सिक्स हिटर आर स्मरण की कहानी

स्मरण ने कई IPL टीमों के ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन चोट ने सारा खेल बिगाड़ दिया

Shashank Kishore
शशांक किशोर
14-Aug-2025 • 6 hrs ago
R Smaran likes to go big against spinners

R Smaran ने पिछले घरेलू सीज़न में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया था  •  R Smaran/KSCA

कभी-कभी कुछ खिलाड़ियों के नाम IPL के सीज़न से पहले ख़ूब चर्चा में आते हैं। 2025 के IPL सीज़न से पहले स्काउटिंग सर्कल में एक नाम काफ़ी बढ़-चढ़कर लिया जा रहा था - आर स्मरण।
हालिया सीज़न से पहले स्मरण ने रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलुरु के लिए ट्रायल दिया था। उनके ट्रायल का वीडियो कई टीमों के स्कॉउट्स तक पहुंचा और स्मरण के नाम को लेकर ख़ूब चर्चा हुई। अपने ट्रायल के दौरान स्मरण कई गेंदों को स्टेडियम के बाहर काफ़ी आसानी से भेज रहे थे, जो देखने में काफ़ी आकर्षक लग रहा था और यह उनकी बल्लेबाज़ी के एक पक्ष का परिचय भी था।
स्मरण ट्रायल के लिए जहां भी गए, उनकी बल्लेबाज़ी की काफ़ी तारीफ़ हुई। इसके बाद उन्होंने तय किया कि अगले कुछ हफ़्तों के लिए अपनी बल्लेबाज़ी अभ्यास का कार्यक्रम वही बनाएंगे, ताकि IPL में मौक़ा नहीं मिल पाने की निराशा को किसी भी तरह से किया जा सके।
दिन में बल्लेबाज़ी अभ्यास, शाम में जिम और दौड़ लगाना। इसके बाद पिक बॉल खेलना। स्मरण बस यह चाह रहे थे कि वह किसी भी तरह से ख़ुद पर अतिरिक्त दबाव न बनाएं और ज़्यादा न सोचें।
हालांकि एकदिन अचानक से फ़ोन की घंटी बजती है। सनराइजर्स हैदराबाद की टीम एडम ज़ैम्पा का रिप्लेसमेंट ढूंढ रही थी और इसी तलाश में स्मरण को कॉल आया। लेकिन स्मरण लेग स्पिन नहीं करते हैं तो एक बात साफ़ थी वह लाइक फ़ोर लाइक रिप्लेसमेंट नहीं थे।
उस वक़्त तो ऐसा लगा जैसे मेरी दुनिया ख़त्म हो गई है। मैंने एक महीने तक कुछ भी नहीं किया। लेकिन इसके बाद मेरे कोच सैयद ज़बीउल्लाह ने मुझे उठाया और कहा कि यह तुम्हारे करियर का अंत नहीं है। आगे काफ़ी कुछ करना बाक़ी है।
अंडर-19 विश्व कप की टीम से बाहर होने के संदर्भ में
हालांकि यह इस बात का संकेत हो सकता था कि SRH की टीम स्मरण पर लंबे समय तक के लिए निवेश करना चाह रही है। लेकिन क़िस्मत का दरवाज़ा खुलने से पहले ही बंद हो गया। अभ्यास के दौरान स्मरण एक विज्ञापन बोर्ड से टकरा कर चोटिल हो गए और इस तरह से उनके IPL सीज़न का अंत हो गया।
मंगलवार को महाराज T20 टूर्नामेंट में स्मरण ने सिर्फ़ 22 गेंदों में 55 रनों की धाकड़ पारी खेली और एक बार फिर से बता दिया कि स्कॉटिंग सर्किल में उनके नाम को लेकर इतनी चर्चा क्यों हुई थी। इस टूर्नामेंट में वह गुलबर्गा मिस्टिक्स की टीम की तरफ़ से खेल रहे हैं।
इस पारी के दौरान उन्होंने आख़िरी गेंद को स्टेडियम के पार भेजते हुए अपनी टीम को जीत दिलाई। एक पेशेवर खिलाड़ी के रूप में एक निराशाजनक IPL सीज़न के बाद इससे बेहतरीन शुरुआत की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
स्मरण ने ESPcricinfo से कहा,"मैं शुरुआत से ही छक्के-चौके लगाने में सक्षम रहा हूं। साथ ही मुझे कभी ऐसा नहीं लगा है कि किसी भी खिलाड़ी को तीनों फ़ॉर्मैट का खिलाड़ी बनने के लिए अपने खेल या शैली को नियंत्रित करना पड़ता है।"
"T20 में जब पिच बल्लेबाज़ी के लिए इतनी अच्छी हो तो आक्रामक क्रिकेट खेलना, मेरे लिए काफ़ी नैसर्गिक है। मैं अपने आप को 'सिक्स हिटर' कह कर संबोधित नहीं करता, लेकिन एकबात यह भी है कि अगर कमज़ोर गेंद हो तो मैं उस पर सिक्सर लगाने से पहले कभी नहीं हिचकिचाता।"
"मेरे लिए बचपन से ही लाल गेंद की क्रिकेट पहली प्राथमिकता रही है। अगर आप आज भी पूछें तो मेरे लिए भारतीय टेस्ट टीम में शामिल होना, सबसे बड़ा सपना है। मैं ऐसा महसूस करता हूं कि T20 फ़ॉर्मैट में मुझे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं है।"
पिछले रणजी सीज़न में स्मरण ने काफ़ी ख़राब तरीक़े से शुरुआत की थी। पहले पांच मैचों में तो उनके नाम एक भी अर्धशतक शामिल नहीं था। उन्हें काफ़ी अच्छे मौक़े भी मिल रहे थे और वह टॉप पांच में बल्लेबाज़ी कर रहे थे। रणजी सीज़न के बीच में जब सफ़ेद गेंद के टूर्नामेंट शुरू हुए तो उससे पहले ही स्मरण को ऐसा महसूस होने लगा था कि उन्होंने एक अच्छा-ख़ासा मौक़ा गंवा दिया है।
उन्हें पहले मैच में बाहर बिठाया गया लेकिन दूसरे मैच में जब मनीष पांडे को बाहर करते हुए स्मरण को मौक़ा दिया तो उन्होंने इस मौक़े को दोनों हाथ से लपक लिया। उस मैच में त्रिपुरा के ख़िलाफ़ स्मरण ने 31 गेंदों में 57 रनों की धाकड़ पारी खेल दी।
स्मरण ने कहा, "उस पारी ने मेरे आत्मविश्वास को काफ़ी हद तक बढ़ा दिया। एक टीम के तौर पर हमने SMAT में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। लेकिन उस टूर्नामेंट एक अच्छी चीज़ यह हुई कि मुझे अपने बल्लेबाज़ी में लय मिल गया, जो विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में भी साफ़ दिख रहा था।"
विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी उनके लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। वह पांडे की जगह पर टीम में आए थे, जो एक बड़ी दबाव की तरह था लेकिन वह बिखरे नहीं। फ़ाइनल में उनकी टीम सिर्फ़ 67 के स्कोर पर ही तीन विकेट गंवा चुकी थी। लेकिन वहां से उन्होंने 91 गेंदों में 101 रनों की पारी खेल कर टीम को 348 रनों तक पहुंचाया। उनके इस प्रदर्शन के कारण उनकी टीम ने 36 रनों से वह मैच जीत लिया।
उस टूर्नामेंट उन्होंने 433 रन बनाए थे लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि उनका औसत 72.16 था। इसमें दो अर्धशतक और दो शतक शामिल थे। वह कर्नाटक की तरफ़ से दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे।
उन्होंने कहा, "मैं बस एक ही लक्ष्य लेकर चल रहा था कि हमारी टीम टूर्नामेंट जीते। हम लगातार मैच जीतते गए और टीम को यह विश्वास होता गया कि हमारी टीम चैंपियन बन सकती है। जब हम वह टूर्नामेंट जीते तो वह एक ऐसा ऐहसास था, जिसे बयां करना काफ़ी कठिन है।"
बल्लेबाज़ी में मिली इसी लय को वह रणजी ट्रॉफ़ी के दूसरे चरण तक भी लेकर गए। एम. चिन्नास्वामी की हरी-भरी पिच पर उन्होंने शुभमन गिल की अगुआई वाली पंजाब टीम को 55 रनों पर ढेर होते देखा। उस मैच में वह जब बल्लेबाज़ी करने आए, हालात कहीं से भी आसान नहीं थे। स्मरण ने उन कठिन परिस्थितियों को चुनौती देते हुए अपने पहले प्रथम श्रेणी शतक को दोहरे शतक में बदला।
उस पारी को याद करते हुए स्मरण कहते हैं, "उस पारी में मानसिक अनुशासन की आवश्यकता थी। पहले दिन तो अनुशासन काफ़ी ज़रूरी था। उस पारी के बाद मेरे में यह आत्मविश्वास आया कि ज़रूरत पड़ने पर मैं अलग तरह की क्रिकेट खेल सकता हूं।"
सीज़न का अंत उन्होंने हरियाणा के ख़िलाफ़ एक और शतक से किया। एक ख़राब शुरुआत के बाद भी उन्होंने उस रणजी सीज़न में 10 पारियों में 64.50 की औसत से 516 रन बनाने में सफल रहे।
2019-20 तक स्मरण कर्नाटक अंडर-19 की टीम से खेलते थे और वह लगातार रन बना रहे थे। साथ ही वह BCCI की उस सूची में शामिल थे जिन्हें 2022 अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए तैयार किया जा रहा था।
लेकिन 2020 की शुरुआत में उनके दाएं पैर की पिंडली में स्ट्रेस फ्रैक्चर हो गया। वह दर्द के बावजूद खेले, लेकिन बाद में उन्हें आठ महीने आराम करने की सलाह दी गई।
सौभाग्य से यब चोट उन्हें कोविड लॉकडाउन के समय लगी थी, जिसके कारण उन्हें ज़्यादा कुछ नहीं छोड़ना पड़ा। एक लंबे ब्रेक के बाद उनका वज़न काफ़ी बढ़ गया था और इसका साफ़ असर उनकी फ़ॉर्म पर भी देखने को मिला। इसी का असर था कि उन्हें अंडर-19 की टीम में जगह नहीं मिली।
उन दिनों को याद करते हुए स्मरण कहते हैं, "उस वक़्त तो ऐसा लगा जैसे मेरी दुनिया ख़त्म हो गई है। मैंने एक महीने तक कुछ भी नहीं किया। लेकिन इसके बाद मेरे कोच सैयद ज़बीउल्लाह ने मुझे उठाया और कहा कि यह तुम्हारे करियर का अंत नहीं है। आगे काफ़ी कुछ करना बाक़ी है।"
पूरी तरह से फ़िट होने के बाद उन्होंने दो सीज़न में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन सीनियर टीम में उन्हें जगह नहीं मिली। पिछले साल उन्हें डेब्यू करने का मौक़ा मिला।
अपने डेब्यू पर स्मरण ने कहा, "अच्छा हुआ कि मुझे पिछले साल डेब्यू करने का मौक़ा मिला। इसका काफ़ी श्रेय सैयद सर को भी जाता है। उन्होंने ऑफ़ सीज़न के दौरान मुझे काफ़ी प्रेरित किया। साथ ही इस डेब्यू को हासिल करने के लिए मैंने भी जिम, ट्रेनिंग और नेट्स में काफ़ी मेहनत की।"
स्मरण का सफ़र उनकी लगन का सबूत है। स्मरण के परिवार में ऐसा कोई नहीं है, जिसका रिश्ता क्रिकेट से हो। इस कारण से यह सफ़र थोड़ा और मुश्किल था। उनके पिता मैकेनिकल इंजीनियर हैं और सोलर इनवर्टर बनाते हैं। मां की ख़्वाइश थी कि बेटा भी इंजीनियर ही बने।
स्मरण हंसते हुए कहते हैं, "मां अब भी पूछती है कि मैं कब मास्टर्स करूंगा। जब मैंने एज-ग्रुप क्रिकेट में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व किया, तब मेरे माता-पिता ने कहा कॉमर्स पढ़ो और क्रिकेट भी खेलो। उनके साथ थोड़ा टकराव भी हुआ लेककिन उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया है।"
अपने अगले लक्ष्य के बारे में स्मरण कहते हैं, "मैं कर्नाटक के लिए रणजी ट्रॉफ़ी जीतना चाहता हूं। 2014-15 के बाद से हमारी टीम यह ख़िताब नहीं जीत पाई है। पिछले सीज़न की शुरुआत में आत्मविश्वास की कमी थी, लेकिन अब लगता है कि मैं अपने खेल को बेहतर तरीक़े से समझने लगा हूं।"