साल 2021
चेतन साकरिया के लिए कई बेहतरीन यादें लेकर आया है। हालांकि इसके साथ-साथ उन्होंने इसी साल कई ग़म भी देखा है। फ़रवरी में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के ऑक्शन से ठीक पहले उनके छोटे भाई ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद मई में साकरिया ने आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए ख़ुद को साबित किया। लेकिन ठीक इसके बाद उन्हें गहरा झटका तब लगा जब साकरिया के पिता की कोविड-19 से मौत हो गई।
23 साल की उम्र में ही साकरिया ने संघर्ष भी देखा और उपलब्धियां भी हासिल की। पिछले तीन साल से साकरिया अपने परिवार का इकलौता कमाई का ज़रिया हैं। साकरिया अब पुरानी यादों को पीछे छोड़ आगे की ओर देख रहे हैं। जैसे ही साकरिया को पता चला कि उनका चयन श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में हुआ है तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
ईएसपीएन क्रिकइंफ़ो के साथ बातचीत में साकरिया ने कहा, "अगर मैं सिर्फ़ नेट गेंदबाज़ की हैसियत से भी श्रीलंका गया होता तो बहुत ख़ुश होता। इसलिए ये मेरे लिए एक बड़ा सरप्राइज़ है। आईपीएल के दौरान मुझे लगा कि मैं अपनी उम्मीद से भी ज़्यादा खरा उतरा, शुरुआत में तो मुझे लगा था कि राजस्थान रॉयल्स से खेलने के लिए मुझे थोड़ा इंतज़ार करना होगा। लेकिन कैंप में जिस तरह से मेरे प्रदर्शन से सभी प्रभावित थे, उसने मुझे भी आत्मविश्वास से लबरेज़ कर दिया था और तब मुझे लगने लगा था कि जल्द ही मेरी बारी आएगी। इसलिए टीम इंडिया के लिए हुए मेरे चयन ने मुझे चौंकाया ज़रूर लेकिन साथ ही साथ मैं इसके लिए तैयार भी हूं।"
आईपीएल के स्थगित होने के बाद बाएं हाथ के इस तेज़ गेंदबाज़ ने मई के तीसरे हफ़्ते से दोबारा अभ्यास शुरू किया था। उन्होंने ज़्यादातर ध्यान ख़ुद को फ़िट रखने पर लगाया, जिसमें उन्हें उनके मेन्टॉर एटी राजामणी प्रभु ने जमकर मदद की।
"रॉयल्स के साथ मैंने उनके अंडर अभ्यास किया था, इसलिए जब मैंने दोबारा अभ्यास शुरू किया तो मैंने गुज़ारिश की राजामणी सर ही मुझे ट्रेन करें। मेरी फ़्रेंचाइज़ी ने इसमें मेरी मदद की और फिर उन्होंने इसके लिए हरेक चीज़ का इंतज़ाम किया। जिसमें चेन्नई में रहने के साथ-साथ यात्रा भी शामिल थी। पिछले 15 दिनों से मैं प्रत्येक दिन दो बार कड़ा अभ्यास कर रहा हूं।"
आईपीएल के स्थगित होने के बाद मिले ब्रेक का फ़ायदा सिर्फ़ साकरिया ने ही नहीं उठाया बल्कि 20 वर्षीय
ऋतुराज गायकवाड़ भी इसी तरह अभ्यास में जुटे रहे, और उन्हें भी श्रीलंका जाने वाले 20 सदस्यीय दल में शामिल किया गया है। गायकवाड़ ने जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की रूटीन बनाई ताकि पुणे में लॉकडाउन के समय वह सुबह सात से 11 बजे के वक़्त का सही इस्तेमाल कर सकें।
गायकवाड़ ने कहा, "पुणे में मई से ही लॉकडाउन लगा है और सुबह 7-11 के बीच ही बाहर जाने की इजाज़त होती है। इसलिए मैंने ये तय कर लिया था कि इस दौरान मैं सोकर समय बर्बाद नहीं करूंगा। मैं उस समय का इस्तेमाल जिम के लिए करता था, मैं नहीं चाहता था कि मैं उस स्थिति में ख़ुद को ले आऊं कि अगर मेरा चयन होता है तो मैं फ़िट न रह पाऊं।"
गायकवाड़ की जल्दी सोने की आदत की वजह से उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए गुरुवार रात चुनी गई टीम में अपने चयन के बारे में भी पता नहीं चल पाता। बार-बार मोबाइल की घंटी बज रही थी और उन्हें लग रहा था कि कोई दोस्त परेशान कर रहा है।
"जब मैं सोने जाता हूं तो आमूमन मोबाइल डेटा बंद कर देता हूं, मैं जानता हूं कि अगर कोई ज़रूरी बात होगी तो फिर मेरे जानने वाले मुझे एक से ज़्यादा बार कॉल करेंगे। और फिर जब मेरे फ़ोन की घंटी लगातार बज रही थी तो पहले मैं नहीं समझ पा रहा था कि बात क्या है।" गायकवाड़ ने हंसते हुए कहा, "मुझे दो पत्रकारों के ज़रिए अपने चयन की ख़बर मिली।"
"मैंने अपने माता-पिता को उठाया और उन्हें अपने चयन की ख़बर दी, वे काफ़ी गहरी नींद में सोते हैं, जब मैंने उन्हें बताया तो पहले तो वे मेरी पूरी बात समझ ही नहीं पा रहे थे। फिर सुबह उठकर उन्होंने घर में पेढे बनाए और फिर मैं एक अपवाद की तरह बाहर न जाने का फ़ैसला किया, क्योंकि घर में सभी के साथ इस ख़ुशी को साझा करना था।"
साकरिया की तरह ही गायकवाड़ भी पहली बार सीनियर भारतीय टीम का हिस्सा होने जा रहे हैं। हालांकि गायकवाड़ लगातार भारत-ए टीम के सेटअप का हिस्सा रहे हैं। वह मानते हैं कि सपना तो तब पूरा होगा जब भारत के लिए वह डेब्यू करेंगे।
"जब आप अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हैं तो टीम और दूसरे खिलाड़ी आप पर नज़र रखते हैं, आपके लिए प्लान बनाते हैं। शिखर धवन और कुछ और सीनियर खिलाड़ियों ने देश के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबले खेले हैं, इसलिए मैं उनसे बहुत कुछ सीखना चाहूंगा कि कैसे वह अलग-अलग हालातों में ख़ुद को ढालते हैं।"
"साथ ही साथ मैं राहुल द्रविड़ के साथ एक महीने के क़रीब रहूंगा और ये सोचकर ही मैं बेहद उत्साहित हूं। दो साल पहले जब मैं भारत-ए की ओर से खेल रहा था तो वही कोच थे। तीन दौरे पर मैं उनके साथ रहा हूं, और हम दोनों एक दूसरे साथ काफ़ी घुल-मिल गए थे। लेकिन जब वह नेशनल क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) के चीफ़ बने थे तो निजी तौर पर मैं मायूस हुआ था क्योंकि फिर मैं उनसे नहीं सीख सकता था। लेकिन अब जब वह श्रीलंकाई दौरे पर भारतीय टीम के कोच होंगे तो मेरे पास एक बार फिर उनसे सीखने का मौक़ा होगा।"