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मिस्बाह उल हक़ के कार्यकाल में कभी ख़ुशी कभी ग़म

मिकी आर्थर की तरह मुख्य कोच के रूप में मिस्बाह के लिए भी पिछले 24 महीने काफ़ी दिलचस्प रहे

मिस्बाह मुख्य कोच के साथ-साथ पाकिस्तान के मुख्य चयनकर्ता भी थे  •  Getty Images

मिस्बाह मुख्य कोच के साथ-साथ पाकिस्तान के मुख्य चयनकर्ता भी थे  •  Getty Images

पाकिस्तान के कोचिंग स्टाफ़ से मिस्बाह उल हक़ और वक़ार यूनुस का इस्तीफ़ा सिर्फ़ उन लोगों के लिए आश्चर्य की बात होगी जिन्हें पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के इतिहास का अधिक ज्ञान नहीं है। पाकिस्तान में ऐसा कम ही होता है कि हेड कोच, पीसीबी सचिव या पीसीबी के मुख्य आश्रयदाता (जो आम तौर पर देश के राष्ट्रपति होते हैं) उसी ठाठ-बाट से कुर्सी छोड़ते हैं जिस तरह उनका आगमन होता है।
पीसीबी के साथ जुड़ने में बस एक गारंटी मिलती है, कि एक न एक दिन आपकी बिदाई होनी है और ये अचानक से ही होगी। मिकी आर्थर मई 2016 में कोच बने और 2019 विश्व कप में सेमीफ़ाइनल तक प्रवेश ना दिला पाने पर उन्हें पद से हटाने की बात मीडिया तक पहुंचाने से चंद मिनट पहले उन्हें बताई गई।
ऐसे ही मिस्बाह और वक़ार के लिए भी पिछले 24 महीने काफ़ी दिलचस्प रहे। ये थे उन दिनों के मुख्य अंश।

अच्छे दिन

पाकिस्तान का टेस्ट रिकॉर्ड
आर्थर के रहते 28 मैचों में 10 जीत और 17 हार के मुक़ाबले मिस्बाह की देखरेख में पाकिस्तान को 16 टेस्ट में सात जीत और छह हार का सामना करना पड़ा। इन महीनों में मिस्बाह व यूनुस खान के संन्यास के बाद पहली बार मध्यक्रम बल्लेबाज़ी में मज़बूती नज़र आई। इसमें अहम भूमिका मोहम्मद रिज़वान और फ़वाद आलम की रही।
ज़िम्बाब्वे को छोड़कर अधिकतम जीत घर पर ज़रूर आई लेकिन साउथ अफ़्रीका को 2-0 से हराना यादगार था। यूएई के बाद पाकिस्तान में खेलते हुए टीम ने जीतने का तरीक़ा बना ही लिया और ओल्ड ट्रैफ़र्ड में पिछले साल इंग्लैंड के निचले क्रम ने एक बेहतरीन विदेशी सीरीज़ जीत से टीम को वंचित रखा।
रिज़वान बने स्टार
सरफ़राज़ अहमद को कप्तानी और टीम दोनों से निकालना एक जोख़िम भरा फ़ैसला ज़रूर था लेकिन उनका स्थान रिज़वान ने ख़ूबसूरती से ले लिया। वो युवा हैं और बल्लेबाज़ी और विकेटकीपिंग दोनो में अपने जीवन के श्रेष्ठ फ़ॉर्म में हैं।
फिर भी, जब पिछले दिसंबर में रिज़वान को टी20 टीम में ओपन करने का मौक़ा मिला तो कोच और खिलाड़ी दोनों की आलोचना हुई। लेकिन मिस्बाह अपने फ़ैसले पर अडिग थे और अब रिज़वान के नाम है एक साल में सर्वाधिक टी20 अंतर्राष्ट्रीय रन। साथ ही उन्होंने बतौर कप्तान मुल्तान को पीएसएल ख़िताब भी दिलाया। और तो और वह पाकिस्तान की विश्व कप टीम में पहले तीन नामों में से एक हैं। मिस्बाह की बैकिंग नहीं रहती तो शायद ही ऐसा हो पाता।

बुरे दिन

टी20 सीरीज़ में श्रीलंका के हाथ हार
जब मिस्बाह आए थे तब पाकिस्तान ने पिछले 37 में 30 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच जीते थे। उस वक़्त की नंबर एक टीम के नाते 2020 विश्व कप के लिए वो प्रबल दावेदार थे।
अपनी पहली ही सीरीज़ में पाकिस्तान ने अपने घर में एक ऐसी श्रीलंकाई टीम का सामना किया जिसमें छह से अधिक बड़े नाम मौजूद नहीं थे। मिस्बाह ने उमर अकमल और अहमद शहज़ाद को टीम में वापस बुलाया और आख़िर पाकिस्तान के हाथ लगी 3-0 की हार। इसके बाद पाकिस्तान को ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और इंग्लैंड में सीरीज़ हार का सामना करना पड़ा और ज़िम्बाब्वे में 119 के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम 98 पर सिमट गई। आज पाकिस्तान नंबर सात पर है और उनकी विश्व कप की दावेदारी काफ़ी कमज़ोर कही जाएगी।
दकियानूसी चयन प्रक्रिया
मिस्बाह जब खेलते थे तो उनकी गेम में एक निरंतरता था जिसने उन्हें मनोरंजक बनाने से रोका। बतौर चयनकर्ता ये निरंतरता कहीं भी नज़र नहीं आई। उमर अकमल और शहज़ाद वाले क़िस्से के बाद ऑस्ट्रेलिया में मिस्बाह मोहम्मद मूसा, ख़ुशदिल शाह, काशिफ़ भट्टी के साथ-साथ उस्मान क़ादिर को टीम में लाए। मोहम्मद इरफ़ान की वापसी भी हुई लेकिन दो मैच के बाद उन्हें हटा दिया गया।
बांग्लादेश के ख़िलाफ़ शोएब मालिक और मोहम्मद हफ़ीज़ की वापसी के साथ मिस्बाह ने माना कि वो सर्वोत्तम टीम बनाने की खोज में ये प्रयोग करने के लिए तैयार थे। विश्व की सर्वश्रेष्ठ टी20 टीम में आते ही इतने प्रयोग करना कहीं न कहीं मिस्बाह की दकियानूसी सोच दर्शाता था। मिस्बाह कोच के साथ मुख्य चयनकर्ता भी थे और ऐसा लग रहा था वो खिलाड़ियों के नाम किसी पिटारे से निकाल कर टीम में फ़िट करवाने की कोशिश में थे।
मैदान पर नतीजे
ज़िम्बाब्वे से नतीजे अगर हटा दिए जाएं तो पाकिस्तान ने मिस्बाह के रहते जीत के बनस्पद ज़्यादा टेस्ट और वनडे हारे, और टी20 में 4-4 की बराबरी रही। ज़िम्बाब्वे से भी एक वनडे और एक टी20 में हार का स्वाद चखना पड़ा। ज़िम्बाब्वे के अलावा आईसीसी के फ़ुल मेंबर देशों में से सिर्फ़ बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और आयरलैंड को एक बार से ज़्यादा हराया गया।
ऐसे सवाल जिनके जवाब नहीं मिले
शायद ये अकेले मिस्बाह की भूल नहीं लेकिन पाकिस्तान का हालिया फ़ील्डिंग समर्थकों को रुलाने लायक रही है। आर्थर से भी ज़्यादा स्टीव रिक्सन का टीम को छोड़ने के बाद का पतन मिस्बाह के रहते जारी रहा। ग्रांट ब्रैडबर्न नियुक्त हुए पर जल्द ही उन्हें एनसीए के हाइ परफ़ॉर्मेंस सेंटर में भेजा गया।
तो यही रहा मिस्बाह के कोचिंग का लेखाजोखा। आते ही पीसीबी ने उन्हें हर मुमक़िन रोल में धकेल दिया लेकिन उनके कार्यकाल में कई गुत्थियां नहीं सुलझी। पाकिस्तान का घर से बाहर टेस्ट रिकॉर्ड अभी भी काफ़ी साधारण है और एक स्थायी सलामी जोड़ी अब तक नहीं बन पाई है। टी20 में टीम का पतन तो हुआ ही है, वनडे में 2019 विश्व कप में पांचवी स्थान प्राप्त टीम अब दुनिया की छटी टीम बन गई है। पाकिस्तान क्रिकेट में इतना कुछ आंखों से ओझल रहता है कि अकेला एक इंसान प्रशंसा या आरोप का पात्र नहीं बनता। फिर भी यह कहना बेमानी नहीं होगी कि बतौर कप्तान पाकिस्तान क्रिकेट में बेहद निखार लाने वाले मिस्बाह उल हक़ ने कोच की भूमिका में निराश ही किया है।

दन्याल रसूल (@Danny61000) ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन (@debayansen) ने किया है।