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तमिलनाडु की कप्तानी करने की चुनौती को लेकर तैयार हैं प्रदोश

साई किशोर की तबीयत ठीक नहीं होने पर प्रदोश को बनाया गया है टीम का कप्‍तान

Pradosh Ranjan Paul made another hundred for Tamil Nadu, Mumbai vs Tamil Nadu, Ranji Trophy 2022-23, 3rd day, January 5, 2023

ऐज ग्रुप क्रिकेट में प्रदोश के पास कप्‍तानी का अच्‍छा ख़ासा अनुभव है  •  PTI

रणजी ट्रॉफ़ी में क्वार्टर फ़ाइनल की रेस से पहले ही बाहर हो चुकी तमिलनाडु की टीम लगातार दूसरे मैच में नए कप्तान के नेतृत्व में खेलेगी। इस बार टीम की बागडोर 22 वर्षीय प्रदोश रंजन पॉल के हाथों में सौंपी गई है, जो इस सीज़न सात पारियों में 86.28 की औसत से 604 रन बनाकर सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में सातवें नंबर पर हैं।

मौजूदा सीज़न में तमिलनाडु की कप्तानी संभाल रहे बाबा इंद्रजीत की जगह पिछले मैच में साई किशोर ने कप्तानी की थी और तमिलनाडु को इस सीज़न की पहली जीत दिलाई थी। वह जीत भी बोनस अंक के साथ आई थी। माना जा रहा है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं होने के कारण प्रदोश को कप्तानी सौंपी गई है। तमिलनाडु की कप्तानी करने से पहले साई ने भले ही किसी ऐज ग्रुप में कप्तानी नहीं की हो लेकिन प्रदोश के पास ऐज ग्रुप में कप्तानी का अच्छा ख़ासा अनुभव है। वह हाल ही में पुरुष अंडर-25 स्टेट ए ट्रॉफ़ी में तमिलनाडु की कप्तानी कर रहे थे।

प्रदोश का कहना है कि उन्हें ज़िम्मेदारी लेना पसंद है और टीम की अगुआई करना उनके लिए नया नहीं है।

सौराष्ट्र के ख़िलाफ़ मैच से एक दिन पहले उन्होंने ईएसपीएनक्रिइंफ़ो से कहा, "कप्तान बनने पर ज़्यादा कुछ तो नहीं बदलेगा। निश्चित रूप से मैं सामने से अगुआई कर उदाहरण पेश करना चाहूंगा। बतौर बल्लेबाज़ मेरा रोल कभी नहीं बदलेगा। मैं हमेशा ज़िम्मेदारी लेना पसंद करता हूं, चाहे ऐज ग्रुप हो या जब मैं टीम की अगुआई कर रहा होता हूं।

"मैंने ऐज ग्रुप क्रिकेट में कप्तानी की है और अंडर-19 चैलेंजर ट्रॉफ़ी में मैं इंडिया ब्लू का कप्तान भी रहा चुका हूं। इस साल अंडर-25 वनडे में मैं कप्तानी कर रहा था। लिहाज़ा कप्तानी मेरे लिए नई नहीं है।"

प्रदोश का व्यक्तिगत प्रदर्शन बेहतरीन रहा है, लेकिन एक टीम के तौर पर तमिलनाडु के लिए यह सीज़न निराशाजनक रहा है। या यूं कहें तो उनसे भाग्य थोड़ा रूठा हुआ है। इस सीज़न के अपने पहले मैच में आख़िरी दिन 144 रन का पीछा करते हुए तमिलनाडु ने सात ओवरों में 108 रन बना लिए थे तभी ख़राब रोशनी के कारण खेल आगे नहीं हो पाया। अगले मैच में आंध्रा के ख़िलाफ़ मज़बूत स्थिति में आने के बाद वे मुक़ाबला हार गए और फिर दिल्ली के ख़िलाफ़ ख़राब रोशनी के कारण वे आउट राइट जीत नहीं दर्ज कर पाए। इन सब परिणामों को देखते हुए प्रदोश का मानना है कि वे एक टीम के तौर पर फ़्लॉप नहीं हुए हैं और आने वाले सालों के लिए कुछ अच्छे संकते मिले हैं।

उन्होंने कहा, "टीम के नज़रिए से देखें तो हमने अच्छा क्रिकेट खेला है। कुछ मामलों में हम दुर्भाग्यशाली रहे। लाइट फ़ैक्टर ने एक अहम भूमिका निभाई। जिस मैच में हमें लगा कि छह अंक हासिल कर सकते हैं वहां ख़राब रोशनी के कारण खेल नहीं पूरा हो पाया। आउट राइट परिणाम नहीं आ पाए और आंध्रा के ख़िलाफ़ 200 (203) रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 153 रन पर तीन विकेट की स्थिति में होने के बावजूद हम आउट राइट हारे।"

"एक टीम के तौर पर हम फ़्लॉप नहीं हुए हैं। आने वाले सालों के लिए कुछ अच्छे संकेत भी मिले हैं। हम जिस तरह से क्रिकेट खेल रहे हैं उससे संतुष्ट हैं। अगर हम इसी तरह से खेलते हैं तो निश्चित रूप से आने वाले सालों में अपनी छाप छोड़ेंगे।"

मौजूदा रणजी सीज़न में लगातार रन बना रहे इस बाएं हाथ के बल्लेबाज़ ने 2018-19 सीज़न में तमिलनाडु के आख़िरी लीग मैच में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू किया था। उन्हें दिनेश कार्तिक के राष्ट्रीय कर्तव्यों पर व्यस्त होने के कारण टीम में जगह दी गई थी। प्रदोश ने डेब्यू मैच में 78 और 19 नाबाद की पारियां खेलीं लेकिन अगले सीज़न में वह उसी प्रदर्शन को नहीं दोहरा पाए।

प्रदोश ने कहा, "डेब्यू के बाद मुझे दो मैचों में मुंबई और रेलवे के ख़िलाफ़ खेलने का मौक़ा मिला था, लेकिन उन दोनों मैचों में मेरा प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा था। उस साल ऐज ग्रुप में काफ़ी रन बनाए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश रणजी में अच्छा नहीं कर पाया।"

प्रदोश मूलत: ओडिसा के रहने वाले हैं। वह जब 12 साल के थे तब उनके पिता का ट्रांसफ़र तमिलनाडु हुआ, जिसके बाद उन्होंने तिरुपुर में प्रोफ़ेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया। प्रदोश यहां तक के सफ़र का श्रेय अपने माता-पिता और अपने कोच वी रमेश को देते हैं।

उन्होंने कहा, "मैं दो साल का था तब से ही मुझे क्रिकेट बहुत पसंद था। परिवार में पापा को भी क्रिकेट बहुत पसंद था। मैं आज जो कुछ भी हूं अपने पापा और मां के बदौलत हूं। उनके बिना यह सफ़र नामुमकिन था। हर मां-बाप अपने बच्चे को अनुमति नहीं देते हैं कि वह छठी या सातवीं कक्षा में स्कूल जाना छोड़ दे। उनका कहना था कि अगर स्कूल नहीं गया तो भी खेलेगा, क्योंकि क्रिकेट में ध्यान लगाने के लिए उसको समय देना पड़ेगा। मेरे स्कूल नहीं जाने से उनको कभी दिक्कत नहीं थी। उन्होंने पढ़ाई का कभी दबाव नहीं बनाया। मेरे मम्मी-पापा इस बात से नाराज़ नहीं होते थे कि मैंने पढ़ाई नहीं की। वे तब नाराज़ होते थे जब मैंने क्रिकेट को लेकर मेहनत में कमी की।"

उन्होंने कहा, "12 साल का था जब मैंने प्रोफ़ेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया। मैं तिरुपुर स्कूल ऑफ़ क्रिकेट एकेडमी गया। वहां रमेश सर मेरे कोच कम मेंटॉर हैं। यहां तक के सफ़र में उनको भी पूरा श्रेय जाता है। वह मेरे लिए गुरु समान हैं। उन्होंने कभी मुझे एक स्टूडेंट नहीं समझा, हमेशा मुझे अपने पुत्र की तरह माना।"

युवी फ़ैन प्रदोश को पसंद श्रीलंकाई लेजेंड कुमार संगकारा हैं।

उन्‍होंने कहा, "बचपन में मैंने युवराज सर को बहुत देखा है। मैं उनका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, लेकिन बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों में मेरे सबसे पसंदीदा कुमार संगाकारा हैं।" विकेटकीपर बल्लेबाज़ के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले प्रदोश ने इस सीज़न दिल्ली के ख़िलाफ़ अपना पहला प्रथम श्रेणी शतक लगाया और उसी मैच में एक विकेट भी लिया। उनका कहना है कि टीम को जो ज़रूरत होगी मैं करने को तैयार हूं।

उन्होंने कहा, "मैं अंडर-19 तक नियमित विकेटकीपिंग करता था। टीम को जब ज़रूरत पड़ेगी विकेटकीपिंग कर सकता हूं। मैं तमिलनाडु के लिए लगातार गेंदबाज़ी भी कर रहा हूं। टीम को जो ज़रूत होगी मैं करने के लिए तैयार हूं।"