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तेंदुलकर ने सुझाव दिया है कि जीतने वाले कप्तान को पटौदी पदक दिया जाए

भारत बनाम इंग्लैंड शृंखला का नाम बदलकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी किए जाने के बाद, सचिन तेंदुलकर भारत के पूर्व कप्तान की विरासत को बचा कर रखा जाए

James Anderson and Sachin Tendulkar pose with the trophy that bears their names, London, June 14, 2025

जेम्स एंडरसन और सचिन तेंदुलकर उस ट्रॉफ़ी के साथ पोज़ देते हुए, जो अब उनके नाम पर खेला जाएगा  •  ECB via Getty Images

सचिन तेंदुलकर चाहते थे कि पटौदी नाम भारत और इंग्लैंड की पुरुष टेस्ट सीरीज़ से हमेशा जुड़ा रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि विजेता कप्तान को पूर्व भारतीय कप्तान के सम्मान में एक मेडल प्रदान किया जाए।
पहले, इंग्लैंड दौरे के दौरान भारत 'पटौदी ट्रॉफ़ी' के लिए खेला करता था। लेकिन अब इसका नाम बदलकर 'तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन ट्रॉफ़ी' रख दिया गया है। इस सम्मान को लेकर गर्व जताते हुए तेंदुलकर ने कहा कि वे भारत के सबसे महान कप्तानों से एक की विरासत को ज़िंदा रखना चाहते थे।
उन्होंने ESPNcricinfo से कहा, "मुझे याद है कुछ समय पहले जब ECB और BCCI ने पटौदी ट्रॉफ़ी को रिटायर कर दिया था, और फिर कुछ महीनों बाद, जब मुझे यह बताया गया कि यह ट्रॉफ़ी हम दोनों के नाम पर होगी - यह एक सुखद आश्चर्य था। उसके तुरंत बाद मैंने पटौदी परिवार को फ़ोन किया, उनसे बात की; और उनके साथ यह भी साझा किया कि मैं उनकी विरासत को ज़िंदा रखना चाहता हूं और कहा, 'मेरे पास कुछ आइडियाज़ हैं, मैं वापस आपसे बात करूंगा।'"
"मैंने अपने विचार BCCI और ECB के साथ साझा किए। मुझे लगा कि नतीजा बहुत सकारात्मक रहा। हमने तय किया कि 'पटौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस' विजेता कप्तान को दिया जाएगा क्योंकि पटौदी साहब नेतृत्व क्षमता के लिए प्रसिद्ध थे। इस तरह उनकी विरासत को ज़िंदा रखा गया। मैंने हमेशा माना है कि जिसने भारतीय क्रिकेट और वैश्विक क्रिकेट में योगदान दिया है, उसका सम्मान और स्मरण हमेशा किया जाना चाहिए।"
नई ट्रॉफ़ी में एंडरसन और तेंदुलकर की खेलते हुए तस्वीरें और उनके खु़द के सिग्नेचर उकेरे गए हैं। वे टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज़्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं: तेंदुलकर ने 200 टेस्ट और एंडरसन ने 188 टेस्ट खेले हैं।
तेंदुलकर ने कहा, "यह हमारे-अपने देशों के लिए टेस्ट क्रिकेट में दिए गए योगदान का प्रतिबिंब है। मैंने 24 साल तक और एंडरसन ने 21 साल तक खेला है। यानी कुल 45 साल का अंतर्राष्ट्रीय अनुभव - ख़ासकर टेस्ट क्रिकेट में। यह मुझे बेहद खु़शी देता है। मैं समझता हूं कि यह सम्मान ट्रॉफ़ी के नाम के ज़रिए जताया गया है, और यह अपने आप में एक बड़ी बात है।"
एंडरसन ने एक बयान में कहा, "मेरे और मेरे परिवार के लिए यह गर्व का पल है कि इस ऐतिहासिक सीरीज़ का नाम मेरे और सचिन के नाम पर रखा गया है। भारत और इंग्लैंड के बीच की प्रतिस्पर्धा हमेशा से ख़ास रही है। यह इतिहास, तीव्रता और यादगार पलों से भरपूर है।"
"इस तरह पहचान मिलना मेरे लिए एक बड़े सम्मान की बात है। मुझे इस गर्मी में इंग्लैंड में इस नई कहानी के आगे बढ़ने का बेसब्री से इंतज़ार है। यह निश्चित ही एक जबरदस्त और प्रतिस्पर्धी टूर्नामेंट होगा। यह ठीक वैसा ही होगा जैसा आप दो महान टीमों से उम्मीद करते हैं।"
तेंदुलकर ने 2006 में पहली बार टेस्ट में एंडरसन का सामना किया था। उन्होंने कहा कि उनके करियर का एक अहम हिस्सा एंडरसन के ख़िलाफ़ खेलना रहा, और इंग्लैंड में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में खेलना हमेशा यादगार रहा।
तेंदुलकर ने कहा, "2003 में मैंने वर्ल्ड कप के दौरान साउथ अफ्रीका में उनके ख़िलाफ़ खेला था। इंग्लैंड में 2007 में भी उनका सामना किया। इन सालों में कई बार आमना-सामना हुआ। कुछ मौक़ों पर अच्छे नतीजे मिले, कुछ पर नहीं। लेकिन जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है कि उन चुनौतीपूर्ण पलों का लुत्फ़ उठाया, और इन्हीं के लिए तो हम तैयारी करते हैं।"
"वो सफर बेहद सुंदर रहा, और उसमें कई अनुभवों ने मुझे जीवन में बहुत कुछ सिखाया। इंग्लैंड में खेलना उस सफ़र का अभिन्न हिस्सा था, और एंडरसन भी उस सफ़र का अहम चेहरा रहे।"
भारत और इंग्लैंड के बीच पहला टेस्ट शुक्रवार से हेडिंग्ली में शुरू होगा।