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पहले हफ़्ते की कहानी : मिडिल ओवर्स की दिलेरी, ओस है बॉस और चाबुक भारतीय प्रतिभा

तेज़ गेंदबाज़ किस वक़्त सबसे कारगर सिद्ध हुए हैं? स्पिन गेंदबाज़ों में किस श्रेणी ने ज़्यादा प्रभावित किया

ओस के चलते कप्तानों का गेंदबाज़ी चुनने का फ़ैसला। कुछ टीमों की पहली गेंद से आक्रामक बल्लेबाज़ी करने की प्रवृति। ताज़ा पिचों पर तेज़ गेंदबाज़ों का गति और उछाल का सदुपयोग करना। यह थे आईपीएल के पहले हफ़्ते के कुछ रुझान।

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ओस का "स्विमिंग पूल"

जैसा टूर्नामेंट प्रीव्यू में हमने कहा था, ओस का असर कई मैचों में साफ़ नज़र आया है। चरों मैदानों पर उसकी गंभीरता अलग रही है लेकिन इसके चलते टीमों को पहले बल्लेबाज़ी करने से ऐतराज़ साफ़ दिखा है। ऐसा आईपीएल के इतिहास में पिछली बार 2018 में हुआ था जब पहले 10 मैचों में टॉस जीत कर हर कप्तान ने गेंदबाज़ी चुनी थी। और तो और 10 में से नौ मैचों में दूसरी बल्लेबाज़ी करने वाली टीम जीती। इस सीज़न दो बार 200 का लक्ष्य भी सुरक्षित नहीं रहा है। ब्रेबोर्न और डीवाई पाटिल के मुक़ाबले पुणे और वानखेड़े में ओस का असर थोड़ा कम नज़र आया है और शायद पिचों का अधिक उपयोग होने पर और कप्तान पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला लेने लगेंगे।

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पावरप्ले में पेस का बोलबाला

पहले 11 मैचों में पावरप्ले में तेज़ गेंदबाज़ों ने बेहतरीन असर डाला है। इस फ़ेज़ में तेज़ गेंदबाज़ों ने 90 प्रतिशत गेंदें डालते हुए 36 विकेट लिए हैं जबकि स्पिन गेंदबाज़ों के हाथ कुल 78 गेंदों में सिर्फ़ दो ही विकेट हाथ लगे हैं। हमने उमेश यादव, मोहम्मद शमी और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे तेज़ गेंदबाज़ों से मैच के संदर्भ में निर्णायक स्पेल देखें हैं। मैदानों के मामले में वानखेड़े में तेज़ गेंदबाज़ों को ख़ूब मदद मिली है और वहां पावरप्ले में 13 विकेटी गिरे हैं, और वहीं पुणे के एमसीए स्टेडियम में तेज़ गेंदबाज़ों की पावरप्ले में 5.63 की इकॉनमी सर्वश्रेष्ठ रही है।

हमारे आंकड़ों के अनुसार गुड लेंथ सबसे कारगर साबित हुई है। इस लंबाई पर 5.6 रन प्रति ओवर से हर 15 गेंद पर विकेट मिली है। वहीं शॉर्ट गेंद से 7.6 रन प्रति ओवर से 14 विकेट मिले हैं। फ़ुल गेंदों पर बल्लेबाज़ों ने छोटे बाउंड्री का फ़ायदा उठाते हुए 11.1 रन प्रति ओवर से रन बनाए हैं। वैसे तेज़ गेंदबाज़ों के पक्ष का रुझान शायद जारी रहेगा।

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मिडिल ओवर्स में आक्रामकता

अगर बल्लेबाज़ पावरप्ले में क़ाबू में आ रहे हैं तो मिडिल ओवर्स में उसकी जमकर भरपाई कर रहे हैं। इस सीज़न अब तक मिडिल ओवर्स (7-15 ओवर) में रन रेट है 8.19 का जो पहले कभी नहीं हुआ है। इससे पहले का रिकॉर्ड 2018 सीज़न में 8.12 का रन रेट था। टीमें औसतन हर 6.4 गेंदों पर बाउंड्री लगाने में सफल हो रही हैं। इस मामले में राजस्थान रॉयल्स (रन रेट 10.05), लखनऊ सुपर जायंट्स (9.25) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (9.1) सबसे आगे हैं।

इससे पहले टीमें संभलकर खेलते हुए आख़िर में ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करने में विश्वास रखती थी। इस साल बल्लेबाज़ों को छूट दी गई है कि भले ही विकेट गिरते रहें, उन्हें आक्रामक बल्लेबाज़ी करती रहनी चाहिए। चेन्नई सुपर किंग्स जैसे टीमों ने ऐसा नहीं किया है और भुगत रहे हैं। इस फ़ेज़ में उनका रन रेट है सिर्फ़ 7.16 का और वह अंक तालिका में अंतिम स्थान पर हैं।

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रिस्ट स्पिन का लगाम

स्पिन गेंदबाज़ों ने विकेट के मामले में बड़ा अंतर नहीं डाला हो लेकिन उन्होंने रन रोकने का अच्छा काम किया है। हर 23 गेंदों पर विकेट निकालते हुए उनकी इकॉनमी रही है 7.53 प्रति ओवर। रिस्ट स्पिनर्स ने 6.61 की इकॉनमी के साथ 28 विकेट लिए हैं और फ़िंगर स्पिनरों ने 8.29 की इकॉनमी से केवल सात विकेट।

वनिंदू हसरंगा, एम अश्विन, युज़वेंद्र चहल, कुलदीप यादव, राहुल चाहर और रवि बिश्नोई ने ख़ासा प्रभावित किया है और सब ने 7.50 से कम की इकॉनमी रखते हुए विकेट भी लिए हैं।

बड़ा सोचो और बड़ा करो

आईपीएल 2022 में टीमें नए तरीक़ों से मैच जीतने के उपाय ढूंढ रहीं हैं। पहले हफ़्ते में राजस्थान, कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स ने निडर क्रिकेट खेला है। दरअसल ऑक्शन में ही कुछ टीमों ने ऐसे दल का गठन किया है कि वह विकेटों के पतन के बावजूद आक्रामक खेल जारी रख सकें।

प्रबंधन ने टीमों को छूट दी है कि अधिक बाउंड्री लगाए जाएं और टीमें ओस के प्रभाव को परास्त कर सकें। पंजाब ने कोलकाता के ख़िलाफ़ ऐसे रणनीति का ख़ामियाज़ा भुगता था और शायद ऐसा आगे भी कुछ टीमों के साथ होगा। मिसाल के तौर पर राजस्थान, जिनकी बल्लेबाज़ी में गहराई की कमी है। तब देखना रोचक होगा कि क्या टीमें इस आक्रामकता को लेकर अपनी सोच बदलते हैं?

भारतीय प्रीमियर लीग

एक और रोचक पहलू रहा है टीमों का कई बार रणनीतिक बिंदु के तौर पर चार से कम विदेशी खिलाड़ी खिलाना। 10 टीमों के होने से कई घरेलू क्रिकेटरों को खेलने का भरपूर मौक़ा मिला है और उन्होंने इसे भुनाया है। आयुष बदोनी, तिलक वर्मा, वैभव अरोड़ा, जितेश शर्मा, ललित यादव और अभिनव मनोहर की शुरुआत अच्छी रही है। इससे विदेशी खिलाड़ियों को भी अपनी जगह बनाए रखने के लिए निरंतरता दिखानी पड़ेगी।

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गौरव सुंदरारमन ESPNcricinfo के सीनियर स्टैट्स विश्लेषक हैं। अनुवाद ESPNcricinfo में सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।