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फ़ीचर्स

वॉर्न के क्रिकेट करियर के अच्छे और बुरे दिन

डेब्यू मैच से लेकर राजस्थान रॉयल्स के कप्तानी तक का सफ़र

साल 1992 में वार्न ने अपना पदार्पण मैच खेला था  •  Rajasthan Royals

साल 1992 में वार्न ने अपना पदार्पण मैच खेला था  •  Rajasthan Royals

ऑस्ट्रेलिया के महान लेग स्पिनर शेन वॉर्न का 52 साल की उम्र में थाईलैंड में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि उनके मौत का कारण हार्ट अटैक है।
विस्डन क्रिकेट के द्वारा जारी किए गए इस सदी के पांच सबसे बेहतरीन क्रिकेटरों में वॉर्न का नाम भी शामिल था। आइए नज़र डालते हैं शेन वॉर्न के क्रिकेटिंग करियर पर, उनकी सफलता पर और उनके संघर्षपूर्ण दिनों पर।
1990 एक ख़राब शुरुआत
वॉर्न को अनुशासनात्मक कारणों से एडिलेड में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट अकादमी से निकाल दिया गया था।
जनवरी 1992 - पदार्पण मैच
वॉर्न ने सिडनी में भारत के ख़िलाफ़ पदार्पण किया था। हालांकि उन्होंने अपने पदार्पण मैच में कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं किया था। भारतीय टीम के विरुद्ध खेले गए एक मात्र पारी में उन्होंने रवि शास्त्री को आउट किया था और इसके एवज में उन्होंने 150 रन ख़र्च किये थे।
अगस्त 1992 में हुई मैजिक की शुरुआत
कोलंबो में टेस्ट का पांचवा दिन चल रहा था। श्रीलंका को 181 रन बनाने थे। ऐसे में मैच एक नाजुक मोड़ पर खड़ा था। उस वक़्त के ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एलन बॉर्डर ने वॉर्न की और गेंद उछाला और इस मौक़े को वॉर्न ने दोनों हाथों से लपका। ऑस्ट्रेलिया इस मैच को 16 रन से जीतने में कामयाब रही और वॉर्न का फिगर था: 5.1-11-03।
जुलाई 1993 - बॉल ऑफ़ द सेंचुरी
ऐशेज़ टेस्ट में अपनी पहली बार खेलते हुए, वॉर्न ने माइक गैटिंग को एक ऐसी गेंद पर आउट किया, जिसे बॉल ऑफ़ द सेंचुरी के रूप में पहचाना गया। यह एक लेग ब्रेक गेंद थी, जो लेग स्टंप के बाहर गिरी और घुमाव लेने के बाद इसने पहले बल्लेबाज़ को छकाया और फिर ऑफ़ स्टंप पर जाकर लगी। वॉर्न ने छह टेस्ट मैचों की सीरीज़ में 34 विकेट लिए - और इसके साथ ही एक लीजेंड का जन्म हुआ।
1994 - एक जादुई वर्ष
उस साल ऑस्ट्रेलिया ने तीन सीरीज़ खेला, जिसमें से दो में वॉर्न सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। साथ ही ऐशेज़ में वह दूसरे सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। मेलबर्न में उन्होंने उस दौरान हैट्रिक लिया था और ब्रिसबेन में उन्होंने 71 रन देकर 8 विकेट लिया था, जो उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
1995 - संकट का साल
मार्क वॉ और वॉर्न पर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड ने जुर्माना लगाया था। दोनों खिलाड़ियों ने यह स्वीकार किया था कि उन्होंने एक भारतीय सट्टेबाज को मैच की जानकारी दी थी। एसीबी ने पहले इस घटना को छुपा लिया था लेकिन मीडिया ने इसे तीन साल बाद उजागर कर दिया।
1996 का विश्व कप सेमीफ़ाइनल
उस मैच में वेस्टइंडीज़ का स्कोर 4 विकेट के नुकसान पर 178 रन था और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ जीत हासिल करने के लिए उन्हें मात्र 30 रन चाहिए थे। इसके बाद गेंद जादूगर वॉर्न के हाथ में थी और उन्होंने ओटिस गिब्सन, जिमी एडम्स, इयन बिशप को फटाफट आउट किया और पूरे मैच में चार विकेट झटक कर अपने टीम को जीत दिला दी।
1996 और 1998
वॉर्न को अपने स्पिनिंग उंगली का ऑपरेशन करवाना पड़ा, जिसके कारण वह भारत में खेले जाने वाले टेस्ट श्रृंखला का हिस्सा नहीं थे। इसके बाद 1998 में उन्हें अपने दाहिने कंधे की सर्ज़री करवानी पड़ी । डॉक्टर ने तो यहां तक कह दिया था कि शायद अब वह क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे
धीमी रिकवरी
मार्च 1999 में वह वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ खेले गए सीरीज़ में उपकप्तान तो रहे लेकिन उन्हें चौथे टेस्ट से बाहर कर दिया गया। उनकी चोट काफ़ी धीमे ठीक हो रही थी। उस दौरान वह टीम के उपकप्तान थे।
जून 1999 - विश्व चैंपियन
वॉर्न ने 1999 के विश्व कप की शुरुआत ख़राब तरीके से की, लेकिन जैसे ही टूर्नामेंट ने अपने अंतिम दौर में प्रवेश किया, वॉर्न फ़ॉर्म में आ गये। एजबेस्टन में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ खेले गए सेमीफ़ाइनल में, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को मैच टाई करने और फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में मदद करने के लिए 29 रन देकर 4 विकेट लिए। फ़ाइनल में उन्होंने 33 रन देकर 4 विकेट लिया और ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 132 रन पर समेट दिया। वह दोनों मैच में प्लेयर ऑफ़ द मैच थे। साथ ही पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने 20 विकेट लिए जो संयुक्त रूप से सबसे अधिक था।
अप्रैल 2000
अपने पदार्पण मैच के एक दशक से भी कम समय के बाद, वॉर्न को विजडन के द्वारा सदी के पांच सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में शामिल किया गयं 27 मतों के साथ, वह सूची में चौथे स्थान पर थे और ऊज़ समय शीर्ष पांच में से एकमात्र सक्रिय क्रिकेटर थीम वह डॉन ब्रैडमैन, गैरी सोबर्स, जैक हॉब्स और विव रिचर्ड्स के साथ उस लिस्ट में शामिल किए गए थे। उसी वर्ष वह डेनिस लिली के 355 विकेटों को पीछे छोड़ते हुए टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए थे।
2003 - पतन
जैसे ही ऑस्ट्रेलिया विश्व कप ख़िताब की रक्षा के लिए अपना अभियान शुरू करने की तैयारी करता है: वॉर्न एक प्रतिबंधित दवा के सेवन करने के कारण पकड़े गए । उन्होंने कहा कि वह वजन घटाने के लिए उस दवा का उपयोग कर रहे थीम उन्हें ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड ने एक साल के लिए निलंबित कर दिया। इस प्रतिबंध ने प्रभावी रूप से उनके एकदिवसीय करियर को समाप्त कर दिया।
2004 -
टेस्ट क्रिकेट में वापसी करते हुए वॉर्न ने इस वर्ष फिर से एक अलग छाप छोड़ी और श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीन मैचों की सीरीज़ में 26 विकेट लिए। साथ ही वह टेस्ट क्रिकेट में 500 विकेट लेने वाले पहले स्पिनर बने। इस साल ही ऑस्ट्रेलिया ने भारत मे एक ऐतिहासिक सीरीज़ जीता, तब वॉर्न विश्व के सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए। उन्होंने इरफान पठान को आउट कर के यह कारनामा किया था।
सितंबर 2005
उनका सबसे बड़ा व्यक्तिगत प्रदर्शन 2005 के ऐशेज़ श्रृंखला में आया। पांच टेस्ट में उन्होंने 40 विकेट लिए। इसी सीरीज़ में उन्होंने स्ट्रॉस को जिस गेंद पर आउट किया, उसे अक्सर 21 वीं सदी का सबसे शानदार गेंद कहा जाता है। तीसरे टेस्ट में, वह 600 टेस्ट विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज बने। उन्होंने बल्ले से भी ऊज़ सिरीज़ में योगदान दिया और 27.66 की औसत से 249 रन बनाए। उनके ज्यादातर रन मुश्किल परिस्थितियों में आये। इन सबके बावजूद ऑस्ट्रेलिया ऐशेज़ 2-1 से हार गई। कुल मिलाकर उन्होंने 2005 में 96 टेस्ट विकेट लिए, जो एक कैलेंडर वर्ष में किसी भी गेंदबाज द्वारा सबसे अधिक है।
जनवरी 2007 - विदाई
ऐशेज़ इतिहास में दूसरी बार इंग्लैंड को 5-0 से हराकर वॉर्न ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वॉर्न ने 23 विकेट चटकाए, जिसमें उनका 700वां टेस्ट शिकार भी शामिल था। उन्होंने कुल 708 टेस्ट विकेट लिए जो उस समय तक सबसे ज़्यादा विकेट का रिकॉर्ड था।
जून 2008 - कप्तानी
वार्न को ऑस्ट्रेलिया का अब तक का सर्वश्रेष्ठ कप्तान माना जाता है (हालाँकि उन्होंने 11 एकदिवसीय मैचों में उनका नेतृत्व किया)। लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें राजस्थान रॉयल्स के साथ एक बार और कप्तानी करने का मौक़ा मिलता है। वह आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के कप्तान बनते हैं। उस दौरान वह वह 15 मैचों में 19 विकेट लेते हैं और सीज़न के दूसरे सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बनते हैं।

हेमंत बराड़ ESPNcricinfo के सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।