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मध्य प्रदेश को रणजी ट्रॉफ़ी जिताने वाले छह सितारे

यश, कार्तिकेय, रजत, अक्षत, गौरव और शुभम , सभी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया

ट्रॉफ़ी के साथ जश्न मनाती मध्य प्रदेश की टीम  •  PTI

ट्रॉफ़ी के साथ जश्न मनाती मध्य प्रदेश की टीम  •  PTI

बेंगलुरु में अपना पहला रणजी ख़िताब जीतने से चूकने के 23 साल बाद मध्य प्रदेश ने आख़िरकार रविवार को मुंबई को हराकर इतिहास रच दिया। 1998-99 में अपनी कप्तानी में मध्य प्रदेश को फ़ाइनल में पहुंचाने वाले चंद्रकांत पंडित ने कोच के रूप में मध्य प्रदेश को ट्रॉफ़ी जिताने में क़ामयाबी हासिल की। उनके कोचिंग फ़िलॉसफ़ी के अनुसार एक व्यक्ति के द्वारी ट्रॉफ़ी नहीं जीती जाती। मध्य प्रदेश ने अपने कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ियों जैसे आवेश ख़ान और वेंकटेश अय्यर को ज़रूर मिस किया, जो अभी भारतीय टीम के साथ हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नायकों को भी ढूंढा।
यश दुबे
चार साल पहले डेब्यू करने के बाद से 28 प्रथम श्रेणी पारियों में यश दुबे ने कभी ओपनिंग नहीं की थी। 2021-22 रणजी सीज़न के बीच में ही उन्होंने ओपनिंग करनी शुरू की। नए रोल में यश ने अपने पहले मैच में ही केरल के ख़िलाफ़ करो या मरो वाले मुक़ाबले में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ 289 रन की पारी खेली। उन्होंने अपना बेस्ट फ़ाइनल के लिए बचा रखा था। फ़ाइनल की पहली पारी में यश की शतकीय पारी की बदौलत मध्य प्रदेश ने विशाल स्कोर खड़ा किया, जिसने मुंबई को दबाव में लाने में मदद की। वह इस सीज़न में 600 से अधिक रन बनाने वाले पांच बल्लेबाज़ों में से एक थे। उन्होंने दो शतकों के साथ 76.75 की औसत से 614 रन बनाए।
कुमार कार्तिकेय
नौ साल पहले घर छोड़ते समय कुमार कार्तिकेय ने क़सम खाई थी कि "जीवन में कुछ हासिल करने" के बाद ही लौटूंगा। अब वह आईपीएल खिलाड़ी और रणजी चैंपियन के रूप में उत्तर प्रदेश में अपने गृहनगर लौटने के लिए तैयार हैं। इस सीज़न के अपने पहले मैच में ही कार्तिकेय ने गुजरात के ख़िलाफ़ 194 रनों का बचाव करते हुए मैच जिताऊ पांच विकेट लेकर छाप छोड़ी। इसके बाद वह आईपीएल में मुंबई इंडियंस की टीम में पहले एक नेट गेंदबाज़ के रूप में शामिल हुए और फिर अरशद ख़ान की चोट के बाद मुख्य टीम में शामिल हो गए। कार्तिकेय के लिए यह आईपीएल सीज़न शानदार रहा। आईपीएल के बाद वह रणजी नॉकआउट के लिए लौटे और सभी का ध्यान खींचा। पंजाब के ख़िलाफ़ क्वार्टर-फ़ाइनल में कार्तिकेय ने छह विकेट झटके। उन्होंने अपनी शानदार गेंदबाज़ी जारी रखी और मध्य प्रदेश को उसके दूसरे रणजी फ़ाइनल में पहुंचाने के लिए बंगाल के ख़िलाफ़ पांच विकेट लिए। कार्तिकेय ने आईपीएल के विपरीत, पारंपरिक बाएं हाथ से ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज़ी की। आईपीएल में उन्हें कलाई से गेंदबाज़ी करने के लिए जाना जाता था। कार्तिकेय ने 32 विकेट हासिल किए और इस सीज़न दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ रहे।
रजत पाटीदार
25 मई: आईपीएल प्लेऑफ़ में शतक लगाने वाले पहले अनकैप्ड खिलाड़ी। जून 25: रणजी फ़ाइनल में यादगार शतक जड़ा, जिससे मध्य प्रदेश को पहली पारी में विशाल बढ़त बनाने में मदद मिली। रजत अप्रैल तक घर में बैठे थे और सोच रहे थे कि उन्होंने क्या ग़लत किया। आईपीएल में वापसी के बाद से रजत का जीवन पहले जैसा नहीं रहा है। आईपीएल की फ़ॉर्म एक तरफ़, रजत ने एक पारी को छोड़कर, जो सेमीफ़ाइनल में आई, हर पारी में अर्धशतक लगाया। पांच अर्धशतक और दो शतक के साथ रजत पूरे सीज़न में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ियों में मुंबई के सरफ़राज़ ख़ान के बाद दूसरे स्थान पर रहे।
अक्षत रघुवंशी
18 साल के इस खिलाड़ी को कई लोगों ने इस सीज़न में एमपी की खोज बताया है। वह मध्य क्रम के शानदार स्ट्रोक प्लेयर हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश की अंडर-19 टीम में जगह बनाने के लिए भी संघर्ष किया था। उनके बारे में कोच चंद्रकांत पंडित ने काफ़ी सुना था। पंडित एक अभ्यास मैच में अंपायरिंग कर रहे थे, जहां अक्षत पहली गेंद पर ही पगबाधा आउट थे, लेकिन पंडित ने उस अपील को ठुकरा दिया और उन्होंने अक्षत को 165 रन की पारी खेलते देखा। उन्हें तुरंत रणजी ख़ेमे में बुलाया गया, और यहां उन्होंने अपने पहले ही सीज़न में एक शतक और तीन अर्धशतक जमाए, जिसमें सेमीफ़ाइनल में मोमेंटम बदलने वाली पारी भी शामिल है।
गौरव यादव
अगर बल्लेबाज़ आपको मैच जिताते हैं, तो गेंदबाज़ आपको चैंपियन बनाते हैं। भारतीय टीम के लिए आवेश के बाहर होने के कारण गौरव यादव को इस सीज़न बड़ी ज़िम्मेदारी दी गई थी, और उन्होंने अपने स्विंग और अतिरिक्त उछाल से प्रभावित किया। फ़ाइनल के पहले दिन की सुबह उन्होंने पृथ्वी शॉ को एक ही ओवर में पांच बार बीट किया (बाहरी किनारा और अंदरूनी किनारा दोनों शामिल था) और आख़िरकार उन्हें क्लीन बोल्ड कर दिया। मध्य प्रदेश के लिए गौरव सर्वाधिक विकेट लेने वाले तेज़ गेंदबाज़ रहे और ओवरऑल चौथे सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ रहे।
शुभम शर्मा
इन्होंने 76 की औसत से 608 रन बनाए। इसमें चार शतक शामिल हैं, जिससे बड़े शतकों के लिए उनकी भूख की पुष्टि होती है। उन्होंने गुजरात के ख़िलाफ़ 92 रनों के साथ सीज़न की शुरुआत की और इस सीज़न को शतक के साथ समाप्त किया जहां यह सबसे ज़्यादा मायने रखता था।
शुभम ने यश दुबे के साथ 222 रन जोड़कर मुंबई को उन्हीं की शैली में जवाब दिया, जैसा कि वे ज़्यादा देर तक और बड़े स्कोर करने के लिए जाने जाते रहे हैं। हालांकि वह विजयी रन बनाने के लिए रुके नहीं रह सके, लेकिन उन्होंने उतना कर दिया था कि उनकी टीम अंतिम दिन भी सामने वाली टीम से मीलों आगे रहे।

अफ़्ज़ल जिवानी(@ jiwani_afzal) ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं | @jiwani_afzal