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रणनीति: सूर्यकुमार को मध्यक्रम में रोकने और पावरप्ले में महाराज को लाने का क्या होगा प्लान?

पहली बार दिन में खेला जाएगा टी20 विश्व कप का फ़ाइनल

शनिवार को जब बारबेडोस में भारत और साउथ अफ़्रीका की भिड़ंत होगी तो इतिहास में पहला मौक़ा होगा जब कोई टीम बिना कोई मैच गंवाए T20 वर्ल्ड कप का ख़िताब हासिल करेगी। पहली बार टी20 विश्व कप का फ़ाइनल दिन में खेला जाएगा। ESPNCricinfo उन तमाम बातों पर निगाह डाल रहा है जिनका असर मैच के परिणाम पर पड़ सकता है।

टॉस फैक्टर: पहले बल्लेबाज़ी?

बारबेडोस में दिन में खेले गए चार में दो मैचों में टॉस जीतने वाली टीमों ने पहले बल्लेबाज़ी चुनी है। जहां नामीबिया को स्कॉटलैंड के ख़िलाफ़ हार मिली थी तो वहीं भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को 47 रनों से हराया था। अन्य दो मैचों में इंग्लैंड ने गेंदबाज़ी चुनी थी जिसमें से एक में उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हार मिली थी और दूसरे में उन्होंने USA को हराया था।
इस टूर्नामेंट में भारत ने सात में से पांच मैचों में पहले बल्लेबाज़ी की है जिसमें से चार में उन्हें बल्लेबाज़ी का न्यौता मिला है। साउथ अफ़्रीका ने तीन बार टॉस जीता है और दो बार गेंदबाज़ी चुनी है। चार बार उन्होंने पहले बल्लेबाज़ी की है और इतनी ही बार उन्होंने स्कोर का पीछा भी किया है। दोनों ही टीमों की ताकत गेंदबाज़ी है और दोनों ही फ़ाइनल में पहले बल्लेबाज़ी करना पसंद कर सकते हैं।

सूर्यकुमार के ख़िलाफ़ गति कम करो

सूर्यकुमार यादव अपने अधिकतर रन बैकवर्ड प्वाइंट और बैकवर्ड स्क्वायर लेग के क्षेत्र में बनाते हैं। वह गति और उछाल का इस्तेमाल करके गेंद को विकेट के पीछे भेजना पसंद करते हैं और साउथ अफ़्रीका के गेंदबाज़ों को भी यह पता होगा। टी20 क्रिकेट में कगिसो रबाडा के ख़िलाफ़ सूर्यकुमार ने विकेट के पीछे 24 गेंदों में 66, अनरिख़ नॉर्खिये के ख़िलाफ़ 12 गेंदों में 32 और मार्को यानसन के ख़िलाफ़ केवल पांच गेंदों में 25 रन बनाए हैं।
तेज़ गेंदबाज़ गति कम करके सूर्यकुमार को ऐसा करने से रोक सकते हैं। ख़ास तौर से पिछले कुछ सालों में IPL में गेंदबाज़ों ने सूर्यकुमार के ख़िलाफ़ धीमी गति की गेंदों का अधिक इस्तेमाल किया है। 2023 की शुरुआत के बाद से सूर्यकुमार ने 148 धीमी गति की गेंदों का सामना करते हुए टी20 क्रिकेट में 180.40 की स्ट्राइक-रेट से रन बनाए हैं। हालांकि, उनका औसत तेज़ गति की गेंदों के ख़िलाफ़ 42.30 का रहता है, लेकिन धीमी गति के ख़िलाफ़ घटकर 20.53 का हो जाता है। जहां तेज़ गति की गेंदों पर औसतन 23 गेंदों में वह आउट होते हैं तो वहीं धीमी गति की गेंदों पर वह औसतन 11.4 गेंदों में आउट होते हैं।

महाराज से पावरप्ले में गेंदबाज़ी कराओ

इस विश्व कप में रबाडा और यानसन ने ही साउथ अफ़्रीका के लिए गेंदबाज़ी की शुरुआत की है, लेकिन भारतीय ओपनर्स तेज़ गेंदबाज़ों पर जमकर आक्रमण करते हैं। भले ही रबाडा ने कोहली और रोहित दोनों को टी20 क्रिकेट में चार-चार बार आउट किया है, लेकिन साउथ अफ़्रीका रक्षात्मक होते हुए केशव महाराज को पावरप्ले में ला सकती है।
जनवरी 2023 से महाराज ने पावरप्ले में फेंकी 114 गेंदों में 7.52 की इकॉनमी से 143 रन खर्च किए हैं और छह विकेट हासिल किए हैं। रोहित और कोहली दोनों को बाएं हाथ के स्पिनर के ख़िलाफ़ थोड़ी परेशानी होती है।

अहम बैटल्स - क्लासन बनाम जाडेजा, कुलदीप बनाम मिलर

साउथ अफ़्रीका के बल्लेबाज़ी क्रम में हाइनरिक क्लासन और डेविड मिलर स्पिन को सबसे अच्छी तरीके से खेलते हैं। हालांकि, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव और रवींद्र जाडेजा की तिकड़ी द्वारा बनाए जाने वाले दबाव का सामना करना उनके लिए आसान नहीं होने वाला है। दोनों बल्लेबाज़ों का अक्षर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन अन्य दो गेंदबाज़ों के सामने उन्हें परेशानी हुई है।
क्लासन क्रीज़ की गहराई का इस्तेमाल करते हुए बड़े शॉट खेलते हैं और साथ ही गैप का भी अच्छे से इस्तेमाल करते हैं। क्लासन ने ख़ुद स्वीकार किया है कि जब वह आक्रमण या सुरक्षित खेलने के बीच में फंसते हैं तो मुश्किल में होते हैं। टी20 क्रिकेट में जाडेजा के ख़िलाफ़ वह ऐसी स्थिति में दिखे हैं। क्लासन ने जाडेजा के ख़िलाफ़ 15 गेंदों में केवल 16 रन बनाए हैं। मिलर ने जनवरी 2022 से कुलदीप के ख़िलाफ़ 24 गेंदों में केवल 24 रन ही बनाए हैं और दो बार आउट भी हो चुके हैं।

दुबे की जगह सैमसन?

शिवम दुबे को अधिकतर मैचों में नंबर 5 पर इस्तेमाल करने के बाद इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में भारत ने नीचे भेजा था। दुबे को विश्व कप में इसलिए चुना गया था क्योंकि वह स्पिनर्स के ख़िलाफ़ बड़े शॉट लगाते हैं। भले ही दुबे ने स्पिनर्स के ख़िलाफ़ 38 गेंदों में 47 रन बनाए हैं, लेकिन दो बार आउट भी हो चुके हैं। तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ वह 62 गेंदों में केवल 59 रन बना पाए हैं। उन्हें निकाले जाने की उम्मीद काफ़ी कम ही है, लेकिन भारत उनकी जगह संजू सैमसन को लाने पर विचार कर सकता है।

शम्सी या बार्टमैन?

इस विश्व कप में तबरेज़ शम्सी 11 विकेट ले चुके हैं। पिछले सालो में भारत के अधिकतर बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ उनके आंकड़े भी अच्छे रहे हैं। जिस मैदान पर तेज़ गेंदबाज़ो ने 32 और स्पिनर्स ने 20 विकेट लिए हैं उस पर क्या साउथ अफ़्रीका को दूसरे स्पिनर की जरूरत होगी? उनकी जगह ऑटनील बार्टमैन को लाया जा सकता है। अंतिम ओवरों में यॉर्कर गेंदें बार्टमैन की सबसे बड़ी ताकत हैं। वह मैच के तीनों चरणों में गेंदबाज़ी कर सकते हैं और काफ़ी किफ़ायती भी रहते हैं।