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अब टेस्ट मैचों में भी होगा स्टॉप क्लॉक का प्रयोग

ICC ने क्रिकेट खेलने के नए नियमों में कुछ अन्य बदलाव भी किए हैं, यहां उसके बारे में जानकारी दी गई है

The stop clock is shown on the big screen, West Indies vs England, 1st T20I, Barbados, December 12, 2023

टेस्ट क्रिकेट में भी अब होगा स्टॉपवाच  •  Getty Images

ICC ने हाल ही में पुरुष अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अपने खेल नियमों में कई बदलाव को मंज़ूरी दी है, जिनमें बाउंड्री कैच नियम और वनडे में 35वें ओवर से सिर्फ़ एक गेंद का इस्तेमाल शामिल है। इनमें से कुछ नियम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (2025-27) के नए चक्र में लागू हो चुके हैं, जबकि सफ़ेद गेंद वाले क्रिकेट के नियम 2 जुलाई से प्रभावी होंगे।
ICC द्वारा सदस्य देशों के साथ साझा किए गए नियमों की जानकारी के आधार पर ESPNcricinfo तीनों प्रारूपों में हुए मुख्य बदलावों की जानकारी यहां दे रहा है।

टेस्ट क्रिकेट में स्टॉप क्लॉक

सफ़ेद गेंद वाले प्रारूपों में स्टॉप क्लॉक को शामिल करने के एक साल बाद ICC ने टेस्ट क्रिकेट में भी इसे लागू करने का निर्णय लिया है, क्योंकि धीमी ओवर गति लंबे समय से इस प्रारूप की समस्या रही है। इस नियम के अनुसार फ़ील्डिंग टीम को पिछले ओवर के समाप्त होने के एक मिनट के भीतर अगले ओवर के लिए तैयार रहना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो अंपायर दो चेतावनियां देंगे। इसके बाद पांच रन की पेनल्टी गेंदबाज़ी टीम पर लगेगी। हर 80 ओवर के बाद चेतावनियां रीसेट कर दी जाएंगी। क्लॉक 0 से 60 तक गिनेगा। यह नियम पहले ही 2025-27 WTC चक्र की शुरुआत से लागू हो चुका है।

जानबूझकर सलाइवा के इस्तेमाल पर अनिवार्य बॉल चेंज नहीं

गेंद पर सलाइवा लगाने की मनाही जारी है, लेकिन अब ICC ने कहा है कि अगर गेंद पर सलाइवा पाया जाता है, तो अंपायरों के लिए तुरंत गेंद बदलना अनिवार्य नहीं होगा। यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि टीमें जानबूझकर गेंद बदलवाने के लिए उस पर सलाइवा न लगाएं। अब गेंद तभी बदली जाएगी जब उसकी स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ हो, जैसे बहुत अधिक गीली हो या उसमें अतिरिक्त चमक हो। यह पूरी तरह अंपायर के विवेक पर छोड़ा गया है। अगर अंपायर यह तय करते हैं कि सलाइवा से गेंद की स्थिति नहीं बदली, लेकिन गेंद बाद में कुछ ख़ास करने लगी, तब भी उसे बदला नहीं जाएगा। हालांकि बल्लेबाज़ी टीम को पांच रन दिए जाएंगे।

आउट फ़ैसले के बाद दूसरी अपील के लिए DRS प्रोटोकॉल

कल्पना कीजिए - एक बल्लेबाज़ को कैच आउट दिया गया और उसने रिव्यू लिया। अल्ट्रा एज से पता चला कि गेंद पैड को छूकर गई थी, बल्ले को नहीं। जब कैच आउट खारिज हो गया, तब टीवी अंपायर दूसरे तरीके से LBW की जांच करता है और बॉल-ट्रैकिंग से पुष्टि करता है। अब तक की व्यवस्था में अगर कैच आउट खारिज हो गया तो LBW की स्थिति में डिफ़ॉल्ट फैसला 'नॉट आउट' माना जाता था, यानी यदि बॉल-ट्रैकिंग 'अंपायर कॉल' दिखाए तो बल्लेबाज़ नॉट आउट रहता। नए नियम में LBW के लिए बॉल-ट्रैकिंग ग्राफ़िक पर 'ओरिजिनल डिसीजन' लेबल 'आउट' दिखाएगा। अगर नतीजा 'अंपायर कॉल' हो तो बल्लेबाज़ आउट माना जाएगा।

फ़ैसले की क्रमिकता से जांच

ICC ने संयुक्त समीक्षा की प्रक्रिया में बदलाव किया है, जहां अंपायर और खिलाड़ी दोनों ने रिव्यू लिया हो। अब फैसले उनकी घटित क्रम में लिए जाएंगे। पहले टीवी अंपायर पहले अंपायर की समीक्षा लेता था, फिर खिलाड़ी की। संशोधित नियम 3.9 के अनुसार, "अगर पहले मामले में बल्लेबाज़ आउट घोषित होता है, तो गेंद वहीं डेड मान ली जाएगी और दूसरे मामले की जांच की ज़रूरत नहीं रहेगी।" उदाहरण के लिए, अगर LBW और रनआउट दोनों की अपील हो तो टीवी अंपायर पहले LBW की जांच करेगा, क्योंकि वह पहले हुआ। अगर बल्लेबाज़ आउट है तो गेंद डेड मानी जाएगी।

नो-बॉल की स्थिति में कैच की निष्पक्षता की जांच

मान लीजिए ऑन-फ़ील्ड अंपायरों को यकीन नहीं है कि कैच क्लीन लिया गया है या नहीं, तभी टीवी अंपायर बता देता है कि वह नो-बॉल थी। पुराने नियमों में नो-बॉल घोषित होते ही कैच की जांच की ज़रूरत नहीं होती थी। नए नियमों के अनुसार, अब तीसरा अंपायर कैच की जांच करेगा। अगर कैच क्लीन था तो बल्लेबाज़ी टीम को सिर्फ नो-बॉल का अतिरिक्त रन मिलेगा। अगर कैच क्लीन नहीं था तो बल्लेबाज़ों द्वारा लिए गए रन जोड़ दिए जाएंगे।

जानबूझकर शॉर्ट रन

अब तक यदि किसी बल्लेबाज़ को शॉर्ट रन लेते हुए पकड़ा जाता था, तो टीम पर पांच रन की पेनल्टी लगती थी। नए नियमों में अगर किसी बल्लेबाज़ को जानबूझकर रन चुराने के इरादे से क्रीज़ में नहीं पहुंचते हुए पाया गया, तो अंपायर फ़ील्डिंग टीम से पूछेंगे कि अगली गेंद पर कौन बल्लेबाज़ स्ट्राइक पर रहेगा। पांच रन की पेनल्टी जारी रहेगी।
नियम 18.5.1 के अनुसार, "जानबूझकर शॉर्ट रन का मतलब है, जब बल्लेबाज़ एक से अधिक रन लेने की कोशिश करते हैं और कम से कम एक बल्लेबाज़ जानबूझकर अपने एंड पर क्रीज़ में नहीं पहुंचता है।" बल्लेबाज़ अगर रन बीच में ही छोड़ देते हैं और अंपायर मानते हैं कि उनका इरादा धोखा देने का नहीं था, तो पेनल्टी नहीं लगेगी।

घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पूर्णकालिक स्थानापन्न

अगर किसी खिलाड़ी को गंभीर बाहरी चोट लगती है, तो ICC ने सदस्य बोर्डों से घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ियों के लिए पूर्णकालिक स्थानापन्न का ट्रायल करने को कहा है। स्थानापन्न खिलाड़ी उसी प्रकार का होना चाहिए, जैसा कन्कशन सब के मामले में होता है। चोट का स्पष्ट और दृश्य प्रमाण होना ज़रूरी है ताकि मैच अधिकारी अनुमोदन दे सकें। यह नियम मांसपेशियों में खिंचाव या मामूली चोटों के मामलों पर लागू नहीं होगा।
यह नियम परीक्षण के तौर पर लागू किया जाएगा और इसे लागू करना पूरी तरह सदस्य देशों के विवेक पर है।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं