एक्स्ट्रा कवर पर इनसाइड आउट शॉट खेलना मुश्किल हो सकता है, वह भी तब जब सामने
कुलदीप यादव जैसा गेंदबाज़ हो। नीदरलैंड्स के मध्य क्रम के बल्लेबाज़
तेजा निदामानुरु ने भारत के ख़िलाफ़ 39 गेंद में 54 रन की पारी में ऐसा ही शॉट छक्के के लिए खेला। वह बेंगलुरु में रविवार को नीदरलैंड्स की 160 रनों की हार में टीम के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ थे। यह इस तरह का शॉट था, जिसका नीदरलैंड्स के बल्लेबाज़ बेंगलुरु में काफ़ी समय से अभ्यास कर रहे थे।
हो सकता है निदामनुरु के पास अभी तक अपने शॉट का रिप्ले देखने का समय नहीं है, लेकिन यह ऐसा शॉट था जिसकी रील बन सकती है और वह विजयवाड़ा की छोटी यात्रा करते समय उसको कई बार देख सकते हैं, जहां उनका परिवार रहता है।
निदामानुरु ने इस शॉट पर कहा, "हम लगातार मेहनत करते हैं और विश्लेषण करते हुए अपने पिटारे से शॉट निकालते हैं। कुलदीप विश्व स्तरीय गेंदबाज़ हैं और उनके पास कई तरह की गेंदें हैं। मैं उनको पढ़ने का प्रयास कर रहा था। यहां तक कि जब हम बस से ग्राउंड जा रहे थे, तब भी मैं उनकी गेंदबाज़ी का विश्लेषण कर रहा था। मैं उनकी गुगली पढ़ने का प्रयास कर रहा था और उनकी रिस्ट-पोजिशन के वीडियो देख रहा था। जब अच्छे इरादे और सकारात्मकता के साथ कोई चीज़ आपके हक़ में जाती है, तो अच्छा लगता है। इस शॉट को खेलने में काफ़ी मेहनत किया गया है, यह सफल हुआ तो अच्छा है।"
निदामानुरु एक मैनेजमेंट पेशेवर हैं। रविवार को नीदरलैंड्स कहीं भी भारत के ख़िलाफ़ चेज़ में नहीं था लेकिन तब भी उनके पांच बल्लेबाज़ों को अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन अर्धशतक केवल निदामानुरु ने लगाया।
उन्होंने कहा, "हमने भारत के ख़िलाफ़ तैयारी की पूरी कोशिश की थी, जितना हम कर सकते थे। लेकिन जिस तरह का क्रिकेट भारत खेल रहा है, वहां पर हम थोड़ा कम रह गए। हमारा कौशल, मध्य ओवरों में बाउंड्री लगाना, यह सब शायद मेल नहीं खा पाया। अगर आप श्रेयस अय्यर की पारी को देखेंगे और देखेंगे कि मध्य ओवरों में हम कैसा खेले तो आपको अंतर नज़र आ जाएगा। हम सीखने की प्रक्रिया में हैं और ऐसा हम पहले कई बार कह चुके हैं। मध्य ओवरों में जहां टीमें छह रन प्रति ओवर बना रही हैं और हम पांच-छह विकेट गंवा रहे हैं, बस यही अंतर है।"
निदामानुरु ने टूर्नामेंट को शानदार तौर पर ख़त्म किया है। उन्होंने लगातार दो मैच नहीं खेलने के बाद क्रमशः नाबाद 41 और 54 के स्कोर बनाए। विश्व कप क्वालीफ़ायर में उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उनके ये नंबर प्रभावित नहीं करते। उनके दो शतक अभी भी नीदरलैंड्स के बल्लेबाज़ों के वनडे में दूसरा सर्वश्रेष्ठ है।
उन्होंने कहा, "अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो यह प्रदर्शन से औसत से थोड़ा नीचे है। इस साल की शुरुआत में मैंने कुछ शतक लगाए थे, जिसमें से एक क्वालीफ़ायर में आया। यहां आकर मैं टीम के लिए बेहतर करना चाहता था। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया, जैसा मैं चाहता था, लेकिन फिर भी कुछ सकारात्मक चीज़ें हैं, जिनको लेकर मैं खुश हूं।"
भारत की विभिन्न परिस्थितियों में नौ अलग-अलग टीमों के साथ खेलने से उन्होंने और टीम के बाक़ी बल्लेबाज़ों ने क्या सबक सीखा है?
"मैं व्यक्तिगत तौर पर जहां बल्लेबाज़ी कर रहा हूं, उसके संदर्भ में सोचता हूं तो स्पिन होने पर उसे खेलना और दबाव में ऐसा करने में सक्षम होना सबसे बड़ी चुनौती रही है। मुझे लगता है कि कम अनुभवी टीमों के ख़िलाफ़ आप सफल हो सकते हैं, लेकिन जब आप भारत जैसी टीम ख़िलाफ़ खेलते हैं, तो रवींद्र जाडेजा हर बार स्टंप के ऊपर गेंद मारते हैं। तो ऐसे में आपको उस गेंद को सम्मान देना होगा। फिर तेज़ गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ हमें स्विंग का कैसे सामना करना है, उस पर भी सोचना होगा। इस तरह के कौशल पर हम काम करना जारी रखेंगे। इस टूर्नामेंट ने हमें काफ़ी कुछ सिखाया है, जिससे हमें मदद मिलेगी।"